बुद्ध पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने सिमरिया में लगायी श्रद्धा व आस्था की डुबकी
वैशाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है.बुद्ध पूर्णिमा पर गंगा स्नान का विशेष महत्व माना गया है.
बीहट. वैशाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है.बुद्ध पूर्णिमा पर गंगा स्नान का विशेष महत्व माना गया है.सिमरिया घाट में वैशाखी पूर्णिमा को लेकर स्नान करने वालों की भीड़ गुरूवार की अहले सुबह से ही उमड़ पड़ी.जिला और जिले के बाहर से आये श्रद्धालुओं ने इस मौके पर गंगा स्नान किया और घाट किनारे स्थित मंदिरों में पूजा-अर्चना कर परिवार के लोगों की मंगलकामना की.हालांकि गंगा घाट पर सर्वथा साफ-सफाई का अभाव दिखा. हर जगह कुड़ा-कचरा, गंदगी,कपड़े यत्र-तत्र बिखरे पड़े थे. जिससे आज के दिन गंगा स्नान करने आने वाले श्रद्धालु गंदगी और कीचड़ पारकर गंगा स्नान करने को मजबूर थे.वहीं इस मौके पर सिमरिया घाट स्थित सर्वमंगला के अधिष्ठाता स्वामी चिदात्मनजी महाराज ने कहा कि वैशाखी पूर्णिमा बड़ी ही पवित्र तिथि है. दान पुण्य और धर्म-कर्म के अनेक कार्य इस दिन किये जाते हैं. वैशाख पूर्णिमा के दिन बुद्ध पूर्णिमा भी मनायी जाती है.इसी दिन भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी.हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए यह सत्य विनायक पूर्णिमा भी मानी जाती है. इस दिन अलग-अलग पुण्य कर्म करने से अलग-अलग फलों की प्राप्ति होती है. धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि इस दिन धर्मराज के निमित्त जलपूर्ण कलश और पकवान दान करने से गौ दान के समान फल प्राप्त होता है. साथ ही पांच या सात ब्राह्मण को शर्करा सहित तिल दान देने से सब पापों का क्षय हो जाता है.इस दिन यदि तिलों के जल से स्नान करके घी, चीनी और तिलों से भरा हुआ पात्र भगवान विष्णु को निवेदन करें और उन्हीं से अग्नि में आहुति दें अथवा तिल और शहद का दान करें, तिल के तेल के दीपक जलाएं,जल और तिलों का तर्पण करें अथवा गंगा आदि में स्नान करें तो व्यक्ति सब पापों से मुक्त हो जाता है.यदि इस दिन एक समय भोजन करके पूर्णिमा,चंद्रमा अथवा सत्यनारायण भगवान का व्रत करें तो सब प्रकार के सुख संपदा और श्रेय की प्राप्ति होती है.
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