बखरी. सकारात्मक सोच का परिणाम हमेशा ही बेहतर मिलता है. इलाके के बागवन गांव में मशरूम का उत्पादन कर युवा दंपती ने मिसाल पेश किया है.मशरूम को तैयार करने के लिए खेत या खुले मैदान की जरूरत नहीं होती है.घर के किसी कमरे में भी तैयार किया जा सकता है. घर के एक छोटे से कमरे में मशरूम का उत्पादन कर युवा दंपती ने घर में खुशहाली ही नहीं लाई,बल्कि आसपास के लोगों को भी इसके लिए प्रेरित किया है.बागवन गांव के अमित कुमार और उसकी पत्नी उषा कुमारी ने घर के कमरे में मशरूम का उत्पादन शुरू किया है.अमित कहते हैं कि उनकी पत्नी ने कहा कि वह कुछ करना चाहती है.जिसके बाद पति पत्नी ने मिलकर तीन दिनों के लिए बेगूसराय में मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग प्राप्त की.इसके बाद सरकार के कार्यक्रम फॉर्म स्कूल किसान पाठशाला में 6 दिनों की ट्रेनिंग हासिल किया.हालांकि इस ट्रेनिंग में 25 किसानों ने हिस्सा लिया.उसके बाद सरकार की तरफ से उन्हें 7500 का प्रोत्साहन राशि दिया गया और उन्होंने 70 से 80 दिनों में ही 30 हजार तक का मशरूम उत्पादन कर बेच डाला.इससे इन्होंने 22500 का मुनाफा कमाया.युवा दंपति ने बताया कि 100 स्क्वायर फीट के कमरे में उन्होंने सिक्का विधि से मशरूम का उत्पादन शुरू किया है.इसमें कुल लागत 10030 रुपए का आया है. फिलहाल उन्होंने शुरुआत में एक सौ बैग में मशरूम के बीज डाले थे.इस काम में उनकी मां उषा देवी भी सहयोग कर रही है.प्रथम चक्र के 30 दिनों के बाद उन्हें 100 केजी मशरूम प्राप्त हुआ है और 20 हजार का लाभ हुआ है. इसके 15 से 20 दिनों के अंतराल के बाद 50 केजी और 10,000 का लाभ,तीसरे चक्र में 30 केजी और 6000 का लाभ,चौथे चक्र में 20 केजी और 4000 का लाभ मिला है. उन्होंने बताया कि महज 90 दिनों में उन्हें 40 हजार का मशरूम बेचा है.इससे 30000 का फायदा हुआ है.इसे बेचने के लिए उन्हें बाज़ारों में जाना नही पड़ता है.उनके घर पर ही लोग मसरूम लेने आ जाते है.उन्होंने बताया कि कम लागत में अच्छा मुनाफा हो रहा है.अगर इसके नमी और तापमान को बनाए रखा जाए तो पांचवे और छठे चक्र में भी मशरूम का उत्पादन किया जा सकता है.इससे मुनाफा और भी बढ़ सकता है.इनसे प्रेरित होकर गांव की ही रिंकी कुमारी ने 10 फरवरी को अपने घर में मशरूम का उत्पादन शुरू किया है, जो काफी खुश नजर आ रही है.बताया कि उषा जिला कृषि कार्यालय बेगूसराय में बिहार स्किल डेवलपमेंट मिशन के तहत 240 घंटे के प्रशिक्षण प्राप्त की हैं.इस प्रशिक्षण के बाद इसे एक प्रमाण पत्र दिया गया और साथ ही सरकार की तरफ से 50 फीसदी सब्सिडी दी गई.जो यह ट्रेनिंग 40 दिनों तक दी गई थी.उषा के साथ गांव की ही अंजू,नीतू,रिंकी और सरस्वती समेत 5 महिलाएं इस ट्रेनिंग में भाग ली हैं.जो कि इनसे काफी प्रभावित हुई हैं.कृषि विभाग के अधिकारी ने बताया कि इलाके में अमित और उषा की जोड़ी रोल मॉडल के रुप में सामने आ रही है.इनसे कई लोग प्रेरित हुए हैं. फिलहाल यहां चार प्रकार के मशरूम का उत्पादन किया जा रहा है.दंपती ने बताया कि इनके द्वारा वेस्टर मशरूम का उत्पादन किया जा रहा है.ऐसे बटन मशरूम,मिल्की मशरूम और पुआल मशरूम भी हैं.बताया कि मशरूम की खेती केमिकल और ऑर्गेनिक दोनों विधि से की जाती है. केमिकल मेथड में फॉर्मलीन कीटनाशक, बेब्स्टीन ,स्पोन बीज, बांस, भूसा, थैली, रस्सी, रबड़, कांटी, तार, हाइग्रोमीटर आदि की आवश्यकता पड़ती है. जबकि ऑर्गेनिक विधि में थैला,भूसा, स्पोन बीज आदि की जरूरत पड़ती है. ऑर्गेनिक विधि में लागत काफी कम आती है.
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युवा दंपती ने शुरू किया मशरूम का उत्पादन, लागत से तीनगुना हो रही कमाई
बागवन गांव के अमित कुमार और उसकी पत्नी उषा कुमारी ने घर के कमरे में मशरूम का उत्पादन शुरू किया है
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