वाल्मीकिनगर. गंडक बराज के पांच नंबर फाटक में सोमवार की दोपहर एक पैंगोलिन प्रजाति के वन्य जीव का शव बहकर पहुंचा. इसकी सूचना पर वन कर्मी गंडक बराज पहुंच गए. बताते चले की पैंगोलिन एक स्तनधारी प्राणी है. उसके शरीर पर केराटिन के बने शल्क (स्केल) नुमा संरचना होती है. जिससे यह अन्य प्राणियों से अपनी रक्षा करता है. पैंगोलिन ऐसे शल्कों वाला अकेला स्तनधारी है.यह अफ्रीका और एशिया में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है. इसे भारत में सल्लू सांप भी कहते हैं. इनके निवास वाले वनक्षेत्र तेजी से कम हो रहे हैं. अंधविश्वासी प्रथाओं के कारण इनका अक्सर शिकार भी किया जाता है.जिसकी वजह से पैंगोलिन की सभी जातियां अब संकटग्रस्त मानी जाती हैं और उन सब पर विलुप्ति का खतरा मंडरा रहा है.ये कीड़े खाने वाले स्तनधारी हैं. जानकारों की माने तो लगभग 80 मिलियन सालों से यह धरती पर हैं.यानी एक तरह से ये सबसे लंबा टिकने वाली मैमल्स की श्रेणी में हैं.अफ्रीका और एशिया के घने जंगलों में मिलने वाले ये जीव बहुत खास हैं. ये रेप्टाइल्स की तरह दिखते हैं. जिसकी वजह है उनके शरीर पर लंबी- लंबी स्केल्स का होती है. उनकी जीभ 40 सेंटीमीटर लंबी होती है.जिससे वे चीटियां, दीमक और छोटे कीड़े-मकोड़े खा सकें. एक अकेला पैंगोलिन प्रति साल लगभग 70 मिलियन कीड़े खा जाता है.इस बाबत पूछे जाने पर वाल्मीकि नगर वन क्षेत्र पदाधिकारी राजकुमार पासवान ने बताया कि संभवत नेपाल क्षेत्र से पानी के बहाव में बह जाने से इसकी मृत्यु हो गई है. नदी से निकालकर पोस्टमार्टम के पश्चात इसका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
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