बेगूसराय. पिछले 48 घंटे में वायु प्रदूषण का लेवल 141 अंक बढ़ते हुए 259 पर पहुंच गया है, जो एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्विआइ) खराब की श्रेणी में आता है. वैसे तो ठंड का मौसम शुरू होते ही वायु प्रदूषण की समस्या शुरू हो जाती है. दीपावली में जलने वाले पटाखे व फुलझड़ी भी वाहक है. प्रभात खबर ने 30 अक्टूबर को वायु प्रदूषण की बढ़ती समस्याओं व उनके निराकरण पर खबर लिखी थी. कोई प्रशासनिक पहल नहीं होने की वजह से प्रदूषण का लेवल बढ़ गया है. इस संबंध में जानकारों का कहना है कि जब हल्की ठंड रहती है, तो धूलकण वायुमंडल में घुलनशील नहीं हो पाता है. 10 मीटर की ऊंचाई तक ही धूलकण रह जाता है. जब ठंड बढ़ेगी तब कुछ राहत होने की उम्मीद है. वहीं जिले में दीपावली को लेकर देर रात तक पटाखे की आवाज से वातावरण गूंजता रहा.लोगों ने माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूरे भक्ति भाव के साथ पूजा अर्चना किया. शाम से ही घरों व विभिन्न प्रतिष्ठानों दुकानों में श्रीगणेश लक्ष्मी की पूजा शुरु हो गयी थी.देर रात तक शहरों में सड़क पर लोगों का आवागमन होता रहा. दीपावली के अवसर पर लोगों ने जमकर मिठाइयों का स्वाद लिया तथा पटाखे छोड़े. बच्चों में भी आतिशबाजी को लेकर विशेष उत्साह दिखा. फुलझड़ी, घिरनी, स्नेक, लॉव आकाशी आदि का बच्चों ने भी जमकर आनंद उठाया. ग्रीन पटाखे तथा धूमधड़ाके वाले पटाखे की भी जमकर लोगों ने उपयोग किया. जिले में लोगों ने दीपावली त्योहार की उत्साह में लगभग तीन करोड़ की राशि के पटाखे फोड़ डाले. पटाखों की कीमतों में उछाल के बावजूद लोगों का पटाखा फोड़ने की उत्साह में कमी नहीं आयी. पटाखे के इस्तमाल पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद जनजागरुकता के अभाव में तथा उत्सवी उत्साह के कारण लोगों ने जिले में लगभग तीन करोड़ की राशि पटाखे व आतिशवाजियों में स्वाहा कर दिया. इनमें ज्यादातर फूटने वाले धूमधड़ाके वाले पटाखे की थी. ग्रीन पटाखों का अनुपात कम था.ग्रीन पटाखों के इस्तमाल को लेकर जनजागरुकता अभियान तो चला परंतु लोग एक बार फिर धूमधड़ाके वाले पटाखें में ही आनंद तलाशते दिखे. जिससे एक बार फिर इस बात को बल मिल गया कि जब तक प्रशासनिक स्तर पर पटाखे की बिक्री व इस्तमाल को लेकर ठोस पहल नहीं होती है प्रदूषण के मामले में पटाखे से निकलने वाले धुएं भी अपनी भागीदारी निभाते रहेंगे. प्रदूषण के मामले में खतरनाक होते है धूमधड़ाके वाले पटाखें. यह सही है कि वायु प्रदूषण की एकलौती वजह पटाखे नही होते हैं.परंतु प्रदूषण में दिवाली पर जलने वाले पटाखे की भी हिस्सेदारी होती है. पटाखे से प्रदूषण के 2.5 कण निकलते है.यह कण हवा में मिलकर वायु प्रदूषण में अपनी हिस्सेदारी बढाती है.जो पर्यावरण व स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक होते हैं.जिले में भी पटाखे से प्रदूषण बढा है.
पिछले वर्ष देश में पहले स्थान पर रहा बेगूसराय :
वायु प्रदूषण की बात करें तो पिछले वर्ष पूरे देश में बेगूसराय जिला दो-तीन दिनों तक पहले स्थान पर रहा था. केंद्र सरकार व राज्य सरकार की तरफ से जब पहल हुई तब जाकर जिला प्रशासन राहत योग्य कुछ कार्य करना शुरू की थी. जैसी स्थिति प्रतीत हो रही है यदि जिला प्रशासन वायु प्रदूषण के मामले में कुछ पहल नहीं करती है तो आने वाले समय में एयर क्वालिटी इंडेक्स बढ़ने वाला है. जिसका प्रभाव सीधे मानव जीवन के स्वास्थ्य पर पड़ेगा.वायु प्रदूषण के मुख्य कारण :
बेगूसराय जिले में वायु प्रदूषण का मुख्य कारण बढ़ते कल-कारखाना, ईंधन युक्त वाहनों की बढ़ोतरी, बिना ढके बिल्डिंग कंट्रक्शन का कार्य माना जाता है. वहीं कुछ स्थानों पर जलाएं जाने वाले धान की पराली भी वाहक है. जब वायु प्रदूषण का लेवल बढ़ता है तब परिवहन विभाग भी जागता है. 15 वर्षो से अधिक दो पहिया वाहनों के रजिस्ट्रेशन पर रोक लगा दी जाती है. यदि समय रहते वायु प्रदूषण को कम करने के लिये आवश्यक पहल नहीं कि गयी तो हृदय रोग, सांस लेने में परेशानी, फेफड़े की समस्या आदि उत्पन्न होना शुरू हो जायेगा.प्रशासनिक पहल रही नदारद :
वायु प्रदूषण कम करने के लिये बेगूसराय जिले में प्रशासनिक पहल नदारद है. ऐसा लग रहा है जैसे जिला प्रशासन वायु प्रदूषण बढ़ने का इंतजार कर रही हो. वायु प्रदूषण कम करने के लिये जिस रास्ते में धुल अधिक रहती है. ऐसे रास्तों पर पानी का छिड़काव, पौधरोपण, सड़क किनारे पेड़-पौधों पर पानी डालने का काम किया जा सकता है.ऐसे समझें वायु प्रदूषण का आंकड़ा0-50 अच्छा51-100 संतोषजनक101-200 मॉडरेट
201-300 खराब301-400 बहुत खराब401-500 खतरनाक
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