आलोक अगस्टीन, बेतिया
बाबूजी धीरे चलना, प्यार में जरा संभलना, हां बड़े धोखे हैं इस राह में… वर्तमान समय में एंड्राइड मोबाइल और सोशल नेटवर्किंग साइट से उपजे प्यार में धोखे तो कम, लेकिन संक्रमण ज्यादा हैं. क्योंकि आजकल का प्यार शारीरिक आकर्षण से शुरू होकर शारीरिक संबंध तक पहुंच दम तोड़ देता हैं. और दे जाता हैं यादें नहीं, संक्रमण. और रिटर्न गिफ्ट के रूप में मिल रहा हैं, एचआईवी पॉजिटिव का टैग.
जी हां! एड्स कंट्रोल सोसायटी की ओर से पश्चिम चंपारण जिले में एचआईवी संक्रमितों के जारी आंकड़े कुछ ऐसा ही दृश्य बयां कर रहे हैं. यहां प्रतिदिन एचआईवी संक्रमितों की संख्या में इजाफा हो रहा हैं. आंकड़ों की बात करें तो वर्तमान में जिले में 3500 से ऊपर रजिस्टर्ड एचआईवी संक्रमित हैं. जिसमें 98 प्रतिशत की केस हिस्ट्री असुरक्षित यौन संबंध हैं. पुरुषों के मामले में केस हिस्ट्री लेने पर यह पता चलता है कि कुछ को यह संक्रमण एक से ज्यादा महिलाओं से संबंध रखने से, कुछ पुरुषों के होमोसेक्सुअल अर्थात पुरुष से पुरुष के बीच संबंध होने के कारण, कुछ पुरुषों को नेपाल, बैंकाक या अन्य देशों में घूमने के दौरान संबंध बनाने के कारण. तो वहीं महिलाओं में यह संक्रमण अपने पुरुष मित्र के द्वारा, या एक से ज्यादा पुरुषों से संबंध रखने के कारण हो रहा हैं. हैरत की बात तो यह है कि यह मामले सिर्फ वैसे परिवार तक सीमित नहीं रह गए हैं, जिनके परिवार के सदस्य मजदूरी या काम करने के लिए दूसरे राज्य या दूसरे देशों में रहते हैं. बल्कि इसमें लगभग 40 से 45 प्रतिशत आंकड़ा शहरी क्षेत्र का हैं. इनमें वैसे लोग शामिल हैं जो या तो मध्यम वर्ग के हैं या उच्च वर्ग से आते हैं.
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खुद से जांच के लिए पहुंच रहे हैं लोग
जीएमसीएच एआरटी सेंटर के आईसीटीसी काउंसलर जहीर हुसैन के मुताबिक, सरकारी स्तर पर चलाए जा रहें जागरूकता कार्यक्रमों का असर है कि थोड़ी सी शंका होने पर लोग खुद से जांच के लिए आईसीटीसी सेंटर पहुंच रहे हैं. सिर्फ जीएमसीएच के आंकड़ों की बात करें तो प्रतिदिन 120 से 130 लोगों की जांच आईसीटीसी सेंटर में हो रही हैं. कर्मियों का कहना है कि जो लोग संक्रमण की जांच कराने आते हैं, उनमें से अधिकांश को देखकर बिल्कुल भी यह अंदाजा नहीं लगाया जा सकता हैं कि वे संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं. जिले में जीएमसीएच के अलावा बगहा व नरकटियागंज के अनुमंडल अस्पताल, सीएचसी मझौलिया तथा सीएचसी गौनाहा में भी आईसीटीसी सेंटर हैं. एआरटी सेंटर अर्थात एंटीरेट्रोवायरल ट्रीटमेंट सेंटर के माध्यम से संक्रमित लोगों को मुफ्त दवाइयां उपलब्ध कराई जाती हैं.
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कोट.. जीएमसीएच के एआरटी सेंटर में सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हैं. सरकारी स्तर पर भी जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. वर्तमान में स्क्रीनिंग की जा रही हैं. जो भी लोग जांच करने आना चाहते हैं. वे जीएमसीएच की ओपीडी में आ सकते हैं. जांच कराने से लेकर ही मरीज की सभी जानकारियां गोपनीय हो जाती हैं. डॉ एस एन खान, प्रभारी, आईसीटीसी व एआरटी, जीएमसीएचडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है