भगवानपुर. एशिया के मीठे पानी का सबसे बड़ा काबर झील है. झील के आसपास का हजारों एकड़ भूमि का सर्वेक्षण बिहार सरकार वन विभाग के नाम से करबा रही है जो किसानों के लिए अभिशाप है. उक्त बातें राजद विधान पार्षद डॉ उर्मिला ठाकुर ने गढ़पुरा प्रखंड कार्यालय परिसर में किसानों के द्वारा आयोजित एक दिवसीय धरना प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कही. उन्होंने कहा कि किसानों के साथ बिहार सरकार बहुत बड़ा अन्याय कर रही है. हजारों वर्ष से जिस जमीन से किसान अनाज उपजाकर पूरे देश को खिला रहा है. उस भूमि को बिना मुआवजा दिए सरकार वन विभाग के नाम से सर्वे करवा रही है. उन्होंने इस मुद्दे को आगामी विधान पार्षद के सदन में उठाने की भी बात कहा. सभा को संबोधित करते हुए कनौसी के किसान राम चरित्र सिंह ने कहा कि चुनाव के समय में वोट लेने के लिए नेता आते हैं. लेकिन बहुत लंबे संघर्ष कर रहे किसानों की पीड़ा आज तक किसी ने सुनने का प्रयास नहीं किया. अब सरकार की इस नई नीति को किसानों को बर्बाद कर देगा. हम किसानों की आजीविका ही खेती है. अगर सरकार के द्वारा वह खेत ही छीन लिया जाय तो हमलोग क्या करेंगे. हम लोग मरना पसंद करेंगे लेकिन अपने पूर्वजों के द्वारा दिया गया भूमि किसी भी परिस्थिति में नहीं छोड़ेंगे.मंझौल के किसान जुगनू बादशाह ने कहा कि अधिकारी तथा पदाधिकारी किसानों की पीड़ा सुनने को तैयार नहीं है. अगर ऐसा ही चलता रहा, तो किसान उग्र आंदोलन को आतुर होंगे. जिसकी पूर्ण जबाबदेही सरकार के साथ-साथ अधिकारी एवं पदाधिकारी की होगी. वर्ष 2013 में काबर क्षेत्र के जमीन के खरीद बिक्री पर लगे प्रतिबंध को भी बिहार सरकार को वापस लेना होगा. जिस भूमि को बेचकर यहां के किसान बेटी की शादी बीमारी घर मकान समेत अन्य सुख सुविधाओं में उपयोग करते थे आज उस भूमि के बिक्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है जो किसी काले कानून से काम नहीं है. उन्होंने कहा कि काबर क्षेत्र में पेड़ लगाने के नाम पर लाखों की उगाही होती है लेकिन इस क्षेत्र में एक भी पेड़ नहीं लगाए जाते हैं इसकी अगर सही से जांच की जाए तो वन विभाग के बड़े-बड़े अधिकारी इस काले करतूत में शामिल मिलेंगे. इन बातों पर सरकार की नजर नहीं जा रही है सिर्फ किसानों की गला दबाने का प्रयास बिहार सरकार कर रही है. धरना प्रदर्शन के उपरांत दर्जनों किसानों ने एक मांग पत्र गढ़पुरा बीडीओ को सौंपा है. मौके पर किसानों में कनौसी के किसान संजीव सिंह, सियाराम सिंह, विजय कुमार सिंह, रंजन सिंह, मनिकपुर के किसान मुकेश विक्रम, रामचंद्र यादव, विनोद यादव राजेंद्र यादव मंझौल के किसान मनोज भारती, सकरा के किसान सुरेश यादव, रजौर के बच्चा प्रसाद यादव समेत सैकड़ो किसान शामिल थे.
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