बेतिया बाढ़: खतरे में कई गांवों का अस्तित्व, गंडक में हो सकते हैं समाहित
बाढ़ के वजह से बेतिया के मुसहरी और हरखटोला गांव भी गंडक नदी के गर्भ में समाहित होने के कगार पर है. ग्रामीण अपने घरों से सामान व अपने परिवार को लेकर ऊंचे स्थल की ओर पलायन करने लगे हैं. इतना ही नहीं पूरे गांव में अफरातफरी का माहौल उत्पन्न हो गया है.
बेतिया. शुक्रवार को गंडक बराज वाल्मीकिनगर से गंडक नदी में दो लाख 17 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. हालांकि जलस्तर में गिरावट आयी है. इसके चलते ठकराहा प्रखंड के मोती टोला का अस्तित्व कभी भी समाप्त हो गंडक नदी में समाहित हो सकता है. यहां कटाव बहुत ही तेज हो गया है. इसको लेकर ग्रामीण अपने घरों से सामान व अपने परिवार को लेकर ऊंचे स्थल की ओर पलायन करने लगे हैं. इतना ही नहीं पूरे गांव में अफरातफरी का माहौल उत्पन्न हो गया है.
कटाव की रफ्तार तेज
जिले के ठकराहा प्रखंड की मोतीपुर पंचायत के हरख टोला मुसहरी में गंडक नदी के तांडव ने लोगों को गांव से सामान समेट कर पलायन करने पर मजबूर कर दिया है. गुरुवार से नदी के जलस्तर में कमी आने के साथ ही कटाव की रफ्तार तेज हो गयी है. नदी गांव के बिल्कुल नजदीक पहुंच गयी है. इससे ग्रामीणों में अफरातफरी का माहौल है. लोग अपना सामान और माल मवेशियों को लेकर ऊंचे स्थान की ओर पलायन कर रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि पिछले एक माह से नदी कटाव करते गांव तक पहुंच गयी. विभागीय पदाधिकारियों व स्थानीय प्रशासन से बचाव कार्य करने की गुहार लगायी गयी, पर कोई असर नहीं हुआ.
‘बचाव कार्य करना संभव नहीं हो सका’
वहीं, बाढ़ एक्सपर्ट सह एफसीटी के चेयरमैन ई. अब्दुल हमीद ने बताया कि दो दिन पूर्व कटाव मुख्य अभियंता के साथ कटाव स्थल एवं गांव निरीक्षण किया गया. नदी के जलस्तर में वृद्धि होने से कटाव स्थल तक जाना व बचाव कार्य करना संभव नहीं हो सका.मौके पर मौजूद अभियंताओं को जलस्तर में कमी होने पर यथास्थिति की रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया था, लेकिन अभियंताओं द्वारा वर्तमान स्थिति की रिपोर्ट अभी तक नहीं दी गयी है.
लोग पलायन कर रहे हैं
ठकराहा.गंडक नदी का पानी घटने के साथ ही ठकराहा प्रखंड के मोतीपुर पंचायत के हरख टोला मुसहरी में गंडक नदी के तांडव ने लोगों को गांव से सामान समेट कर पलायन करने पर मजबूर कर दिया है. गुरुवार से नदी के जलस्तर में कमी आने के साथ ही कटाव की रफ्तार तेज हो गयी है. नदी गांव के बिल्कुल नजदीक पहुंच गई है. जिससे ग्रामीणों में अफरा तफरी का माहौल कायम है. लोग अपना सामान और माल मवेशियों को लेकर ऊंचे स्थान की ओर पलायन कर रहे हैं.
कई गांव समाहित हो सकता है
ग्रामीणों ने बताया कि यदि समय से विभाग के द्वारा कटाव से बचाव के लिए कार्य किया गया होता तो शायद गांव को सुरक्षित किया जा सकता था. 40 वर्ष पूर्व 1978 में इसी तरह गंडक की बौराई धारा ने नौका टोला, लंगड़ा टोला, गोसाई टोला, बीनटोली, जगावा टोला, तिवारी टोला, कुटी टोला सहित दर्जन भर गांव गंडक नदी में विलीन हो गयी थी. जिससे उक्त गांव के लोग यूपी समेत प्रखंड के विभिन्न जगहों पर अपना ठिकाना बनाए हुए हैं. आज शिवपुर मुसहरी और हरखटोला गांव भी गंडक नदी के गर्भ में समाहित होने के कगार पर है.
प्रशासनिक अधिकारियों ने किया निरीक्षण
वहीं, शुक्रवार को सीओ श्री राहुल और थानाध्यक्ष अजय कुमार समेत बीडीसी अर्थ राज यादव व मुखिया जितेंद्र मिश्रा झुन्नु ने उक्त गांव का निरीक्षण किया. लोगों को ऊंचे स्थान या बाढ़ आश्रय भवन में जाने का निर्देश दिया. ग्रामीणों ने बताया कि बाढ़ आश्रय भवन की दूरी यहां से छह किलोमीटर है. दूरी के लिहाज से वहां पहुंचना संभव नहीं है.