Begusarai News : नववर्ष पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए 21 प्वाइंटों पर मजिस्ट्रेटों की हुई तैनाती
Begusarai News : नववर्ष के अवसर पर 52 शक्तिपीठों में से एक ऐतिहासिक जयमंगला मंदिर में पूजा अर्चना कर सालों भर मंगल कामना के लिए पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए 21 प्वाइंट चिन्हित किया गया है.
चेरियाबरियारपुर. नववर्ष के अवसर पर 52 शक्तिपीठों में से एक ऐतिहासिक जयमंगला मंदिर में पूजा अर्चना कर सालों भर मंगल कामना के लिए पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए 21 प्वाइंट चिन्हित किया गया है. जहां चुस्त-दुरुस्त प्रशासनिक व्यवस्था के बीच मजिस्ट्रेट एवं बलों की तैनाती कर दी गई है. विदित हो कि इस अवसर पर देश एवं प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती रही है. परंतु इस वर्ष अनुकूल मौसम के मद्देनजर पूर्व की अपेक्षा और अधिक संख्या में यहां श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना के मद्देनजर पूरा प्रशासनिक अमला तैयारियों में जुटा हुआ है. उक्त बाबत एसडीएम मंझौल प्रमोद कुमार ने बताया नववर्ष के अवसर पर पहुंचने वाले पर्यटकों की भीड़ के नियंत्रण की प्रशासनिक तैयारियां पुरी कर ली गई है. इसके लिए पूरे क्षेत्र में 21 प्वांइट बनाया गया है. जहां पर मजिस्टेट के साथ पुलिस अधिकारी व बल की तैनाती कर दी गई है.
टापूनुमा है जयमंगला माता का मंदिर
कांवर झील के आगोश में माता जयमंगला की मंदिर हिन्दू धर्मावलम्बियों के अनुसार सिद्धपीठ के रूप में मशहूर है. वर्षों तक तंत्रविद्या सिद्धि का यह उपयुक्त स्थली बनी रही है. चूंकि हिन्दू धर्म में साधना के लिए मंगलवार और शनिवार के दिन उपयुक्त माना गया है. इसी विधि विधान के तर्ज़ पर आज भी यहां पर मंगलवार एवं शनिवार के दिन पूजा-पाठ का विधान है. तथा क्षेत्र से सैंकड़ों की संख्या में इस दिन लोगों की भीड़ यहां पहुंचती है. हालांकि सुरक्षा के दृष्टिकोण से नववर्ष पर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश विगत लगभग 06 वर्षों से वर्जित कर दिया गया है. जिसके फलस्वरूप यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के मन में माता का दर्शन ना कर पाने की कसक देखी जा रही है. हालांकि इस वर्ष मंदिर का पूराना स्वरूप भी आंधी और तूफान का भेंट चढ़ चुका है. नए सिरे से मंदिर निर्माण का कार्य फ़िलहाल रूका हैं. लेकिन श्रद्धालुओं को जल्द ही नए और भव्य रूप में माता का मंदिर देखने की भी उम्मीद है. इस स्थल बौद्ध धर्मावलम्बी बौद्ध स्थल भी मानते हैं. बौद्ध साहित्य में भगवान बुद्ध के परिभ्रमण क्रम में यहां आगमन का आख्यान है. उन्होंने 22 घंटों का यहां विश्राम लिया था. ऐसी मान्यता बौध धर्मावलंबी देते आ रहे हैं.अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए तरस रहा प्रसिद्ध जयमंगलागढ़ मंदिर
पिकनिक स्पॉट स्थल के रूप में प्रसिद्ध जयमंगलागढ़ अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए तरस रही है. सरकार के अदूरदर्शी सोच के कारण इस स्थल का विकास नहीं हो पाया है. कांवर झील अब नाले का रूप धारण कर चुकी है. काबर झील की रमणिक यादें पर्यटकों एवं स्थानीय लोगों बरबस ही खींच लाती थी. झील में सूर्योदय के साथ कमल खिलना, मछलियों के तैरने, पेड़-पौधों और कलरव करते पक्षियों के झुंड, बंदरों के साथ हुड़दंग का मजा उठाना आदि सब कुछ सिमटता सा जा रहा है. या यूं कहें की बस ये सब बातें अब यादों में ही रह गई है. तो भी बेजा नहीं होगा. परंतु विशेषज्ञ बताते हैं कि सरकार के उपेक्षा का शिकार प्रकृति की अनुपम भेंट तथा संभावनाओं से आज भी लबालब भरा हुआ है. जिसकी प्रमाणिकता नववर्ष के अवसर पर पहुंचने वाली लाखों लोगों की भीड़ बयां करती है.
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