कांवर की जमीन का सर्वे वन विभाग के नाम करने के खिलाफ किसानों का धरना
कांवर पक्षी आश्रयणी क्षेत्र में सर्वे के क्रम में किसानों के अधिकार हटाने के विरोध में अनुमंडल कार्यालय के पास भविष्य भारती स्कूल के मैदान में किसानों ने शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन किया.
मंझौल. कांवर पक्षी आश्रयणी क्षेत्र में सर्वे के क्रम में किसानों के अधिकार हटाने के विरोध में अनुमंडल कार्यालय के पास भविष्य भारती स्कूल के मैदान में किसानों ने शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन किया. जिसकी अध्यक्षता कावर किसान महापंचायत के सदस्य बल्लभ बादशाह ने किया. जिसमें मंझौल तथा बखरी अनुमंडल के कई गांव से किसान धरना स्थल पर पहुंचे. इस महासभा की शुरुआत मंझौल पुस्तकालय चौक से किसानों ने पैदल मार्च करते हुए सत्यारा चौक पर महात्मा गांधी को माल्यार्पण करते हुए भविष्य भारती मैदान स्थित सभा स्थल पर सैकड़ों की संख्या में किसान पहुंचे. सभा को संबोधित करते हुए किसान धनंजय कुमार ने कहा कि चुनाव के समय में वोट लेने के लिए नेता आते हैं. लेकिन बहुत लंबे संघर्ष कर रहे किसानों की पीड़ा आज तक किसी ने सुनने का प्रयास नहीं किया. अब सरकार की इस नई नीति जो किसानों को सीधे मौत के घाट उतारना चाह रही है. इसे अगर बदला नहीं गया, तो कोई भी नेता को इस दोनों अनुमंडल के अंतर्गत प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा. हम किसानों की आजीविका ही खेती है. अगर सरकार के द्वारा वह खेत ही छीन लिया जाए. तो हम लोग सीधे मौत के गोद में सोने के लिए तैयार हैं. राजेश कुमार ने कहा कि किसान काफी लंबे समय से संघर्ष कर रहा है. 2017 में भी विभागीय पदाधिकारी के पहल पर सरकार के द्वारा नियम को बदलते हुए अधिग्रहण की भूमि के क्षेत्रफल को घटाने की बात कही गई थी. जिससे किसानों ने राहत की सांस ली थी. पुनः जारी यह नया फरमान किसानों के लिए सीधा डेट वारंट की तरह कहर ढा रही है. कोई भी अधिकारी तथा पदाधिकारी किसानों की पीड़ा सुनने को तैयार नहीं है. अगर ऐसा ही चलता रहा, तो किसान उग्र आंदोलन को भी आतुर होंगे. जिसकी पूर्ण जबाबदेही सरकार के साथ-साथ अधिकारी एवं पदाधिकारी की होगी. वर्ष 2013 में टावर क्षेत्र के जमीन के खरीद बिक्री पर लगे प्रतिबंध के बाद आंदोलन को उतारू हुए किसानों को 2017 में सरकार के द्वारा उनकी मांगों को सुना गया. इसके बाद सरकार कावर क्षेत्र के 3000 एकड़ भूमि को अधिग्रहण करने की बात पर किसान से समन्वय बनाया. जिसके बाद किसानों ने तो राहत की सांस ले ली, लेकिन वर्ष 2024 में नए सर्वे के तहत जारी अधिसूचना ने किसानों को फिर से मर्माहत हो गए. जिसके बाद किसान शुक्रवार के 9:00 बजे दिन से ही धरना स्थल पर अनुमंडल क्षेत्र के विभिन्न गांव से जमा होने लगे. दिन के लगभग 11:00 तक सैकड़ो की संख्या में किसान धरना स्थल पर जमा होकर अपनी मांगों को रखने के लिए विचार विमर्श करने लगे.
कहते हैं मंझौल अनुमंडल पदाधिकारी :
अनुमंडल पदाधिकारी मंझौल प्रमोद कुमार ने बताया कि किसने की एक कमेटी अपनी 4 सूत्री मांगों को लेकर यहां पर आए थे। जो नीतिगत मामले इसमें है. उससे जिला पदाधिकारी को अवगत कराया जाएगा. उनके स्तर से जो है उनके मामले को निपटारा करने का प्रयास किया जाएगा. किसानों के इस मामले से पूर्व भी जिला पदाधिकारी को अवगत कराया गया है. किसानों के द्वारा दिए गए आवेदन के आलोक में फिर से अपने वरीय पदाधिकारी को अवगत कराया जाएगा. किसानों से भी निवेदन है कि वह अपनी मांगों को रखते हुए शांतिपूर्ण आंदोलन करें. किसी भी प्रकार का उग्र आंदोलन नहीं करें. प्रशासन आपके सहयोग में हमेशा खड़ा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है