रंगारंग लोक नृत्य, संगीत और भोजपुरी विमर्श के साथ हुई कला उत्सव की शुरुआत
नगर के सिंघा छापर स्थित शुभारंभ उत्सव भवन रंगारंग लोक नृत्य, संगीत और भोजपुरी विमर्श के साथ शनिवार दोपहर ''''भोजपुरी कला उत्सव'''' की समारोह पूर्वक शुरुआत की गई.
बेतिया. नगर के सिंघा छापर स्थित शुभारंभ उत्सव भवन रंगारंग लोक नृत्य, संगीत और भोजपुरी विमर्श के साथ शनिवार दोपहर ””””भोजपुरी कला उत्सव”””” की समारोह पूर्वक शुरुआत की गई. संस्कार भारती के सौजन्य से आयोजित भोजपुरी कला उत्सव का उद्घाटन आमंत्रित अतिथियों ने दीप जलाकर किया. इस दौरान वक्ताओं ने भोजपुरी के उत्थान पर जोर दिया. कहा कि ऐसे आयोजनों से ही भोजपुरी का प्रचार-प्रसार व इस भाषा की मजबूती संभव है. दो दिवसीय इस भोजपुरी कला उत्सव के पहले दिन शनिवार को रंगारंग लोक नृत्य, संगीत और भोजपुरी विमर्श का आयोजन किया गया. बच्चों समेत तमाम प्रतिभागियों ने अपनी प्रस्तुति दी. जिसपर पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा. इसके पूर्व संस्कार भारती के राष्ट्रीय साहित्य संयोजक आशुतोष अडोणी ने इसका उद्घाटन किया. कहा कि भोजपुरी की पुण्यभूमि चंपारण के बेतिया में आप सबका अभिनंदन करने पहुंचा हूं. उन्होंने ””””हम रहुआ सभे भाई बहिन के गोड़ लागत बानी”””” से की अपने कथन की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि यहां आकर और आप सबको सुनकर लगा कि भोजपुरी सही में दिल को छू लेने वाली भाषा है. उन्होंने कहा कि हमारी कला, संस्कृति और सनातन संस्कार हमारे विशिष्ट धरोहर हैं. भारतवर्ष पर कब्जा करने की नियत से आने वाले ग्रीक, रोमन और यूनान के आक्रमणकारियों ने केवल अकूत धन की लोलुपता में ही हम पर अधिकार नहीं किया. अनेक संघर्ष आक्रमण से राजनीतिक रूप से परास्त हो जाने के बाद भी हमारी विशिष्ट भाषाओं के साथ हमारी अनूठी सभ्यता, विलक्षण विशेषताओं से परिपूर्ण हमारे संस्कार,सभ्यता, संस्कृति और कला को आत्मसात करने में विफल रहे. भारतीय कला की महत्ता बताते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा और भाषा के ज्ञान से वंचित भारतीय सभ्यता,संस्कारों का पुस्त दर पुस्त विस्तार का कार्य हमारे लोक कलाओं यथा नाटक, नृत्य, संगीत, चित्रकला की विशिष्ट कला के माध्यम से होता आया है. उद्घाटन विमर्श सत्र की अध्यक्षता शिक्षाविद और आयोजन समिति के अध्यक्ष ज्ञानेंद्र शरण ने की. विषय प्रवर्तन संस्कार भारती के प्रांतीय मंत्री दिवाकर राय ने तथा संचालन जलज कुमार अनुपम ने किया. विभिन्न विषयों पर विमर्श करने वालों पद्मश्री से सम्मानित और भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ब्रज भूषण मिश्र, डॉ. रौशनी विश्वकर्मा, सर्वेश कुमार तिवारी आदि रहे. इस दौरान भोजपुरी कला प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया.
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