कागज पर ही सिमटा विकास
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दिनकर जयंती. लगेगा साहित्यकारों का मेला, लेकिन उपेक्षित है दिनकर की धरती
दिनकर की मनायी जायेगी 108 वीं जयंती
बीहट : तुमने दिया राष्ट्र को जीवन, राष्ट्र तुम्हें क्या देगा ।
अपनी आग तेज रखने को, बस नाम तुम्हारा लेगा।।
राष्ट्र कवि दिनकर से जुड़ी यह व्यथा समूचे सिमरियावासियों का दर्द बयां करती है. जयंती मनाते अरसा गुजर गया. घोषणाओं के बावजूद दिनकर आदर्श ग्राम सिर्फ कागज पर ही आदर्श हो पाया. उसे स्वच्छ व निर्मल ग्राम बनाने की योजना धराशायी हो गयी. एक आदर्श ग्राम के लोग यदि अपने गांव में बुनियादी सुविधाओं की समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो ग्राम विकास की इस नयी परिकल्पना के प्रति शासन-प्रशासन के नजरिये का अंदाजा लगाया जा सकता है.
सड़क, बिजली, साफ पीने का पानी, शौचालय एक आदर्श ग्रामवासियों की व्यथा है. इतना ही नहीं सिमरिया ग्राम को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की बहुप्रतीक्षित आकांक्षा और बार-बार की घोषणाओं के बावजूद राष्ट्र कवि की स्मृति में स्थापित सभागार को साउंड प्रूफ और वातानुकूलित नहीं बनाया जा सका है.वहीं घोषणाओं और समय की कसौटी पर खरा उतरते हुए सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉ बिंदेश्वर पाठक ने दिनकर प्लस टू उच्च विद्यालय में छह कमरों के निर्माण हेतु 15 लाख और पुस्तकालय के जीर्णाेद्धार के लिए पांच लाख की राशि संबंधित लोगों को दी है. दिनकर स्मृति विकास समिति के संरक्षक व पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि हालात हमारी वेदना और संवेदना को नहीं झकझोड़ते हैं,
तो इसमें कोई हैरत की बात नहीं है. समिति के सचिव मुचकुंद कुमार मोनू ने कहा दिनकर जी की समूची दुनिया मुरीद है पर उनकी मुरादों पूरा करने में हम अब तक असफल हैं. हर वर्ष 23 व 24 सितंबर को राष्ट्र कवि की जयंती अपने साथ कुछ आशाएं, उम्मीदें लेकर आती है. इस बार भी उनकी 108 वीं जयंती के अवसर पर दिनकर स्मृति विकास समिति के प्रयासों से साहित्यकारों, कवियों, राजनेताओं, समाजसेवियों, जनप्रतिनिधियों का जमावड़ा लगेगा और पुष्प अर्पित कर औपचारिकता का निर्वहन करते हुए आश्वासनों व घोषणाओं की झड़ी लगाते हुए अपने कर्तव्यों की इतिश्री मान लौट जायेंगे.
लेकिन सवाल यह है कि आखिर कब तक दिनकर के व्यक्तित्व व कृतित्व से शपथ लेकर आगे बढ़ने की प्रेरणा देनेवाले अपनी जिंदगी में उनके पैतृक गांव के विकास की शपथ लेंगे.
आठ दिवसीय जयंती कार्यक्रम शुरू
बीहट़ ऐसे आयोजन जहां एक ओर विद्यार्थियों में साहित्यिक संवेदना पैदा करते हैं, वहीं दूसरी ओर उन्हें जीवन के विभिन्न संदर्भाें से जोड़ते हैं. ये बातें बरौनी बीडीओ व कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ओम राजपूत ने कहीं. शनिवार को प्रोग्रेसिव सेंट्रल स्कूल, सिमरिया द्वारा राष्ट्र कवि दिनकर की 108वीं जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा दिनकर जी की कविताएं दशकों से जनमानस की स्मृति और वाणी में जिंदा हैं. इसके पूर्व उन्होंने दिनकर जी के तैलचित्र पर पुष्प चढ़ा कर श्रद्धा सुमन निवेदित किये एवं दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया.
जनवादी लेखक के अध्यक्ष अवधेश रंजन ने कहा राष्ट्रकवि अपनी प्रखरता, ओजस्विता, मौलिकता के कारण आज भी प्रासंगिक हैं. अध्यक्षता पुस्तकालय समिति के अध्यक्ष विशंभर प्रसाद सिंह ने की. इस अवसर पर विद्यालय के बच्चों ने दिनकर की कविताओं का सस्वर पाठ कर उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया.
विद्यालय के निदेशक विपिन कुमार सिंह ने आगत अतिथियों का स्वागत किया. मौके पर सिमरिया-एक पंचायत की मुखिया सोनी कुमारी, सरपंच रंजू देवी, सचिव मुचकुंद कुमार मोनू ,समिति के अध्यक्ष संजीत कुमार सिंह,रामनाथ सिंह,संजीव फिरोज, गजेंद्र झा सहित अन्य मौजूद थे. कार्यक्रम का संचालन प्रवीण प्रियदर्शी ने किया.