लौरिया . थाईलैंड देश का 28 सदस्यीय बौद्ध पर्यटक नंदनगढ़ पहुंचकर करीब दो घंटे तक भगवान बुद्ध की पूजा पाठ की. विदेशी पर्यटकों में 20 महिला और 8 पुरुष बौद्ध धर्मावलंबी के थे. सबसे पहले बुद्धिस्ट और टीम लीडर मिस्टर कमचान प्रोमरलुक की अगुआई में सभी बौद्ध धर्म के अनुयाई नंदनगढ़ स्तूप की परिक्रमा की. इसके बाद स्तूप पर अपने इष्टदेव भगवान बुद्ध की प्रतिमा रखकर करीब डेढ़ घंटे तक थाई भाषा में मंत्रोच्चारण करते हुए पूजा अर्चना की. इधर वाराणसी से आए द्विभाषीय अभिषेक कुमार के माध्यम से थाईलैंड देश के पुजारी फ्रखरू सुतालोगकोट ने बताया कि यह नंदनगढ़ स्तूप हम बुद्धिस्ट के लिए बहुत अधिक मायने रखता है. हमारी जानकारी में यह स्तूप विश्व का सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप है. यहां आना और भगवान बुद्ध का दर्शन करना कई जन्मों का वरदान है. उन्होंने बताया कि यहां भगवान दो बार पधारे थे. पहली बार निर्वाण को जाते समय पधारे थे तो दूसरी बार निर्वाण प्राप्ति के बाद यहां मुंडन कराने पधारे थे. द्विभाषीय अभिषेक कुमार ने बताया कि पहले इसमें से दो बुद्धिस्ट आ चुके हैं. पहले भी यहां रहने, खाने आदि की व्यवस्था नहीं थी, आज भी नहीं, यह बहुत ही दुखद है. सड़कें ठीक हैं, लेकिन चांडाल चौक पर सड़क के दोनों किनारे गुमटी होने से बड़ी गाड़ियों को मोड़ने में परेशानी होती है. गाड़ी पलटने का डर बना रहता है. इसके बाद सभी बुद्धिस्ट अशोक स्तंभ जाकर पूजा पाठ की और विश्रामालय नहीं होने के कारण वे सब यूपी के कुशीनगर के लिए रवाना हो गए. इसके पूर्व वे भगवान बुद्ध को चढ़ाई गई फल आदि प्रसाद को लोगों में बांटकर एक दूसरे का अभिवादन करते हुए चले गए.
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