Loading election data...

Begusarai News : नाटक बहुरानी में कलाकारों ने अपने अभिनय से दर्शकों का मन मोहा

Begusarai News : न्यू एज थियेटर वर्कशॉप एंड रेपेटरी द्वारा आइटीआइ, रामदीरी, लवहरचक के प्रेक्षागृह में नाटक बहुरानी का मंचन किया गया.

By Prabhat Khabar News Desk | September 14, 2024 9:10 PM

बेगूसराय. न्यू एज थियेटर वर्कशॉप एंड रेपेटरी द्वारा आइटीआइ, रामदीरी, लवहरचक के प्रेक्षागृह में नाटक बहुरानी का मंचन किया गया. नाटक के लेखक और निर्देशक वरिष्ठ रंगकर्मी अवधेश हैं. इस अवसर पर अवधेश द्वारा लिखा गया दो नाट्य पुस्तक ए सुसाइडल अटेम्प्ट और बहुरानी का विमोचन भी किया गया. अनिल पतंग, भगवान प्रसाद सिन्हा, राहुल शिवाय, माणिभूषण सिंह, अमिय कश्यप, मिनाक्षी शंकर , दीपक सिन्हा, एस एन आज़ाद, हरीश हरिऔध और अमित रौशन ने सम्मलित रूप से कार्यक्रम का उदघाटन और विमोचन किया. यह नाटक बखरी की रहने वाली बहुरा डायन के सम्पूर्ण जीवन वृत्त पर आधारित था. कहा जाता है कि बहुरा एक भयंकर डायन थी, लेकिन असलियत में वह कमला नदी को बखरी मंडी तक लाना चाहती थी ताकि वहां का समुचित विकास हो सके. वह एक नृत्यांगना थी और पिता के पद चिन्हों पर चलने वाली एक नदी विशेषज्ञ भी थी लेकिन इस कार्य में उसके पति ने भी उसका साथ नहीं दिया.वहीं बहुरा के इस कार्य से क्षुब्द्ध होकर बखरी परगना के सरदार थान सिंह ने उसे डायन घोषित करवा दिया. थान सिंह के इस तोहमत का लाभ बहुरा ने जमकर उठाया .बखरी के विद्वान तथा पति द्वारा प्रताड़ित स्त्रियों को संगठित कर एक स्त्री सेना का निर्माण किया और अपना बसेरा कावर झील के बीच में ऊपरी तल पर आश्रम के रूप में बनाया .जहां से कमला की धारा को मोड़ने की प्रक्रिया शुरू की गई. जिसका विरोध भरौरा के मल्लाह राजा भिमल देव और नटुवा दयाल ने किया. भिमल देव का भतीजा दयाल ने छल और कपट से बहुरा की बेटी अमरावती से विवाह का प्रस्ताव उसकी मां के पास भिजवाया. जिससे वह असमंजस की स्थिति में आ गई लेकिन यह विवाह विधिवत संपन्न नहीं हो पाया. दयाल ने अपनी चाल से अमरावती से विवाह कर लिया और वहां से भाग गया. कुछ महीनों के बाद दयाल ने बखरी के चौघटिया इनार से अमरावती को लेकर भाग गया. बहुरा ने इसका तीव्र विरोध किया और अपनी स्त्री सेना द्वारा उसे घेर कर कावर झील ले आयी . जहां विमल देव से बहुरा और उसकी सेना का नौका युद्ध हुआ. इस युद्ध में बहुरा का एक स्तन कट कर गिर गया और उसकी मृत्यु हो जाती है. इस नाटक में बहुरा की भूमिका में अंकिता कुमारी ने अपने उत्कृष्ट अभिनय से दर्शकों का मन मोह लिया. थान सिंह की भूमिका में सचिन कुमार ने साबित किया कि वे जिले के उत्कृष्ट अभिनेता हैं. जय सिंह की भूमिका में मोहित मोहन ने सधे हुए अभिनय का परिचय दिया. सूत्रधार की भूमिका में सिकंदर शर्मा और रौशनी कुमारी ने अंत तक दर्शकों को बांधे रखा . भरौरा के मल्लाह राजा भीमल देव कि भूमिका में नवोदित कलाकार नवीन कुमार ने अच्छा अभिनय किया. दयाल कि भूमिका में अमन शर्मा ने बेहतरीन अभिनय किया. रूसेरा घाट के मालिक कंदर्प देव की भूमिका में नवीन सिंह ने उच्च कोटि का अभिनय किया. परमेसर और पंडित की भूमिका में भिखारी राम और दयाल के पिता विषम्भर की भूमिका में दिलीप कुमार ने सुन्दर अभिनय का परिचय दिया. बहुरा की सेना में मातंगी की भूमिका में कविता कुमारी, डॉली कुमारी ने दर्शकों का मनमोह लिया. बहुरा के पति सुख्खन की भूमिका में राजकुमार खूब जचे. अन्य पात्रों में अनिकेत, आदर्श , सोनू,पारस, काजल, ख़ुशी, स्वीकृति, सोनम, नेहा, प्रीति,अनुष्का, रूपम और रानी ने अच्छा अभिनय किया. संगीत पर राजेश कुमार और नंदू वहीं प्रकाश परिकल्पना और संचालन चिंटू कुमार का था.मंच परिकल्पना और सेट कांसेप्ट वरिष्ठ चित्रकार सीताराम का था. इस मौके पर कलाकारों को प्रमाण पत्र दिया गया. संस्था के अध्यक्ष सुधीर कुमार, कमल सिन्हा और अन्य गणमान्य उपस्थित थे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version