कागज पर ही सिमट कर रह गयी स्वच्छ भारत की योजना

कागज पर ही सिमट कर रह गयी स्वच्छ भारत की योजना नहीं मिल पायी है लाभुकों को प्रोत्साहन राशि मंसूरचक . स्वच्छ भारत की योजना एनजीओ के कागज पर ही सिमट कर रह गया है. इस योजना के तहत हर घर शौचालय बनाये जाने के रास्ते में कई तरह की कठिनाइयां हैं. सरकार स्वच्छता अभियान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 17, 2015 6:33 PM

कागज पर ही सिमट कर रह गयी स्वच्छ भारत की योजना नहीं मिल पायी है लाभुकों को प्रोत्साहन राशि मंसूरचक . स्वच्छ भारत की योजना एनजीओ के कागज पर ही सिमट कर रह गया है. इस योजना के तहत हर घर शौचालय बनाये जाने के रास्ते में कई तरह की कठिनाइयां हैं. सरकार स्वच्छता अभियान की सफलता के लिए ढेर सारी योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए प्रयासरत है. इसके प्रचार-प्रसार पर सैकड़ों रुपये खर्च किये जा रहे हैं. इसके बाद भी यह योजना लक्ष्य की प्राप्ति से कोसों दूर है. स्थानीय एनजीओ के द्वारा योजना चलायी जा रही है. जो महज खानापूर्ति हो रही है. बताया जाता है कि एक शौचालय निर्माण के लिए लाभुक से बतौर पांच से छह सौ रुपये की वसूली एनजीओ के द्वारा की जा रही है. स्थानीय ग्रामीण इलाके के लोग घर से लेकर प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाने के लिए विवश हो रहे हैं लेकिन उनकी मुलाकात संबंधित लोगों से ही होने पर वे बैरंग लौट जाते हैं. नतीजा है कि ग्रामीण इलाके में अब भी लोग खासकर महिलाएं खुले में शौच करने के लिए विवश हो रही हैं. इतना ही नहीं जिन्होंने भी शौचालय निर्माण कराया है, वे प्रोत्साहन राशि के लिए दर-दर भटक रहे हैं. क्षेत्र के बहरामपुर, समसा , गोविंदपुर, मंसूरचक पंचायत में लगभग 30 से अधिक लोगों ने इस योजना के तहत शौचालय का निर्माण वर्षों पूर्व कराया है लेकिन विभागीय उदासीनता के चलते उन्हें प्रोत्साहन राशि अब तक नहीं मिल पायी है. मंसूरचक पंचायत के मुखिया मो रजी आलम राजू ने उक्त आशय के संबंध में पूछे जाने पर बताया कि लाभुकों को शौचालय निर्माण के लिए प्रोत्साहन राशि नहीं मिली है. वहीं दूसरी तरफ जरीना खातून, मुन्नी खातून, अर्चना देवी, पार्वती देवी, विजय कुमार राय समेत अन्य लोगों का भी कहना है कि एनजीओ के मनमाने रवैये के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में 90 प्रतिशत गरीबों के घर में शौचालय का निर्माण नहीं हो पाया है. ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से इसकी जांच करते हुए संबंधित एनजीओ पर कार्रवाई करने की मांग की है़

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