Durga Puja: बिहार के बेगूसराय जिले के बरौनी गांव में स्थित घटकिंडी वाली मैया दुर्गा अपने दिव्य स्वरूप में भक्तों का कष्ट हरने के लिए नित्य विराजमान रहती है. माता का यह मंदिर न केवल आस्था का प्रतीक है बल्कि चमत्कारों की कहानियों से भरा पड़ा है. मां दुर्गा का यह पवित्र मंदिर बरौनी जंक्शन से लगभग चार किलोमीटर एवं बरौनी फ्लेग स्टेशन से लगभग डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
संकल्प मात्र से ही पूरी होती है मनोकामना
इस ऐतिहासिक मंदिर के बारे में ग्रामीण एवं जानकार बताते हैं यहां पर संकल्प मात्र से ही श्रद्धालुओं का मनोकामना पूर्ण होती है. इस मंदिर में शारदीय नवरात्रि के समय खास आयोजन होता है, जिसमें मां के समस्त स्वरूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि के दिनों में यहाँ सप्तमी और अष्टमी तिथि की पूजा का खास महत्व है. यहां सप्तमी तिथि को श्रृंगार और प्राण प्रतिष्ठा एवं अष्टमी तिथि को तांत्रिक एवं वैदिक दोनों विधियों से मां की पूजा-अर्चना की जाती है. जिसे महानिशा पूजा कहते हैं. नवमी तिथि की सुबह से ही छागल की बलि तथा रात्रि में महिष की बलि दी जाने की पूर्व से ही परंपरा रही है एवं इस मंदिर में दशमी तिथि को हवन एवं विसर्जन का प्रावधान है.
यहां पूजा करने से पूरी होती हैं मुरादें
इस मंदिर में सालोभर प्रतिदिन हजारों लोग माथा टेकने आते हैं एवं पूरे विधि विधान से माता की पूजा अर्चना करते हैं. यहां साल भर पिंडी की पूजा और आरती होती है, लेकिन शारदीय नवरात्रि की तो बात ही अलग है मैया घटकिंडी दुर्गा स्थान की. भक्तों का मानना है किए यहां की गई पूजा-अर्चना से सभी मुरादें पूरी होती हैं.
1793 में हुई थी स्थापना
जानकारों के मुताबिक मंदिर की स्थापना 1793 ईस्वी में विद्वान पंडित शिव शरण उर्फ शिव प्रसाद पाठक के द्वारा की गयी थी. शुरुआत में यह मिट्टी का मंदिर था, जो स्थापना के करीब 20 साल बाद आयी भयानक बाढ़ में क्षतिग्रस्त हो गया था. लेकिन माता कि पूजा अर्चना पूरे विधि विधान से की जाती रही.
ब्रिटिश लॉर्ड की मन्नत हुई पूरी तो कराया मंदिर का जीर्णोद्धार
भयानक बाढ़ में मंदिर क्षतिग्रस्त होने के बाद 1818 में एक ब्रिटिश लार्ड मेना ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था. उस वक्त लार्ड मेना एक लाइलाज जख्म से काफी परेशान थे लाख कोशिश और चिकित्सकीय सलाह के बाद भी जख्म ठीक होने का नाम नहीं ले रहा था. जिसके बाद उन्होंने अपने एक कर्मचारी की सलाह पर घटकिंडी मैया की शरण में जाकर जख्म ठीक होने की मन्नत मांगी. जिसके कुछ महीने बाद जख्म ठीक होने लगा और वो स्वस्थ हो गये. इतना ही नहीं उनकी पत्नी ने भी घटकिंडी दुर्गा मैया से संतान सुख की मन्नत मांगी थी, जो पूरी हो गई थी. इस चमत्कार के बाद लॉर्ड मैना ने दिर का जीर्णोद्धार करवाया गया और पूरे विधि-विधान के साथ घटकिंडी दुर्गा मंदिर में धूम धाम से पूजा अर्चना की गई.
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मनोकामना माता के नाम से भी प्रसिद्ध है मंदिर
1971 में दुर्गा स्थान और धर्मशाला का पक्कीकरण किया गया तथा खपरैल की छत वाली दो कमरों की धर्मशाला का भी निर्माण कराया गया. माता की महिमा और चमत्कार राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हैं. तथा घटकिंडी दुर्गा मैया स्थान मनोकामना माता के नाम से प्रसिद्ध है. मान्यता है कि भक्तजन सच्ची श्रद्धा से जो भी कामना करते हैं, माता उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.