PHC maternal death: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रसव कराने पहुंची महिला की मौत हो जाने के बाद परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए अस्पताल में जमकर हंगामा किया. बहन की मौत से गुस्साये भाई सुनील कुमार ने अस्पताल के गेट में लगे शीशे को क्षतिग्रस्त कर दिया. शीशा क्षतिग्रस्त करने के क्रम में उसके हाथ की नस कट जाने से खून बहने लगा और अत्यधिक खून बहने के कारण उसकी भी हालत खराब हो गयी. उसे तुरत एम्बुलेंस से बेगूसराय भेज दिया गया. इधर, महिला की मौत और उसके भाई की हालत चिंताजनक होने पर परिजन और ग्रामीणों ने जमकर हंगामा किया. हंगामा को देख हॉस्पिटल में कार्यरत स्वास्थ्य कर्मी भी हॉस्पिटल को छोड़कर भाग गये. एक स्वास्थ्य कर्मी भागकर थाना पहुंचा और घटना की सूचना पुलिस को दिया.
PHC maternal death: पुलिस ने स्थिति को किया नियंत्रित
थाना प्रभारी सह प्रशिक्षु डीएसपी हिमांशु कुमार दल बल के साथ हॉस्पिटल पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया. बाद में बीडीओ रवि सिन्हा और सीओ संतोष कुमार भी हॉस्पिटल पहुंचकर हंगामा को शांत कराने में जुट गये. घटना को लेकर बताया गया कि खरहट निवासी देवन यादव की पुत्री नेहा कुमारी का प्रसव के समय पूरा हो जाने पर गुरुवार को दोपहर में आशा कार्यकर्ता के साथ परिजन उसे निजी गाड़ी से हॉस्पिटल लाये. हॉस्पिटल में भर्ती के कुछ देर बाद उसे एक सुई लगाया गया.सुई लगने के तुरत बाद महिला की मौत हो गई. मौत के बाद परिजनों ने आरोप लगाया कि बिना बीपी जांच किये ही नर्स ने सुई दे दी जिससे उसकी मौत हो गई. मौत की खबर उसके ससुराल एकनियां पहुंचते ही पति संजीव कुमार और उसके परिवार की महिलाऐं भी हॉस्पिटल पहुंची.परिजन की चीख पुकार से माहौल काफी गमगीन हो गया.देखने वालों की भीड़ उमड़ गई. घटना को लेकर प्रभारी चिकित्सा प्रभारी डॉ मीनू माया ने बताया कि प्रसव के लिए जो भी मरीज आते हैं, सबसे पहले उसका बीपी सहित अन्य जरूरी जांच की जाती है. इसके बाद सूई व दवा दी जाती है. उन्होंने बताया कि खरहट से आयी प्रसूति महिला का प्रसव के समय पूरा हो चुका था.
PHC maternal death: परिजनों ने लगाए अस्पताल पर आरोप
पहले से उसकी स्थिति ठीक नहीं थी. उसे रेफर करने की तैयारी चल रही थी. इसी बीच एक लाइफ सेविंग इंजेक्शन दिया गया, लेकिन उसकी मौत हो गई. मौत किन कारणों से हुई है, तुरंत यह बताना मुश्किल है. चिकित्सक के इस बयान को परिजन और ग्रामीण खारिज करते हुए मुआवजा की मांग करने लगे. परिजन और ग्रामीणों का कहना था कि मृतक गरीब परिवार से है उसके तीन छोटे-छोटे बच्चे हैं. जिसके लिए पर्याप्त मुआवजा या सहायता राशि दिया जाये. मुआवजा के लिए कोई सरकारी प्रावधान नहीं होने के कारण प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने पीड़ित परिवार को एक लाख सहायता राशि देने को तैयार हुई. सहायता राशि देने के बाद कुछ महिलाएं शव को उठाने का विरोध करती रही. हालात को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल की व्यवस्था कर पुलिस ने शव को गाड़ी में लादकर उसके ससुराल भेज दिया तब जाकर मामला शांत हु