Begusarai News : बखरी के श्रीवैष्णवी दुर्गा मंदिर में तमिलनाडु के मीनाक्षी सुंदेश्वरी के तर्ज पर बनेगा पंडाल

Begusarai News : नगर परिषद इलाके के मक्खाचक स्थित सार्वजनिक श्रीवैष्णवी दुर्गा मंदिर पर तमिलनाडु के मदुरै शहर का ही नही भारत के चुनिंदा मंदिरों मे से एक मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर तथा मीनाक्षी अम्मां मंदिर के तर्ज पर भव्य पूजा पंडाल बनाया जा रहा हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | September 15, 2024 9:51 PM
an image

बखरी. नगर परिषद इलाके के मक्खाचक स्थित सार्वजनिक श्रीवैष्णवी दुर्गा मंदिर पर तमिलनाडु के मदुरै शहर का ही नही भारत के चुनिंदा मंदिरों मे से एक मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर तथा मीनाक्षी अम्मां मंदिर के तर्ज पर भव्य पूजा पंडाल बनाया जा रहा हैं. पिछले सप्ताह भर से अधिक समय से कारीगर इस काम में लगे हुए हैं. इस बार यहां कई छोटे बड़े तोरण द्वार बनाए जा रहे हैं.इनमें एक काफी बड़ा और आकर्षक तोरण द्वार बनाया जा रहा है.पूजा समिति के सचिव सुरेन्द्र राय व कोषाध्यक्ष राजू कुशवाहा ने बताया कि तोरण द्वार की ऊंचाई 65 फीट तथा चौड़ाई 55 फीट के करीब रखी गई है.इसे आकर्षक रौशनी से सजाया जाएगा.साथ ही दुर्गा मंदिर के ऊपरी हिस्से पर भव्य व विशाल पूजा पंडाल बनाए जा रहे हैं.इसे एलईडी और मेगा लाइट की रोशनी से सजाया जा रहा है.पंडाल बनाने के लिए बाहरी कारीगरों को बुलाया गया है.मेला में कई प्रकार के झूले लगाए जा रहे हैं.इनमें टावर झूला,ब्रेक डांस झूला,ड्रैगन ट्रेन आदि प्रमुख हैं.उन्होंने बताया कि नवमी के दिन 11 अक्टूबर को रावणवध का कार्यक्रम रखा गया है.यहां रावणवध पिछले कई दशक से किया जा रहा है.45 फीट लंबा रावण का पुतला बनाया जा रहा है.विजयादशमी के मौके पर भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी.

वर्ष 1991 में हुई वैष्णवी दुर्गा मंदिर की स्थापना :

जम्मू कश्मीर के कटरा में स्थापित माता वैष्णो देवी मंदिर की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए अंबेडकर चौक के समीप 32 वर्ष पूर्व वैष्णवी दुर्गा मंदिर की स्थापना की गई,जो कि इस इलाके का पहला वैष्णवी दुर्गा मंदिर है.शुरूआती दौर से ही यह मंदिर लोगों के बीच काफी आर्कषण का केन्द्र रहा है.इस कारण मंदिर का काफी विकास भी हुआ है.स्थानीय लोगों के सहयोग से यहां भव्य मंदिर बनाया गया.दिनों दिन इसकी मान्यता भी बढ़ती चली जा रही है. मान्यता है जो भी श्रद्धालु शक्ति पीठ के दर्शन के लिए यहां आते है,वे वैष्णो माता के दर्शन भी जरूर करते है.यहां पशु बलि की प्रथा नहीं है.

मनोकामना पूर्ण होने के बाद माता को चढ़ाते हैं नारियल व हलुआ :

मनोकामना पूर्ण होने के बाद लोग यहां माता वैष्णवी को नारियल चढ़ाते है.मंदिर की स्थापना वर्ष 1991 में की गई.महाअष्ठमी की मध्य रात्रि पत्रिका प्रवेश एंव निशा पूजन के बाद मंदिर के पट खोले जाते है.पट खुलते ही खोइछा भरने,मुंडन संस्कार,कुमारी कन्याओं को भोजन कराने यहां पहुंचते हैं.यहां मेला में आए लोगों के लिए विशेष व्यवस्था रहता है.

गंगा-जमुनीपरंपरा को निभाते हैं मूर्तिकार :

बताते चलें कि बीते 25 साल से माता की रंग रुप देने का काम हिंदु व मुस्लिम मुर्तीकार करते आ रहे हैं.नावकोठी के सुर्यनारायाण पंडित एवं इनके दोस्त मो इसाक अपनी युवाओं की टीम के साथ गंगा- जमुनी की परंपरा को निभा रहे हैं.जबकि कलश स्थापना के दिन से ही पूजा पाठ हेतु श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है.जबकि जगतारा के दिन चाटी के आयोजन को देखने के लिए लोग दूर दूर से पहुंचते हैं.वही भव्य रूप से चार तोरन द्वार एवं मंदिर के ऊपर मंडप को बेहतरीब तरीके से सजाने संवारने का काम किया जाता है.जिससे लोगों के बीच एक आकर्षक का केंद्र बना रहता है.

चढ़ावे में आये प्रसाद को किया जाता है वितरण :

माता को चढ़ावे में आए प्रसाद को कमेटी के द्वारा भक्तों के बीच वितरित किया जाता है.भक्तों द्वारा माता को यहां नारियल,बर्फी,लड्डू, पेड़ा,बताशा,गुलाब जामुन,रसगुल्ला,रसकदम आदि चढ़ाया जाता है.जो भी प्रसाद आता है,वह अधिक से अधिक भक्तों के बीच वितरण किया जाता है.वही मनोकामना पूर्ण होने के बाद भक्तों द्वारा हर वर्ष करीब 70 से 80 किलो हलुवा का भोग लगाया जाता है.उस भोग प्रसाद को भी भक्तों के बीच ही बांटा जाता है.

धर्मकांटा के पास रहेगी पार्किंग की व्यवस्था :

दुर्गा पूजा के दौरान किसी भी प्रकार के वाहनों का प्रवेश मेला परिसर में पूजा समिति द्वारा वर्जित किया गया है.साथ ही इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर भी दिशा निर्देश जारी किए जाते हैं.मेला परिसर में किसी भी वाहन को आने की अनुमति नहीं होगी.इसके लिए बेगूसराय रोड में धर्म कांटा के पास पार्किंग की व्यवस्था की जा रही है.जहां पर बड़े वाहन,छोटे वाहन तथा ई-रिक्शा और दो पहिया वाहनों के पार्किंग की व्यवस्था की गई है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Exit mobile version