गंडक नदी में नाव डूबी एक 50 वर्षीय एक महिला डूबी

स्थानीय अंचल क्षेत्र के पिपरासी पंचायत स्थित पीपी तटबंध के कैंप कार्यालय के समीप शनिवार को एक नाव के गंडक नदी में डूबने से 50 वर्षीय एक महिला डूब गई.

By Prabhat Khabar News Desk | July 6, 2024 8:54 PM

पिपरासी. स्थानीय अंचल क्षेत्र के पिपरासी पंचायत स्थित पीपी तटबंध के कैंप कार्यालय के समीप शनिवार को एक नाव के गंडक नदी में डूबने से 50 वर्षीय एक महिला डूब गई. वहीं सवार अन्य पांच लोगों को सुरक्षित निकाला गया. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि शनिवार को पिपरासी निवासी अर्जुन कुशवाहा गांव के ही रहमत अंसारी की नाव लेकर खेत में धान की रोपनी कराने दियारा में जा रहा था. नाव में छह लोगों के साथ खाद आदि में रखे हुए थे. अर्जुन कुशवाहा के साथ पुजारी कुशवाहा, माया देवी, संझारी देवी, धूरपति देवी, पन्ना देवी छोटी नाव से दियारा में धान की रोपनी करने जा रहे थे. नाव जब बीच धारा में पहुंची तो नदी के तेज धारा के दबाव में एक तरफ से नाव में लगी लकड़ी की पटरी फट गई. इससे तेज गति से नाव में पानी घुसने लगा. सवार सभी नाव को डूबता देख नदी में कूद गए. इसमें विशुन शर्मा की 50 वर्षीय पत्नी माया देवी डूब गई. सीओ ने बताया कि सूचना पर इनके द्वारा मौके पर पहुंचा गया और एनडीआरएफ की टीम को सूचना देने के साथ स्थानीय गोताखोरों के माध्यम से खोज जारी है. स्थानीय गोताखोरों ने डूबे नाव को नदी से बाहर निकाल दिया. लेकिन अभी भी माया देवी का शव बरामद नहीं हो पाया है. वही परिजनों का रो रो के बुरा हाल बना हुआ है. भगवान बन कर आया प्रदीप, पांच की बचाई जान अर्जुन कुशवाहा सहित नाव पर सवार अन्य लोगों ने बताया कि जब वे लोग नाव के साथ डूब रहे थे तो सभी लोग बचाने के लिए चिल्ला रहे थे। समीप में प्रदीप शर्मा नदी किनारे बैठा था. जब चिल्लाने की आवाज सुनी तो उसने नारी छलांग लगा कर पांच लोगों की जान अकेले बचा ली. वही सीओ ने इस कारनामे के लिए स्थानीय लोगों के साथ प्रदीप की काफी प्रशंसा की. बीडीसी नीरज शर्मा, समाजसेवी विवेक यशवंत यादव, मुकेश कुशवाहा आदि ने सराहना करते हुए अन्य लोगों को इससे सिख लेनी की बात कही. प्रशासनिक रूप से छोटी नाव के संचालन पर रोक के बाद हो रहा है संचालन हर वर्ष बरसात के मौसम में बाढ़ को देखते हुए जिला व अनुमंडल प्रशासन के तरफ से गंडक में छोटी नाव के संचालन पर रोक लगा दी जाती है. लेकिन यह रोक केवल कागजों तक ही सीमित रहती है. कारण की किसी भी स्तर पर प्रशासन के लोग इसको कड़ाई से पालन नहीं करता है. जिस वजह से हर वर्ष गंडक नदी में इस तरह की घटनाएं होती रहती है और प्रशासन मूकदर्शक बना रहता है.

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