अब हत्या की धारा 103, जालसाजी की 318 होगी

बेगूसराय जिले के सभी थाना-ओपी में नये कानून के बारे में जानकारी देने के लिए आमलोगों के बीच संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया. नीमाचांदपुरा थाने में थानाध्यक्ष रंजन कुमार ठाकुर की अध्यक्षता में संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया.

By Prabhat Khabar Print | July 1, 2024 11:11 PM

बेगूसराय जिले के सभी थाना-ओपी में नये कानून के बारे में जानकारी देने के लिए आमलोगों के बीच संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया. नीमाचांदपुरा थाने में थानाध्यक्ष रंजन कुमार ठाकुर की अध्यक्षता में संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया. मौके पर विभिन्न पंचायतों के प्रतिनिधि व सामाजिक कार्यकर्ता थे. वहीं दूसरी ओर लाखो थाना परिसर में थानाध्यक्ष अभिषेक कुमार ने जनप्रतिनिधियों व आमलोगों को संबोधित कर नये कानून के बार विस्तृत जानकारी दी. नये कानून में महिलाओं व बच्चों के साथ होने वाले अपराधों के लिए सख्त सजा के प्रावधान किये गये हैं. सोमवार से हत्या, हत्या का प्रयास, धोखाधड़ी करने पर क्रमशः 302, 307 420 की धारा नहीं लगेगी बल्कि अब हत्या के लिए 103, धोखाधड़ी के लिए 318 की धारा लगेगी. पहले भारतीय दंड संहिता में कुल 511 तरह की धाराएं शामिल थीं, लेकिन नये कानून में इसे घटाक र 358 कर दिया गया है. ब्रिटिश कानून के वक्त शामिल हुई कई अनुपयोगी धाराओं जैसे राजद्रोह जैसी अनुपयोगी धाराएं समाप्त कर दी गयी हैं. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 के पहला अध्याय में अब महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराध से संबंधित सजा के प्रावधानों अनुसार जहां बच्चों से अपराध कराना व उन्हें आपराधिक कृत्य में शामिल करना दंडनीय अपराध होगा. वहीं नाबालिग बच्चों की खरीद-फरोख्त जघन्य अपराध में शामिल किया गया है. नाबालिग से गैंगरेप के मामले में आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक का प्रावधान है. नये कानून के अनुसार पीड़ित या अभिभावक की उपस्थिति में ही बयान दर्ज होगा. यौन संबंध के लिए झूठे वादे करना या पहचान छुपाना भी अब अपराध होगा. वहीं नये कानून के अनुसार पीड़िता के घर पर महिला अधिकारी की मौजूदगी में ही बयान दर्ज करने का प्रावधान है. अदालत में इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड जैसे इमेल, सर्वर, लॉग, कंप्यूटर, स्मार्टफोन, एसएमएस, वेबसाइट, स्थानीय साक्ष्य, मेल, उपकरणों के मैसेज आदि को शामिल किया गया है. जो स्वीकार साक्ष्य हैं. नये कानून में जीरो एफआइआर को कानूनी तौर पर अनिवार्य कर दिया गया है. फरियादी की एफआइआर एवं बयान से जुड़े दस्तावेज दिये जाने का प्रावधान किया गया है. डंडारी संवाददाता के अनुसार देश में अब तक जारी रहे आपराधिक कानून में आज से बदलाव हो गया है. नये कानून सोमवार से लागू हो गये हैं. बदले गए तीन कानूनों में भारतीय दंड संहिता की जगह भारतीय न्याय संहिता, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता एवं एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो चुके हैं. कानून के इस बदलाव से जहां जनता को फायदा होगा वहीं अपराधियों को और अधिक कठोर दंड दिये जाने का प्रावधान किये गये हैं. यह बातें सोमवार को थाना परिसर डंडारी में कानून के बदलाव को लेकर आमलोगों, जनप्रतिनिधियों व बुद्धिजीवियों आदि को जागरुक करते हुए थानाध्यक्ष विवेक कुमार ने कही. यह भी कहा कि नये कानून के तहत गिरफ्तारी की सूरत में व्यक्ति को अपनी पसंद के किसी व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में सूचित करने का अधिकार दिया गया है. इसे गिरफ्तार व्यक्ति को तुरंत सहायता मिल पाएगा. नये कानून में महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराधों की जांच को प्राथमिकता दी गयी है. पीड़ितों को 90 दिनों के भीतर अपने मामले की प्रगति पर नियमित रूप से जानकारी पाने का अधिकार होगा. मौके पर एसआइ शंकर मंडल, सुनील कुमार सिंह, शंकर सिंह, मुंजी सिंह जगमोहन राम, मुखिया अमरजीत सहनी, इंद्रदेव राय, आदित्यराज वर्मा, पूर्व सरपंच राजाराम यादव, पंसस अभिषेक, राजेश तांती, मिथिलेश सिंह, अशोक कुमार सिंह, सहित मुखिया, सरपंच, वार्ड सदस्य एवं पंच आदि शामिल थे. चेरियाबरियारपुर संवाददाता के अनुसार संसद से पारित नये कानून का आगाज होने के साथ ही सोमवार को आदर्श थाना चेरिया बरियारपुर में पुलिस पब्लिक मीटिंग आयोजित की गयी, जिसकी अध्यक्षता करते हुए थानाध्यक्ष विवेक भारती ने जनप्रतिनिधि व बुद्धिजीवियों को नये संसोधित कानून के बारे में जानकारी दी. बैठक में एसआइ संजीत पासवान, पुअनि सुमन कुमार, पुअनि लालेंद्र शर्मा, जदयू प्रखंड अध्यक्ष मो जियाउल्लाह, राजद नेता संजय सुमन, रामसखा महतो, मो शहाबुद्दीन, राजीव कुशवाहा, श्रवण सहनी, पंकज कुशवाहा सहित अन्य उपस्थित थे. बीहट संवाददाता के अनुसार पूरे भारत में सोमवार यानी कि एक जुलाई से नये आपराधिक कानून लागू हो गये. भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नये आपराधिक कानून सोमवार से लागू हो गये. आइपीसी की जगह अब भारतीय न्याय संहिता कानून ले लिया. बैठक में थानाध्यक्ष रजनीश कुमार, बरौनी रिफाइनरी में अमरजीत प्रताप सिंह, एफसीआइ में अंजलि कुमारी और चकिया थाना में नवीन कुमार चौधरी द्वारा उपस्थित लोगों को कानून में नये बदलाव की जानकारी दी गयी. बलिया संवाददाता के अनुसार पुलिस विभाग सोमवार से लागू तीन नये कानून को लेकर थाना परिसर में थानाध्यक्ष रामकुमार सिंह की अध्यक्षता में क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं प्रबुद्धजनों के साथ आवश्यक बैठक आयोजित की गयी. थानाध्यक्ष ने इस नये कानून की मुख्य बातों से लोगों को अवगत कराया. बैठक में थानाध्यक्ष रामकुमार सिंह, अपर थानाध्यक्ष राजीव रंजन कुमार, विधि व्यवस्था प्रभारी विनीत कुमार, महिला हेल्प डेस्क प्रभारी चांदनी कुमारी, मालखाना प्रभारी संजीव कुमार, सुरेश रजक, नगर परिषद के चेयरमैन मो जमाल उद्दीन, मुखिया संघ के प्रखंड अध्यक्ष कुमारेश यादव, भाजपा नेता राकेश रौशन उर्फ मुन्ना, वार्ड पार्षद अविनाश कुमार, सुमित यादव, करन कुमार, गौरव कुमार, मुखिया शिवनंदन कुंवर, मो राशिद, गुड्डू झा, सनोज सरोज, विकास पासवान, बहादुर यादव, सरपंच नित्यानंद सिंह, अभिषेक कुमार सहित कई जनप्रतिनिधि एवं बुद्धिजीवी मौजूद थे. मंसूरचक संवाददाता के अनुसार मंसूरचक थाना परिसर में सोमवार को थाना क्षेत्र के लोगो को आमंत्रित कर भारतीय सांसद से पारित तीन नये कानून के संबंध में थानाध्यक्ष रोहित कुमार गुप्ता ने विस्तृत ढंग से जानकारी देते हुए बताया कि एक जुलाई से तीन नये कानून लागू हो चुके हैं. मौके पर कांग्रेस प्रखंड अध्यक्ष बालेश्वर महतो, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अमीन उद्दीन, मुखिया संघ के प्रखंड अध्यक्ष मो इजहार अंसारी, समसा-1 पंचायत के मुखिया डॉ दिनेश कुमार राय, धर्मवीर सिंह कुंदन, जन स्वराज पार्टी के शीर्ष नेता मजहर अली, भाकपा नेता विंदेश्वरी महतो सहित अन्य जनप्रतिनिधि,जनमानस उपस्थित थे. नावकोठी संवाददाता के अनुसार थाना परिसर में आपराधिक कानून में हुए संशोधन को लेकर प्रखंड के जनप्रतिनिधि एवं प्रशासनिक पदाधिकारी पुलिस पदाधिकारी की संयुक्त जनसंवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया. सोमवार से पूरे देश से अंग्रेज जमाने के तीन आपराधिक कानून को खत्म करते हुए नये कानून लागू होने की जानकारी दी गयी. आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एसडीपीओ बखरी कुंदन कुमार ने एक जुलाई को ऐतिहासिक दिन कहा. अंग्रेजों के द्वारा 1860 में स्थापित तीन आपराधिक कानून को खत्म करते हुए भारतीय नागरिक सुरक्षा कानून लागू किया गया.

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