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आसमान उगल रही आग, पारा 44 डिग्री के पार

जिले में सुबह आठ बजे के बाद से ही सूरज आग उगलने लगता है. इस भीषण गर्मी में सबसे अधिक परेशानी स्कूल के बच्चे हो रही हैं.

बेगूसरायबीहट.

जिले में सुबह आठ बजे के बाद से ही सूरज आग उगलने लगता है. इस भीषण गर्मी में सबसे अधिक परेशानी स्कूल के बच्चे हो रही हैं. शहर के अधिकतर स्कूलों में दोपहर 1:00 से 2:00 बजे के बीच में बच्चों को छुट्टी हो रही है. बच्चों को धूप से बचाने में अभिभावक को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सोमवार को दोपहर में बेगूसराय में पारा 44 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहा. सरकारी स्कूल में नये रुटीन के मुताबिक जिले के सभी स्कूलों में क्लास सुबह के 6:30 बजे से लेकर 11:30 बजे तक तथा स्कूल के कमजोर बच्चों को 40 मिनट अतिरिक्त समय देकर उसे पढ़कर दोपहर 12:10 बजे दिन में छुट्टी दिया गया. वहीं उमस भारी व शरीर को जलाने वाली धूप में मध्याह्न भोजन बच्चों को खिलाकर 11:30 दिन में छुट्टी दिया गया. जिससे स्कूली बच्चे हलकान दिखे. मौसम विभाग के अनुसार अभी 15 जून शनिवार दिन तक इस भीषण गर्मी से कोई राहत नही मिलने वाली नहीं है. जिसके कारण स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को इस भीषण गर्मी में फिर बेहोश होकर गिरने का डर हैं. बच्चों के अभिभावकों को भी स्कूल में दोपहर में छुट्टी होने पर अपने बच्चों को स्कूल से घर ले जाने के लिए गर्मी में पसीना छूट रहा है. वहीं इस तपिश धूप और भीषण उमस भरी गर्मी से बच्चे हलकान हो रहे हैं.

उमस भरी गर्मी के साथ बिजली की आंख मिचौनी से लोग परेशान :

बरौनी प्रखंड और बीहट नगर परिषद में उमस वाली गर्मी के साथ विद्युत व्यवस्था को लेकर आम जनता परेशान है. भीषण गर्मी के मौसम में बिजली की आंख मिचौनी की समस्या से शहरी उपभोक्ताओं के साथ-साथ ग्रामीण अंचल के लोग भी खासा परेशान व त्रस्त है. भीषण गर्मी व उमस भरे इस मौसम में नगर में प्रतिदिन कई बार लोगो को अघोषित कटौती का सामना करना पड़ता हैं. लोगों का कहना है कि तेज धूप व उमस ने सभी को परेशान करके रखा है, ऊपर से बिजली की आंख मिचौनी व अघोषित कटौती इस समय आग में घी डालने का काम करती है. रात हो या दिन किसी भी वक्त बिजली गुल हो जाती है,कभी-कभी तो एक दिन में आठ से दस बार बिजली गुल होना आम बात हो गई है और रात के वक्त लो वोल्टेज के कारण कूलर व पंखे काम करना बंद कर देते है. बिजली की इस आंख मिचौनी के कारण छोटे-छोटे बच्चों को ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं.

भारी भरकम बिल वसूलने के बावजूद बिजली लोगों को रुला रही :

नार्थ बिहार पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड के हाथों में बिजली की व्यवस्था जाने के बाद यह उम्मीद जतायी जा रही थी कि लोगों को निर्बाध तथा उच्च गुणवत्ता युक्त विद्युत आपूर्ति प्राप्त होगी लेकिन असलियत में ऐसा नहीं हो सका. लोगों से भारीभरकम बिल वसूलने के बावजूद कंपनी लोगों को सदैव रुलाने का ही काम कर रही है. क्षेत्र में कब बिजली आएगी और कब कटेगी, इसका कोई समय-सारणी ही नहीं है. बिजली कटौती ने लोगों का जीना हराम कर दिया है. बावजूद इसके बिजली विभाग द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. लोगों के फोन का जवाब न देना पड़े, इसके लिए अधिकारी फोन बंद कर लेना ज्यादा मुनासिब समझते हैं. जबकि यह स्थिति क्षेत्र में लगातार बनी हुई है. गर्मी के मौसम में लोगों को नियमित रूप से बिजली नहीं मिलने से परेशानी और भी बढ़ गयी है. मौसम में परिवर्तन आने के बाद ही बिजली की आपूर्ति में भी परिवर्तन होने लगा है. जिसका सबसे अधिक असर छात्रों व किसानों पर पड़ रहा है. किसानों को नलकूपों से सिंचाई करने में, समस्या आ रही है, वहीं नल-जल योजना बार-बार बाधित हो जा रही है. पानी खरीदकर सिंचाई करने वाले किसानों को मजदूरी के साथ साथ पानी का भी अधिक भुगतान करना पड़ रहा है. दिन में कई बार बिजली आपूर्ति बाधित रहने की वजह से लोग बिजली विभाग को कोसते हुए पंखे झलते नजर आये. अनावश्यक लोड शेडिंग होने पर ग्राहकों को मिलेगी क्षतिपूर्ति : विद्युत अधिनियम में उपभोक्ताओं को 24 घंटे निर्बाध बिजली पाने का अधिकार दिया गया है. अगर किसी इलाके में अनावश्यक या जानबूझ कर बिजली की लोडशेडिंग की जाती है, तो उपभोक्ता क्षतिपूर्ति का दावा कर सकते हैं. यही नहीं बिजली से जुड़ी विभिन्न सेवाएं निर्धारित समय सीमा (एसओपी) के अंदर नहीं मिलने पर भी उपभोक्ता क्षतिपूर्ति पाने का हकदार है. लेकिन जटिलताओं की वजह से उपभोक्ता इसका फायदा नहीं उठा पा रहे हैं.

बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने वर्ष 2012 में ही कर दिया है इसका प्रावधान :

बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने वर्ष 2012 में ही प्रावधान किया है कि अगर डिस्काॅम्स सेवाएं देने में एसओपी का विचलन करते हैं तो प्रभावित एक या उससे अधिक उपभोक्ता रजिस्टर्ड डाक अथवा हाथों-हाथ संबंधित आपूर्ति क्षेत्र के विद्युत कार्यपालक अभियंता के पास रसीद के साथ आवेदन कर सकते हैं. कार्यपालक अभियंता आवेदन प्राप्ति की रसीद देंगे और 30 दिन के अंदर क्षतिपूर्ति की राशि निर्धारित करेंगे. डिस्काॅम्स यह राशि सेवा में चूक करने वाले पदाधिकारी-कर्मियों से वसूल करेगी. यह दावा पत्र हर कार्यालय में नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाना है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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