थैलीसीमिया दिवस के अवसर पर जीडी कॉलेज बेगूसराय में राष्ट्रीय सेवा योजना व सेहत केंद्र के स्वयंसेवक के द्वारा थैलीसीमिया जागरूकता सेमिनार का आयोजन किया जिसका नेतृत्व कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ सहर अफरोज कर रही थीं. मुख्य अतिथि के तौर पर थैलीसीमिया से पीड़ित बच्चों के अभिभावक सुजीत गुप्ता और सद्दाम आये थे जिन्होंने स्वयंसेवक को थैलीसीमिया के बारे में विस्तार से बताया. कार्यक्रम में मंच संचालन सुमित कुमार ने किया. वहीं धन्यवाद ज्ञापन रेशमा खातून ने किया. सेहत केंद्र प्रमुख सुमित कुमार ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से आये हुए दोनों अतिथि सुजीत गुप्ता और सद्दाम को पौधा देकर सम्मानित किया गया. उन्होंने अपील की कि जिस तरह मोबाइल को इस्तेमाल करने के लिए चार्ज करना पड़ता है उसी तरह थैलीसीमिया पीड़ित बच्चों को हर 15 से 30 दिनों में खून चढ़वाना पड़ता है. तरह-तरह की दवाइयां, टेस्ट और ब्लड ट्रांस फ्यूजन जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, उस परेशानी से बचने का एक ही उपाय है शादी से पूर्व ब्लड टेस्ट अनिवार्य रूप से करवाएं. मुख्य अतिथि सुजीत गुप्ता ने बताया कि थैलीसीमिया रोकने का एक ही विकल्प है जैसे शादी के समय जैसे हमलोग कुंडली का मिलान करते हैं ठीक उसी तरह से शादी से पहले एचबीए-2 जांच अवश्य करवाना चाहिए. अगर जांच में दोनों व्यक्ति थैलीसीमिया माइनर हुए तो उन्हें आपस में कभी भी शादी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि दो थैलीसीमिया माइनर व्यक्ति आपस में शादी करते हैं तो ज्यादा उम्मीद रहती है कि संतान थैलीसीमिया मेजर होगी. उन्होंने अपील की कि जिले में थैलीसीमिया से पीड़ित लगभग 68 बच्चे हैं जिनको हर 20 से 25 दिनों में रक्त चढ़ाने की जरूरत होती है. इस स्थिति में हम सभी से आग्रह करना चाहते हैं कि समय-समय पर रक्तदान करते रहें, ताकि रक्त केंद्र में रक्त की कमी न हो. सद्दाम ने स्वयंसेवक को जानकारी देते हुए कहा कि थैलीसीमिया बीमारी से बचने का एक मात्र उपाय है शादी से पहले दोनों के ब्लड को क्रॉस मैच करवा के विवाह पूर्व जांच को प्रेरित करने के लिए एक स्वास्थ्य कुंडली का निर्माण किया गया है जिसे विवाह पूर्व वर-वधू को अपनी जन्म कुंडली के साथ साथ मिलवाना चाहिए. स्वास्थ्य कुंडली में कुछ जांच की जाती है, जिससे शादी के बंधन में बंधने वाले जोड़े यह जान सकें कि उनका स्वास्थ्य एक दूसरे के अनुकूल है या नहीं. स्वास्थ्य कुंडली के तहत सबसे पहली जांच थैलीसीमिया की होगी. एचआइवी, हेपाटाइटिस बी और सी. इसके अलावा उनके रक्त की तुलना भी की जायेगी और रक्त में आरएच फैक्टर की भी जांच की जायेगी. सुमन कुमारी ने बताया कि इस प्रकार के रोगियों के लिए कुछ संस्थायें रक्तदान शिविर लगा कर रक्त प्रबंध कराती हैं. कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ सहर अफरोज ने बताया कि आज के कार्यक्रम में स्वयंसेवक रेशमा खातून, नीतीश कुमार, सुमित कुमार, अजित, मुस्कान, मनीषा कुमारी, अंकित राज, राजन गुप्ता का योगदान सराहनीय रहा. इन्होंने टीम वर्क कैसा किया जाता है, इसका मिसाल प्रस्तुत की.
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