सराहना . दिनकर भवन में नाटक औरंगजेब का मंचन

रंग-ए-माहौल में उमड़ी भीड़ बेगूसराय में रंग-ए-माहौल 2016 में प्रतिदिन दर्शकों की भीड़ बढ़ रही है. देश के कई हिस्सों के साथ-साथ जिले के कलाकारों के द्वारा नाटक का सफल मंचन किया जा रहा है, जिसकी दर्शक सराहना कर रहे हैं. इस रंग-ए-माहौल में आनेवाले कलाकारों की टीम बेगूसराय के लोगों में रंगकर्म के प्रति […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 3, 2016 5:56 AM

रंग-ए-माहौल में उमड़ी भीड़

बेगूसराय में रंग-ए-माहौल 2016 में प्रतिदिन दर्शकों की भीड़ बढ़ रही है. देश के कई हिस्सों के साथ-साथ जिले के कलाकारों के द्वारा नाटक का सफल मंचन किया जा रहा है, जिसकी दर्शक सराहना कर रहे हैं. इस रंग-ए-माहौल में आनेवाले कलाकारों की टीम बेगूसराय के लोगों में रंगकर्म के प्रति आस्था व उमंग को देख कर आश्चर्यचकित हो रहे हैं.
बेगूसराय (नगर) : बेगूसराय (नगर). स्थानीय दिनकर कला भवन के प्रेक्षागृह में द फैक्ट आर्ट एंड कल्चरल सोसायटी, बेगूसराय के द्वारा आयोजित पांचवें राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव रंग-ए-माहौल 2016 के तीसरे दिन नई दिल्ली के द्वारा इंद्रपार्थ सारथी लिखित नाटक औरंगजेब का सफल मंचन किया गया. इस नाटक का निर्देशन देश के ख्याति प्राप्त वरिष्ठ रंगकर्मी के एस राजेंद्रन ने किया. निदेशक ने परिकल्पना, डिजाइन से औरंगजेब को और नजदीक से समझने का अवसर प्रदान किया.
कथानक में शाहजहां के चार पुत्रों में औरंगजेब और दारा के बीच उत्पन्न मतभेद को दरसाया गया. मुमताज की याद में ताजमहल बनानेवाला शाहजहां जीवन के अंतिम पड़ाव में स्याह महल के ख्वाब संजोये शाही खजाने का दुरुपयोग अपनी बादशाहत को बरकरार रखने में करना चाहता है. इसका विरोध औरंगजेब करता है. वहीं दारा शाहजहां का समर्थन अपने बहन जहांआरा के साथ करता है. और स्याहमहल के ख्वाब को पूरा करने का वचन देता है.
यह बात औरंगजेब को बरदाश्त नहीं होता है. और वो दारा पर हमला कर देता है. दारा जान बचा कर भाग जाता है. बाद में औरंगजंब शाहजहां को कैद कर कैदखाने में ख्वाब सजाने को छोड़ देता है. फिर दारा को भी पकड़ कर इस्लामिक सत्ता का पक्षधर बनाने की कोशिश करता है. बादशाह बनने की चाह दारा को भी था. जिसे शाहजहां के ख्वाब के समर्थन के साथ खुल कर सामने आया. अंत में दारा का सिर कलम कर दिया जाता है.
औरंगजेब सत्ता पर काबिज हुआ. किंतु अंतिम समय में उसे एहसास हुआ कि इस अनमोल जीवन में बहुत कुछ अधूरा रह गया. अंतिम समय में प्रेम के प्रति औरंगजेब का चेतना जागृत हुआ. भूमिका में हैप्पी रंजीत ने अपने अभिनय का परिचय देते हुए जबरदस्त प्रभाव डाला. वहीं दारा की भूमिका में इमरान रजा ने भी काफी प्रभावित किया. शाहजहां की भूमिका में नीलेश-दीपक, जहांआरा-असिमा,रोशन आरा-प्रियंका शर्मा,
जीवन मल्लिक- आकाश कठारी, मोहम्मद-आनंद नकूल की भूमिका सराहनीय रही. इससे पूर्व कार्यक्रम का उदघाटन विकास विद्यालय के निदेशक राजकिशोर सिंह एवं जनकवि दीनानाथ सुमित्र ने दीप प्रज्वलित कर किया. इस मौके पर परवीन कुमार गुंजन, बीआरकेसिंह राजू, अशोक कुमार सिंह अमर समेत अन्य लोग उपस्थित थे.

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