बढ़ने लगा घड़ियालों का कुनबा, गंडक नदी में एक साथ छोड़े गये 160 बच्चे

बिहार का इकलौता व उत्तर प्रदेश और नेपाल के सीमावर्ती तट पर स्थित वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के बीचों बीच में स्थित गंडक नदी में वास कर रहे करीब 600 घड़ियालों ने गंडक नदी समेत वाल्मीकि टाइगर रिजर्व को रौनक बढ़ाई है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 18, 2024 8:53 PM

जयप्रकाश वर्मा,हरनाटांड़बिहार का इकलौता व उत्तर प्रदेश और नेपाल के सीमावर्ती तट पर स्थित वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के बीचों बीच में स्थित गंडक नदी में वास कर रहे करीब 600 घड़ियालों ने गंडक नदी समेत वाल्मीकि टाइगर रिजर्व को रौनक बढ़ाई है. वन विभाग व वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के अधिकारियों के करीब दस वर्षों से गंडक तट पर उनके संरक्षण के लिए चल रही कोशिश रंग लाना शुरू कर दिया है. इस वर्ष गंडक नदी के किनारे घड़ियाल के लिए बनाए गए अलग-अलग बसेरो में 160 बच्चे अंडा फोड़ कर बाहर निकल आए हैं. विश्व मगरमच्छ दिवस के अवसर पर वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया, वन विभाग और स्थानीय प्रशिक्षित ग्रामीणों के सहयोग से गंडक नदी में 160 घड़ियाल के बच्चों को छोड़ा गया.

उत्तर प्रदेश के सोहगीबरवा के साधु घाट पर पहली बार पाया गया एक घोंसला

विगत तीन माह से गंडक नदी किनारे 6 जगहों पर घड़ियाल के अंडों का संरक्षण किया जा रहा था. वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया प्रमुख सुब्रत बहेरा ने बताया कि इस वर्ष बगहा के धनहा-रतवल पुल के समीप घड़ियाल के अंडों के 5 घोंसले पाए गए थे. जिसमें से 4 घोंसले से 127 बच्चों का प्रजनन कराया गया. वहीं पहली मर्तबा बिहार के बगहा सीमा से सटे उत्तर प्रदेश के सोहगीबरवा के साधु घाट पर एक घोंसला पाया गया था. जिसमें से 33 बच्चे निकले. एक घोंसला से अभी प्रजनन नहीं कराया गया है, जो यूपी के सोहगीबरवा में घड़ियाल के अंडों का जो घोंसला पाया गया है. वह मादा घड़ियाल नेपाल द्वारा छोड़ा गया था. लेकिन माइग्रेट कर के वह बिहार यूपी सीमा पर चला आया है. ऐसे में माना जा रहा है कि गंडक नदी की आबोहवा घड़ियालों को खूब भा रहा है.

मार्च के महीने से शुरू होती है अंडों के संरक्षण व प्रजनन कराने की प्रक्रिया

अंडों के संरक्षण और उनके प्रजनन कराने की प्रक्रिया मार्च के महीने से शुरू हो जाती है. जब मादा घड़ियाल नदी के पास बालू के ऊंचे टीले पर घोंसला बनाकर अंडे देती है. इसके बाद करीब दो से तीन महीनों में अंडे से बच्चे बाहर आते हैं. जिसके बाद उनका हैचरी कराया गया और फिर गंडक नदी में छोड़ दिया गया.

सुरक्षित विचरण करते हैं घड़ियाल

हालांकि पांच वर्षों के उपरांत गंडक नदी के किनारे अक्सर ग्रामीणों द्वारा घड़ियालों को गंडक नदी के जल में मुक्त रूप से तैरते और विचरण करते हुए देखा जाता रहा है. इसे वन विभाग काफी सुखद मानता है.

लगातार हो रहा है इजाफा ,सुखद संदेश

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के वन संरक्षक सह क्षेत्र निदेशक डॉ. नेशामणि के ने गंडक नदी में घड़ियाल के बच्चों की बढ़ती संख्या पर खुशी जताते हुए कहा कि उनके संरक्षण की कोशिशें अब रंग लाने लगी है. यह नदी के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अच्छे संकेत है. तेज धार साफ पानी और कई धाराओं में बहने वाली गंडक नदी में घड़ियालों के लिए आदर्श आवास का काम कर रही है. नतीजतन गंडक नदी में लगातार घड़ियालों की संख्या में इजाफा हो रहा है. चंबल की नर्मदा नदी के बाद बिहार के गंडक नदी में सबसे ज्यादा घड़ियाल पाए जा रहे है.

अब तक गंडक नदी में छोटे गये 600 घड़ियाल के बच्चे

लुप्तप्राय और अतिसंरक्षित प्राणी घड़ियाल के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया की पहल रंग ला रही है. पिछले वर्ष इनके द्वारा गंडक नदी में 125 घड़ियाल के बच्चे छोड़े गए थे. घड़ियाल के इन अंडों के संरक्षण और प्रजनन में लॉस एंजिल्स जू कैलिफोर्निया का भी सहयोग मिलता है. इसकी देखरेख में डब्ल्यूटीआई और वन एवं पर्यावरण विभाग घड़ियालों के संरक्षण और संवर्धन में जुटा है. वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के प्रमुख सुब्रत बहेरा ने बताया कि वर्ष 2013 से गंडक घड़ियाल रिकवरी प्रोजेक्ट के तहत घड़ियालों की संरक्षण की दिशा में तेजी लाया गया. जिसके अंतर्गत वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया, वन विभाग और स्थानीय प्रशिक्षित ग्रामीणों की मदद से विगत दस वर्षों में 600 से ज्यादा घड़ियाल के बच्चों को नदी में छोड़ा गया है.

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