विपिन कुमार मिश्र, बेगूसराय. बदलते परिवेश में बड़े पैमाने पर युवा रोजगार नहीं खोज रहे हैं बल्कि स्वरोजगार की ओर प्रेरित होकर खुद लोगों को रोजगार दे रहे हैं. कोरोना काल के बाद बेगूसराय में छोटे-छोटे दो सौ से भी अधिक स्वरोजगार शुरू किए गए लेकिन अब यहां के एक युवा ने ऐसा स्टार्टअप (Startup) किया है जो बिहार के लिए नयी बात है.
Startup से 20 लोगों को दे रहे रोजगार
बेगूसराय जिले के बरौनी प्रखंड स्थित पिपरा देवस निवासी निशांत रंजन ने केला से चिप्स बनाने की फैक्ट्री लगाई है. फैक्ट्री भी पूरी तरह से ऑटोमेटिक और अत्याधुनिक तकनीक से युक्त है. इसके बाद निशांत ना सिर्फ बेगूसराय के पहले स्टार्टअप बन गए हैं, बल्कि उन्होंने शुरुआती दौर में 20 लोगों को रोजगार दिया है.
देश के कई Startup का लिया जायजा
उद्योग धंधा शुरू करने के लिए सरकार द्वारा प्रेरित करने पर बेगूसराय में जब बड़े पैमाने पर छोटे बड़े रोजगार शुरू किए गए तो निशांत ग्वालियर में बीएससी की पढ़ाई कर रहे थे. उनका ध्यान स्वरोजगार की ओर गया तो बेंगलुरु में कार्यरत अपने इंजीनियर दोस्त से बात की. बेंगलुरु के विभिन्न औद्योगिक प्रतिष्ठानों का जायजा लिया. गुजरात जाकर भी कई स्टार्टअप देखे. इसी दौरान केला के चिप्स पर नजर गयी जिसके बाद अपने पिता से बात किया. पिता को भी ले जाकर घुमाया, इसके बाद गांव में ही फैक्ट्री लगाने की सोची.
26 लाख रुपए से शुरू किया Startup
लखनऊ से बनाना बैफर इलेक्ट्रिक कड़ाही, ड्रायर, मसाला मिक्सिंग और ऑटोमैटिक पैकिंग मशीन लाया. करीब 26 लाख रुपए की लागत से उन्होंने अभय एग्रो चिप्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से अपने स्वरोजगार की शुरुआत की. प्रत्येक महीने 40 से 50 हजार पैकेट चिप्स बना रहे हैं. तीन माह की वैलिडिटी वाला चिप्स मसाला युक्त बनाया जा रहा है. इसमें उन्हें करीब 10 से 15 प्रतिशत की बचत हो रही है.
गांव के लोगों को गांव में रोजगार देने का है इरादा
निशांत रंजन ने बताया कि आज लोग पढ़-लिखकर रोजगार खोज रहे हैं लेकिन सभी लोगों को रोजगार देना सरकार से संभव नहीं है. हम चाहे तो खुद का रोजगार शुरू कर गांव में ही लोगों को रोजगार दे सकते हैं. इसी उद्देश्य से हमने बेंगलुरु और गुजरात सहित देश के विभिन्न हिस्सों में जाकर जानकारी लिया. उसमें मुझे केला का चिप्स बिहार के लिए अच्छा स्टार्टअप लगा क्योंकि अभी बिहार में कहीं भी केला का चिप्स नहीं बनता है.
दूसरे प्रदेशों से ही सप्लाई होती है. करीब 26 लाख की लागत से स्टार्टअप करने के बाद अब विभिन्न विभागों से संपर्क कर रहे हैं. हमारा उद्देश्य तीन से चार सौ लोगों को अपने गांव में ही रोजगार देना है. जिससे वह घर में रहकर अर्थोपार्जन कर सके.
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