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बिहार की प्राचीन मूर्तिकला का भारतीय कला इतिहास में रहा है अद्भुत योगदान : डॉ उमेशचंद्र

कला संस्कृति एवं युवा विभाग अंतर्गत बेगूसराय संग्रहालय बेगूसराय द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस समारोह में बिहार की प्राचीन मूर्तिकला विषयक प्रशिक्षण सह कार्यशाला को संबोधित करते हुए संग्रहालय के बिहार के पूर्व निदेशक डॉ उमेश चंद्र द्विवेदी ने कहा कि भारतीय कला इतिहास में बिहार की प्राचीन मूर्तिकला का अद्भुत योगदान रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | May 25, 2024 9:42 PM
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बेगूसराय. कला संस्कृति एवं युवा विभाग अंतर्गत बेगूसराय संग्रहालय बेगूसराय द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस समारोह में बिहार की प्राचीन मूर्तिकला विषयक प्रशिक्षण सह कार्यशाला को संबोधित करते हुए संग्रहालय के बिहार के पूर्व निदेशक डॉ उमेश चंद्र द्विवेदी ने कहा कि भारतीय कला इतिहास में बिहार की प्राचीन मूर्तिकला का अद्भुत योगदान रहा है. मौर्यकालीन दीदारगंज की यक्षी की प्रतिमा संसार के मूर्तिकला के मर्मज्ञों को अपनी ओर आकर्षित करती रही है. डॉ द्विवेदी ने मौर्यकालीन मूर्तियों से लेकर मध्यकालीन मूर्तियों को पीपीटी के माध्यम से प्रतिभागियों के सामने प्रस्तुत किया तथा उनसे परिचय कराते हुए उनके महत्व एवं पहचान की विधियों के बारे में जानकारी प्रदान किया. मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए वरिष्ठ शिक्षाविद डा भगवान प्रसाद सिन्हा ने कहा कि बिहार की प्राचीन मूर्तिकला अत्यंत महत्वपूर्ण है. जिसके गंभीर अध्ययन की आवश्यकता है. दूसरे रिसोर्स पर्सन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के वरिष्ठ मूर्ति वैज्ञानिक डा जलज तिवारी ने सनातन धर्म से संबंधित मूर्तियों के पहचान के विषय में पीपीटी के माध्यम से जानकारी दी. डा तिवारी ने ब्रह्मा, शिव, विष्णु, सूर्य, देवियां, नवग्रह, अष्टदिक्पाल,सप्तमातृका, नवग्रह आदि की मूर्ति शिल्प को सरल भाषा में प्रस्तुत किया. डा तिवारी बिहार के प्रायः सभी महत्वपूर्ण मूर्तियों का उल्लेख करते हुए उनके पहचान की तरीका को बताया. अन्य रिसोर्स पर्सन एवं मूर्ति विशेषज्ञ डा सुशांत कुमार ने बेगूसराय जिला के प्राचीन मूर्तियों का उल्लेख करते हुए कहा कि यहां अधिकतर कर्णाटकालीन मूर्तियां हैं. जिनपर दक्षिण भारतीय कला का स्पष्ट प्रभाव है. संग्रहालयाध्यक्ष डा शिव कुमार मिश्र ने बिहार की प्राचीन मूर्तिकला का परिचय प्रस्तुत करते हुए कार्यक्रम का संचालन किया जबकि भारद्वाज गुरुकुल के निदेशक शिव प्रकाश भारद्वाज ने आगत अतिथियों का स्वागत किया. कार्यशाला में जी डी कालेज बेगूसराय के एसिस्टेंट प्रोफेसर डा अनिल कुमार, कोआपरेटिव कालेज के एसिस्टेंट प्रोफेसर डा कुमारी रंजना, बरौनी कालेज के एसिस्टेंट प्रोफेसर डा भारती कुमारी, राजकीय मध्य विद्यालय, बीहट के अनुपमा सिंह ने भी विचार व्यक्त किया. कार्यक्रम में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के शोध छात्र मुरारी कुमार झा सहित अन्य कई शोध छात्रों के अलावा तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय एवं अन्य विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं ने भाग लिया. संग्रहालय सप्ताह के अंतिम दिन सुबह में विरासत जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें सरकारी एवं गैर-सरकारी स्कूलों के सैकड़ों बच्चों ने भाग लिया. अपनी विरासत को बचाने के लिए पीपीटी के माध्यम से संग्रहालयाध्यक्ष डॉ शिव कुमार मिश्र द्वारा बच्चों को संबोधित किया गया. डा मिश्र ने बच्चों को बिहार की सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक से परिचय कराते हुए अधिक से अधिक लोगों से इसके बारे में बताने हेतु बच्चों से आग्रह किया. संग्रहालय द्वारा विरासत संबंधी विभिन्न प्रतियोगिताओं का जो आयोजन किया गया था.उनमें सफल छात्रों को प्रमाण पत्र एवं राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी की आत्मकथा तथा अमर शहीद बाबू वीर कुंवर सिंह की जीवनी से पुरस्कृत किया गया. अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित भारद्वाज गुरुकुल के निदेशक शिव प्रकाश भारद्वाज ने सफल बच्चों को पुरस्कार प्रदान किया.

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