Begusarai News : किसानों ने संघर्ष का किया ऐलान, कहा-जान दे देंगे, पर अपनी जमीन नहीं जाने देंगे

Begusarai News : बरौनी सीओ सूरजकांत द्वारा उपरोक्त आम सूचना के निकालते ही क्षेत्र के किसानों में आक्रोश फैल गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 29, 2024 10:07 PM

बीहट. औद्योगिक क्षेत्र को विकसित करने के लिए मौजा मल्हीपुर थाना नं- 503, खाता- 261, खेसरा-890 एवं 891, जो खतियान के अनुसार गैरमजरुआ खास भूमि है. इस भूमि पर औद्योगिक क्षेत्र को विकसित करने के लिए 700 एकड भूमि को चिह्नित किया गया है. इस भूखंड पर किन्ही आम खास को कोई आपत्ति हो तो दो दिसंबर तक बरौनी अंचलाधिकारी के कार्यालय में सभी साक्ष्यों के साथ अपना आपत्ति आवेदन समर्पित कर सकते हैं. निर्धारित तिथि के बाद प्राप्त आपत्ति पर कोई विचार नहीं किया जायेगा. इसे आवश्यक समझें. बरौनी सीओ सूरजकांत द्वारा उपरोक्त आम सूचना के निकालते ही क्षेत्र के किसानों में आक्रोश फैल गया है. शुक्रवार को आक्रोशित किसानों ने मल्हीपुर काली स्थान परिसर में बैठक की. बैठक में मल्हीपुर, विष्णुपुर, चकिया, बीहट, कसहा एवं बरियाही सहित आसपास के गांव के सैंकड़ों किसान शामिल हुए और एक स्वर में जिला प्रशासन के इस कदम को तुगलकी फरमान करार देते हुए संघर्ष का ऐलान कर दिया. बैठक में मौजूद शशिभूषण सिंह, रामाशीष सिंह, सुधीर सिंह, रजनीश पटेल, मुकेश राय, जापान राय, बीहट नगर परिषद के उपमुख्य पार्षद ऋषिकेश कुमार, शशिभूषण यादव ,रंजीत यादव सहित अन्य किसानों ने कहा अपनी जान दे देंगे,जमीन नहीं देंगे. जिला प्रशासन यदि जोर जबर्दस्ती करेगा तो इसी जमीन पर मर जायेंगे. जब जमीन ही नहीं रहेगा तो जिंदा रहकर क्या करेंगे. हमारे जमीन पर औद्योगिक क्षेत्र बनाने का यह सरकार का निर्णय पूरी तरह से गलत है. तीन दिन पहले डीएम आये और अधिकारी को भूमि चिन्हित करने का निर्देश दे दिया गया. यह कहीं से भी उचित नहीं है.

किसानों की अपनी है दलील

किसानों का कहना है कि उक्त खेसरा नंबर 890 एवं 891 में 1931 बीघा जमीन है. इस जमीन की जमाबंदी सरकार ने निरस्त कर दी है. हमलोगों को बंदोबस्ती से 1932 में यह जमीन हासिल हुई थी. तबसे इसपर हमारे पूर्वज खेती करते आ रहे हैं. जमीन का कागज हमारे पास है. इसका राजस्व लगान रसीद हमलोग कटाते आ रहे हैं,अब राजस्व विभाग की बेवसाइट से इस जमीन का डिटेल हटा दिया गया है. 25 नवंबर से जमाबंदी रद्द कर दी गयी है. पहले भी इस जमीन का मामला कोर्ट में गया था, तो कोर्ट ने किसान के पक्ष में निर्णय दिया.

बरौनी थर्मल के पुराने व नये प्रोजेक्ट से मिल चुका है किसानों को मुआवजा

किसानों ने कहा कि बरौनी थर्मल पावर के पुराने व नये प्रोजेक्ट में भी इसी खेसरा से जमीन लिया गया, जिसका मुआवजा अभी किसानों को दिया गया. फिलहाल हाईकोर्ट के निर्देशानुसार बेगूसराय कोर्ट में टाइटिल सूट चल रहा है. इसके बावजूद बिहार सरकार जमाबंदी रद्द कर रहा है. बाध्य होकर हम सभी किसान आंदोलन करने को मजबूर हैं. उपमुख्य पार्षद ऋषिकेश कुमार ने कहा कि जिसके पास जमीन नहीं उसे सरकार जमीन उपलब्ध कराती है. यहां किसानों की जमीन सरकार जबर्दस्ती लेना चाहती है,यह नहीं होगा. हम संघर्ष करेंगे और जीतेगे.

कागज जमा करने गये, तो लेने से किया इन्कार

वहीं राजकुमार महतो, गोरेलाल महतों, मेघु महतों, प्रमोद निषाद, सोहन महतों, गोविंद कुमार, पंकज कुमार एवं भागवत बिंद ने कहा कि सीओ द्वारा आपत्ति दर्ज कराने के लिए दो दिसंबर तक की तिथि तय की गयी है. लेकिन हमलोग जब अपना-अपना कागजात लेकर बरौनी सीओ के कार्यालय में गये तो वहां हमारे द्वारा प्रस्तुत किये जिने वाला कागज लेने से इंकार कर दिया गया. जिसके कारण डाक से भेजा गया है,यहां बड़ी साजिश रची गयी है.

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