दुखद . शहीद दारोगा के बेगूसराय आवासीय परिसर में पसरा मातमी सन्नाटा

परिजनों के क्रंदन से माहौल गमगीन मिलनसार स्वभाव के चलते चर्चित थे दारोगा एक माह पूर्व धूमधाम से संपन्न करायी थी बेटी की शादी दारोगा की मौत के बाद हतप्रभ हैं इलाके के लोग बेगूसराय(नगर) : शहर के पुलिस लाइन के समीप दिन के दो बजे के आस-पास लोगों की भीड़ एवं आस-पास में गमगीन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 19, 2016 12:55 AM

परिजनों के क्रंदन से माहौल गमगीन

मिलनसार स्वभाव के चलते चर्चित थे दारोगा
एक माह पूर्व धूमधाम से संपन्न करायी थी बेटी की शादी
दारोगा की मौत के बाद हतप्रभ हैं इलाके के लोग
बेगूसराय(नगर) : शहर के पुलिस लाइन के समीप दिन के दो बजे के आस-पास लोगों की भीड़ एवं आस-पास में गमगीन वातावरण लोगों को यह समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर अचानक यहां क्या हो गया है. धीरे-धीरे लोगों को पता चला कि दारोगा सुरेश ठाकुर अब हमलोगों के बीच नहीं रहे.देखते ही देखते लोगों की भारी भीड़ वहां पर जमा हो गयी.
शहीद दारोगा को एक पुत्र व छह पुत्रियां हैं :शहीद दारोगा सुरेश ठाकुर को एक मात्र पुत्र नीरज है. जो जीडी कॉलेज में स्नातक की पढ़ाई कर रहा है. छह पुत्रियों में प्रतिमा व प्रतिभा की शादी हो चुकी है. शेष चार पुत्री प्रीति, मन्यु, बुलबुल और नेहा की अभी शादी करनी शेष है. बताया जाता है कि दारोगा अपने बच्चों से प्रतिदिन फोन पर बात कर पढ़ाई-लिखाई के बारे में जानकारी लेते रहते थे. घटना के दिन भी उन्होंने परिवार के लोगों से बात की थी.
लेकिन उन्हें यह क्या पता कि उनकी यह आखिर बात हो रही है. घटना की जानकारी मिलते ही शहीद दारोगा की पत्नी व परिवार के अन्य सदस्य मरांची पटना के लिए रवाना हो गये .
परिजनों के क्रंदन से गमगीन हुआ माहौल : जैसे ही दारोगा के मौत की खबर घर पहुंची परिवार के सदस्य चीत्कार मारने लगे. दारोगा की पुत्री के चीत्कार से पूरा वातावरण गमगीन हो गया. आस-पास के लोग दारोगा के घर पहुंच कर सांत्वना दे रहे थे. परिजनों के क्रंदन से आसपास के लोगों की भी आंखें नम हो गयी. शहीद दारोगा के पुत्र नीरज के मोबाइल पर लगातार फोन की घंटी बज रही थी. वह स्तब्ध पड़ा हुआ था. बगल के लोग फोन रिसिव कर रहे थे.
मिलनसार व्यक्तित्व व ईमानदारी के लिए चर्चित थे दारोगा :शहीद दारोगा के घर पर उमड़ी लोगों की भीड़ और उपस्थित लोगों के जुबान से निकल रहे शब्दों के बोल दारोगा सुरेश ठाकुर की ईमानदारी व मिलनसार व्यक्तित्व को दरशा रहा था. आस-पास के लोग बताते हैं कि जब भी वे अवकाश के दौरान घर आते थे तो सबों के साथ उनका मिलना-जुलना होता है. आपसी भाईचारा के साथ घर-परिवार की बातें किया करते थे. शहीद दारोगा के बड़े भाई रामशरण ठाकुर गम में डूबे हुए थे.
लोगों को देख कर फफक पड़ते थे और अपने छोटे भाई के बारे में चर्चा करने लगते थे. दारोगा के बड़े भाई बताते हैं कि तेज तर्रार आइपीएस रंधीर वर्मा के समय में इनकी नियुक्ति हुई थी. उस समय से ही मेरा भाई पुलिस सेवा के प्रति हमेशा समर्पित रहा.
टेलीविजन पर समाचार प्रसारण के साथ ही पुलिस लाइन के पास मच गयी हलचल
दिन के दो बजे के लगभग टेलीविजन के माध्यम से लोगों को पता चला कि मरांची थाने के दारोगा 55 वर्षीय सुरेश ठाकुर की हत्या अपराधियों ने गोली मार कर दी. समाचार सुनते ही पनहांस एवं पुलिस लाइन के लोगों में हलचल तेज हो गयी. ज्ञात हो कि शहीद दारोगा लोहियानगर थाने के पुलिस लाइन के बगल में अपनी जमीन खरीद कर वर्षों से घर बना कर रहे थे. पटना के बाद उनकी पोस्टिंग मरांची थाने में दारोगा के पद पर हुई थी. निर्भीकता के लिए चर्चित उक्त दारोगा अपने कार्य के लिए जाने जाते थे.
10 मार्च को धूमधाम से दारोगा ने संपन्न करायी थी अपनी पुत्री की शादी
पिछले 10 मार्च को ही शहीद दारोगा ने अपनी दूसरी पुत्री प्रतिभा की शादी मोकामा क्षेत्र के सुजीत से बड़े ही धूमधाम से संपन्न कराया था. आंगन में शादी का सजा हुआ मंडप अभी मुरझाया भी नहीं था कि दारोगा को अपराधियों ने उनके परिवार से सदा के लिए अलग कर दिया. बताया जाता है कि अति निर्धन परिवार के दारोगा नौकरी के बाद अपनी कमाई से घर-परिवार का परवरिश कर रहे थे. बच्चों की पढ़ाई पर उनका विशेष ध्यान रहता था. उनके नहीं रहने के बाद अब लोगों को यह चिंता सता रही है कि परिवार के सदस्यों का अब कौन परवरिश कर पायेगा.

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