आपातकालीन सेवा महज दिखावा

अनदेखी. सुविधा नहीं रहने से मरीजों को हो रही है परेशानी कई पीएचसी में पदस्थापित नहीं हैं सर्जन कई स्वास्थ्य केंद्रों पर महिला डॉक्टरों की कमी है बेगूसराय (नगर) : राज्य सरकार भले ही सूबे के स्वास्थ्य केंद्रों में बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने का दावा करती हो लेकिन सच्चाई यह है कि अभी भी कई […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 19, 2016 8:00 AM
अनदेखी. सुविधा नहीं रहने से मरीजों को हो रही है परेशानी
कई पीएचसी में पदस्थापित नहीं हैं सर्जन
कई स्वास्थ्य केंद्रों पर महिला डॉक्टरों की कमी है
बेगूसराय (नगर) : राज्य सरकार भले ही सूबे के स्वास्थ्य केंद्रों में बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने का दावा करती हो लेकिन सच्चाई यह है कि अभी भी कई स्वास्थ्य केंद्र आवश्यक सुविधाओं से कोसों दूर है. नतीजा है कि पीएचसी पहुंचने वाले गंभीर रूप से बीमार मरीज सुविधा के अभाव में बड़े अस्पताल तक पहुंचने के पहले ही दम तोड़ देते हैं.
पीएचसी या रेफरल अस्पताल में आपातकालीन सेवा महज दिखावा : जिले के पीएचसी या रेफरल अस्पताल में आपातकालीन सेवा महज दिखावा है. पीएचसी में समुचित व्यवस्था नहीं रहने से इमरजेंसी एवं गंभीर मरीज उच्चतर अस्पतालों तक पहुंचने के क्रम में रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. तेघड़ा, भगवानपुर को छोड़कर कहीं भी सर्जन पदस्थापित नहीं हैं. कई स्वास्थ्य केंद्रों पर महिला डॉक्टरों की भी कमी है. कई जगहों पर तो आयुष डॉक्टरों के सहारे ही काम चलाया जाता है जबकि कागज पर रिपोर्टिंग में किसी और का नाम आता है.
सही तरीके से नहीं बन पाता है रोस्टर ड्यूटी : रोस्टर ड्यूटी सही तरीके से नहीं बनने के कारण एक ही डॉक्टर एक पाली में ओपीडी एवं इमरजेंसी करते हैं. इसका खामियाजा चेरियाबरियारपुर में पिछले दिनों गंभीर मरीज को भुगतना पड़ा.
जिला गुणवत्ता समिति की नहीं होती है बैठक : जिला गुणवत्ता समिति की बैठक सिर्फ मुख्यालय में होती है. ग्रामीण क्षेत्रों में गुणवत्ता की जांच करने वाला कोई नहीं है. नतीजा है कि इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है.
दबी रह जाती है कर्मियों की आवाज : प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में काम करने वाले डॉक्टरों,नर्सिंग स्टाफ, आशा सहित अन्य
मानदेय पर काम करने वाले कर्मियों की स्थिति दयनीय है. उनकी आवाज दबी रह जाती है. मानदेय भुगतान एवं राशि के समायोजन में भी
विषमताएं हैं. अगर पीएचसी में जिला स्वास्थ्य प्रशासन के द्वारा इन विषमताओं को दूर कर दिया जाये तो नि:संदेह आये दिन आम लोगों की जो शिकायतें सामने आती है उस पर विराम लग जायेगा.
रखी जा रही है पैनी नजर
जिले के सदर अस्पताल से लेकर विभिन्न अस्पतालों में आपातकालीन स्वास्थ्य व्यवस्था दुरुस्त रखने के लिए लगातार पैनी नजर रखी जा रही है. स्वास्थ्य सेवा में किसी प्रकार की लापरवाही न हो इसका पूरा ख्याल रखा जाता है.
डॉ हरिनारायण सिंह,सिविल सर्जन,बेगूसराय
पीएचसी में नहीं रहते हैं चिकित्सा पदाधिकारी
कई पीएचसी में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी नहीं रहते हैं. उनका आवास कहीं और होता है. जबकि सरकारी प्रावधान के तहत मुख्यालय या आठ किलोमीटर की परिधि में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को रहना है. बरौनी, भगवानपुर,शाम्हो, मटिहानी,साहेबपुरकमाल,खोदाबंदपुर में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी मुख्यालय से बाहर रहते हैं.
दिया जाने वाला खाना में भी अनियमितता
अस्पतालों में भरती मरीजों को दिया जाने वाला मुफ्त खाना,24/7 जेनेरेटर की सुविधा में भारी अनियमितता है. हमेशा से वित्तीय वर्ष के अंत में राशि की बंदरबांट होती रहती है. कई बार मरीजों के परिजनों और जनप्रतिनिधियों ने इस संबंध में आवाज भी उठायी लेकिन आज तक इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं हो पायी है.
कल्याण समिति में मनोनुकूल रखा जाता है सदस्य
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के मनोनुकूल जो सदस्य होते हैं उन्हें ही रोगी कल्याण समिति में रखा जाता है. जबकि कई बार इस दिशा में जनप्रतिनिधियों ने भी आवाज उठायी इसके बाद भी समिति गठन में विषमताएं हैं.

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