गुलजार होगा गढ़हारा रेल यार्ड
पहल . एक बार फिर हो रहा तैयार, जगी लोगों में आस गढ़हारा : वर्षों से वीरान पड़ा एशिया प्रसिद्ध गढ़हारा यार्ड के 22 सौ एकड़ भूमि के परिसर इसी वर्ष गुलजार होगा. 125 करोड़ की लागत से बनने वाली भारत की आधुनिक अश्वशक्ति डीजल मोटिव लोको शेड के उद्घाटन की तैयारी लगभग अंतिम चरणों […]
पहल . एक बार फिर हो रहा तैयार, जगी लोगों में आस
गढ़हारा : वर्षों से वीरान पड़ा एशिया प्रसिद्ध गढ़हारा यार्ड के 22 सौ एकड़ भूमि के परिसर इसी वर्ष गुलजार होगा. 125 करोड़ की लागत से बनने वाली भारत की आधुनिक अश्वशक्ति डीजल मोटिव लोको शेड के उद्घाटन की तैयारी लगभग अंतिम चरणों में है. गढ़हारा यार्ड की पुन: सुनहरे ऐतिहासिक पल का गवाह बनने को लेकर स्थानीय लोगों में अत्यंत खुशी देखी जा रही है.
मालूम हो कि रेल निगम बोर्ड द्वारा निर्माण कार्य को अंतिम रूप दिये जाने की तैयारी अंतिम चरणों में है. इसको लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों, संगठनों द्वारा लगातार उक्त भूमि पर रेल कल कारखाना निर्माण की मांग को लेकर स्थानीय युवाओं के सहयोग से निरंतर आंदोलन जारी रखा. कारखाने में स्थानीय युवाओं के भागीदारी की गारंटी हो. इसके लिए आंदोलन के माध्यम से मांग जारी है. भारत का आधुनिक डीजल लोको शेड जो अमेरिकी टेक्नोलॉजी के आधार पर बनकर लगभग तैयार है.
इसमें भारतीय रेल के डीजल इंजनों की संपूर्ण मरम्मती के साथ इंजनों की सर्विसिंग कर डीजल इंजन के नये प्रारूप का निर्माण किया जायेगा. वर्षों आंदोलन बाद विकास मोरचा के संयोजक अरुण कुमार श्रीवास्तव को रेल मंत्रालय ने गढ़हारा यार्ड भूमि पर 250 हाइ हॉर्स पावर डीजल मोटिव लोको शेड एवं 100 विद्युत इंजन लोको शेड निर्माण करने का पत्र के माध्यम से सूचित की. 2014 को उक्त भूमि पर महाप्रबंधक हाजीपुर मधुरेश कुमार द्वारा अश्वशक्ति डीजल मोटिव लोको शेड की आधारशिला किया था.
तीन सौ एकड़ भूमि में निर्माण कार्य चल रही है. इस शेड में राशि के अभाव में कई जुड़े उपक्रम नहीं बन पा रहे हैं. ट्रेनिंग सेंटर, हॉस्टल शेड के लिए जरूरी है. उक्त शेड में सारे प्रशिक्षित कर्मी ही ड्यूटी करने की स्वीकृति है. सीनियर डीएमइ प्रेम कुमार ने बताया कि इस नवनिर्मित लोको शेड से प्रति महीना 125 यूनिट इंजन तैयार करेगा. इसको लेकर न्यूजेनरेशन अंडर फ्लोर लेंथ मशीन से सफलतापूर्वक दोबारा ट्रायल किया जा चुका है. यह भारत का दूसरा कारखाना गढ़हारा में स्थापित होकर लगभग तैयार हो चुका है.
इसके पूर्व पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में स्थापित है. जबकि बाहर से आये लोको पायलट कर्मचारियों के लिए ठहराव को लेकर हॉस्टल व विश्रामालय की सुविधा अत्यंत आवश्यक है. विदित हो कि 1993 ई में रेल मंत्रालय द्वारा गढ़हारा का रेल यार्ड को बंद करने का आदेश दिया था. बीते 22 वर्षों के बाद गढ़हारा यार्ड भारतीय रेल के मानचित्र में ऐतिहासिक पल का गवाह बनने को तैयार है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आगामी अप्रैल से जून माह तक रेल मंत्री सुरेश प्रभु इस उपक्रम का उद्घाटन करेंगे.