205 करोड़ से बाढ़ से निजात के लिए मसान नदी पर बनेगा बांध, भू-अर्जन के लिए मिले 82 करोड़
जिले के उतरांचल एवं देवराज क्षेत्र के लिए शोक कहीं जाने वाली मसान नदी के कहर से अब शीघ्र हीं यहां के लोगो को निजात मिलेगी.
बेतिया. जिले के उतरांचल एवं देवराज क्षेत्र के लिए शोक कहीं जाने वाली मसान नदी के कहर से अब शीघ्र हीं यहां के लोगो को निजात मिलेगी. मसान नदी के दोनों किनारों में पूर्व से निर्मित क्षतिग्रस्त बांध की मरम्मत, ऊंचीकरण एवं नए बांध के निर्माण के लिए सिंचाई विभाग ने राशि स्वीकृत कर दी है. 205 करोड़ स्वीकृत राशि में से फिलहाल 123 करोड़ से बांध के ऊंचीकरण एवं मजबूतीकरण का काम अगले माह से शुरू कर दिया जाएगा. जबकि शेष 82 कराड़ रुपये भू अर्जन के लिए स्वीकृत किए गए हैं. इसके लिए भू अर्जन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार नए बांध के निर्माण के लिए कुल 273 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जाना है. बांध के निर्माण हो जाने से लगभग दो लाख 67 हजार लोगों को बाढ़ के प्रभाव से बचाया जा सकेगा. नए तटबंधों के निर्माण होने पर उसके आसपास बसे लोगों को आने-जाने में सुविधा के लिए कुल 29 बांए तटबंध पर तथा कुल 22 अदद दाएं तटबंध ढ़ाला बनाने का भी काम कराने की योजना है. मसान नदी नेपाल से निकलकर रामनगर प्रखंड के ठोरी कुटी से लौरिया प्रखंड के बसंतपुर के सिकरहना नदी में मिलती है. इस दौरान इसके बाएं किनारे पर 8.34 किलोमीटर तथा दांए किनारे 15.90 किलोमीटर पर पूर्व से बांध निर्मित है. मसान नदी के दोनों किनारे बांध की मजबूतीकरण एवं नए बांध के निर्माण हो जाने के बाद इसके दोनों ओर के किसानों को लाभ होगा. उनकी फसलें सुरक्षित हो सकेगी. जल निस्सरण डीविजन से मिली जानकारी के अनुसार इससे करीब एक लाख 90 हजार एकड़ में लगी फसलों को बाढ़ से बचाई जा सकेगी. बता दें कि इसके पूर्व मसान नदी पर डैम बनाने की भी योजना थी, लेकिन अब बांध बनाने का कार्य शुरू होने से इसके तटवर्ती लोगों को तबाही व बर्बादी से काफी हद तक राहत मिलेगी. हर साल मचती है तबाही, डूबती हैं सैकड़ों एकड़ फसलें मसान नदी से आसपास वाले क्षेत्र के पंचायत अमूमन हर साल बाढ़ की तबाही से त्रस्त होते हैं. यहां हर साल सैकड़ों एकड़ फसलें डूब जाती है. तमाम पंचायतों में पानी भर जाता है. रामनगर से लेकर लौरिया तक की पंचायतें इस बाढ़ का प्रकोप झेलते हैं. ऐसे में यहां बांध बन जाने से लोगों को काफी राहत मिलने वाली है. करीब ढ़ाई लाख आबादी इससे सुरक्षित होगी.
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