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Begusarai News : जय श्रीराम, हरे कृष्णा-जय श्रीराम के जयकारे से गूंज उठा सिमरियाधाम

Begusarai News : सर्वमंगला के अधिष्ठाता स्वामी चिदात्मनजी महाराज के सान्निध्य में अखिल भारतीय सर्वमंगला परिवार के द्वारा आयोजित कल्पवास पर्यंत क्षेत्र की महत्वपूर्ण प्रथम परिक्रमा शांति पूर्वक संपन्न हुई.

बीहट. सर्वमंगला के अधिष्ठाता स्वामी चिदात्मनजी महाराज के सान्निध्य में अखिल भारतीय सर्वमंगला परिवार के द्वारा आयोजित कल्पवास पर्यंत क्षेत्र की महत्वपूर्ण प्रथम परिक्रमा शांति पूर्वक संपन्न हुई.कार्तिक कृष्ण पक्ष के दिन पहली परिक्रमा के अवसर पर हजारों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी.गाजे-बाजे और घोड़ों के साथ सिद्धाश्रम के ज्ञान मंच परिसर से निकले परिक्रमा जुलूस में शामिल होने के लिये हाथों में धर्म ध्वज लिये महिला,पुरूष व बच्चों का हुजूम मंगलवार को सिमरिया धाम में उमड़ पड़ा.जय राम हरे जय कृष्ण हरे, जय मिथिला सिमरिया धाम हरे को भजते श्रद्धालुओं को देखने के लिये परिक्रमा पथ के दोनों ओर लोग खड़े थे.इस मौके पर सर्वमंगला के रवीन्द्र ब्रह्मचारी,महासचिव राजकिशोर प्रसाद सिंह,सचिव दिनेश प्रसाद सिंह,कोषाध्यक्ष नवीन प्रसाद सिंह, मीडिया प्रभारी नीलमणि,अमरेंद्र कुमार,कौशलेंद्र कुमार, विजय सिंह,उषा रानी,सुशील चौधरी,सुरुचि देवी अरुण देवी शकुंतला देवी,संयुक्ता देवी,रंजना देवी, रेणु देवी,सोनी देवी,मीरा देवी,द्रौपदी देवी,बच्ची देवी, सुधीर चौधरी, पटेल सिंह, तरूण सिंह, निपेंद्र सिंह, सुदर्शन सिंह,मनीष कुमार,आचार्य नारायण झा,दिनेश झा,राजेश झा,रमेश झा,राम झा,लक्ष्मण झा,सदानंद झा,पप्पू त्यागी,पीतांबर झा,मधुसूदन मिश्र,हरिनाथ मिश्र,विकास मिश्र,देवेश मिश्र सहित अन्य उपस्थित थे.वहीं परिक्रमा के दौरान मेला थाना प्रभारी भानू प्रताप सिंह दलबल के साथ मौजूद थे.कल्पवास क्षेत्र की दूसरी वृहत परिक्रमा 5 नवंबर को होगी. जब मानवता से समाज व्यवस्थित होता है, तो समाज में आता है अमन-चैन : स्वामी चिदात्मनजी परिक्रमा के बाद स्वामी चिदात्मनजी महाराज ने श्रद्धालुओं को साधुवाद देते हुए कहा भारत का अतीत अनादि काल से धर्म और आध्यात्मिक क्षेत्र में गौरवमयी रहा है. प्रत्येक राष्ट्र संविधान से व्यवस्थित होता है और विश्व की मानवता शास्त्र से व्यवस्थित होता है, जिससे हमारे समाज में शांति, सदाचार, व्यवहार कुशलता हमारी पहचान है. जब मानवता से समाज व्यवस्थित होता है तो समाज में अमन-चैन आता है.इसलिये समाज,राष्ट्र और ब्रह्मांड को व्यवस्थित करने के लिये धर्म की प्रधानता है.संसार में सबकुछ चलायमान है,सिर्फ धर्म ही निश्चल है.उन्होंने कहा जो तीनों परिक्रमा कर लेते हैं उनके सौभाग्य का कोई वर्णन नहीं कर सकता है,वे सभी संतापों से मुक्त हो जाते हैं. रामघाट की दुर्दशा पर व्यथित दिखे स्वामी जी ने कहा-कौन सुनेगा दर्द सात मोक्षदायिनी नदियों में सर्वोपरी गंगा इह लौकिक सारा सुख और पार लौकिक गति देनेवाली कही गयी है.उसी गंगा के पावन तट पर कल्पवास करने आये कल्पवासी कलप रहे हैं.साधु-संतों का दर्द सुनने वाला कोई नहीं है.आखिर किससे कहेगा साधु-संत समाज और श्रद्धालु अपने मन की व्यथा.स्नान घाटों में प्राचीन रामघाट की उपेक्षा हर्गिज स्वीकार्य नहीं.आज पहली बार हजारों श्रद्धालुओं को परिक्रमा के उपरांत संत मन को काफी व्यथित दिखा.दरअसल कल्पवास को शुरु हुए आज तेरह दिन हो रहे हैं लेकिन आश्वासन के बाद भी इस ऐतिहासिक रामघाट पर न तो एक भी शौचालय और न चापाकल की व्यवस्था और ना ही परिक्रमा पथ को जिला प्रशासन द्वारा दुरुस्त कराया जा सका है.आज जब सिमरिया का कायाकल्प किया जा रहा है तो ऐसे में रामघाट की ऐसी उपेक्षा क्यों हो रही है.समुचित सुविधा व्यवस्थित करने का दायित्व जिला प्रशासन को पूरा करना चाहिये,ताकि श्रद्धालुओं को कोई परेशानी ना हो.डीएम के निर्देश पर जिला प्रशासन के अधिकारी दो दिन पहले भी रामघाट आकर निरीक्षण भी किया लेकिन हुआ कुछ भी नहीं. परिक्रमा पथ की साफ-सफाई को लेकर व्यवस्था के नाम पर जो भी दिखा वह मात्र औपचारिकता का निर्वहन करता दिखा.जिला प्रशासन की उदासीनता श्रद्धालुओं को उद्वेलित कर रही है,यदि ऐसा हठयोग हुआ तो संभालना फिर कठिन होगा.

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