जो धर्म की सवारी करेगा उसके जीवन में सुखद मोड़ आयेगा : मोरारी बापू

कथा की शुरुआत हनुमान चालीसा और वंदना से हुई. उन्होंने प्रभु श्रीराम और सीता के नाम को परम बताया.

By Prabhat Khabar News Desk | June 5, 2024 10:01 PM

वाल्मीकिनगर. राम कथा वाचन के पांचवें दिन बुधवार को मोरारी बापू ने वाल्मीकि की धरती, माता सीता की शरण स्थली, लव कुश की जन्मस्थली, भूभाग की समस्त चेतना और इस पवित्र पावन धरती को नमन करते हुए कार्यक्रम की शुरुआत की. कथा की शुरुआत हनुमान चालीसा और वंदना से हुई. उन्होंने प्रभु श्रीराम और सीता के नाम को परम बताया. कहा कि भजन का मतलब ही प्रेम है. भजन में हठ जरूरी है. भजन के प्रताप और महिमा का विश्लेषण नहीं हो सकता. गांधी जी के भजन यानी जिद और हठ ने आजादी दी. किसी भी हालात, परिस्थिति, मौसम, समय में जहां तक समय-समय पर भजन राम नाम जप और सुमिरन करें. भजन से स्व दर्शन, सर्व दर्शन व सब दर्शन होता है मोरारी बापू ने कहा कि भजन से स्व दर्शन होता है. भजन सर्व दर्शन एवं सब दर्शन का एक माध्यम है. आज सभी छाया दर्शन में जी रहे हैं. लेकिन भजन दर्शन ही सबसे उत्तम रास्ता है. किसी के कहने से अपने स्वभाव को नहीं छोड़ना चाहिए. धर्म व सुख पर डाला प्रकाश मोरारी बापू ने धर्म और सुख पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि हमें धर्म की सवारी करनी चाहिए. जो धर्म की सवारी करेगा उसके जीवन में सुखद मोड़ आयेगा. इसलिए सभी अपने जीवन में धर्म की सवारी करें. साथ ही उन्होंने कहा कि हर संबंध एक बंधन है और बंधन से कोई भी बच नहीं पाता है. उन्होंने वाल्मीकि रचित मानस रामायण पर चर्चा की. जिसका श्रोताओं ने जमकर आनंद उठाया. साथ ही साथ मानव के जीवन में हरि प्रताप को लेकर भी विभिन्न मार्गों की चर्चा की. उन्होंने मानस रामायण के शिव विवाह पर प्रकाश डाला. जो परम है वही पूर्ण है, बाकी सब अपूर्ण है तुलसीदास जी की मानें तो ज्ञान हमें पूर्ण बनाता है. थोड़ा नहीं पूरा पाने की इच्छा भी नहीं, परम पाने की इच्छा से भजन करें. एक घूंट नहीं, दो घूंट नहीं सारा मयखाना पी जाने की जिस तरह की जिद हो, जैसे की हम जन्म जन्म के प्यासे हों. खुद के अंदर परम को प्राप्त करने की जिद जगाने की जरूरत है. क्योंकि जो परम है वही पूर्ण है. बाकी सब अपूर्ण है. कबीर जी की मानें तो जो परम को पा जाता है वह पूरा पा जाता है. जिसने इश्क नहीं किया उसका क्या कहना और जिसने परमात्मा से इश्क कर लिया उसका क्या कहना. कथा स्थल पर भक्त श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण पंडाल में बैठने की जगह कम पड़ती जा रही है. कथा समाप्ति के बाद कथा सुनने आए हजारों श्रद्धालुओं को समिति की ओर से प्रसाद का वितरण किया गया. बापू ने भक्तों की जिज्ञासा पूरी की बिहार का इकलौता टाइगर रिजर्व वाल्मीकिनगर में परम पूज्य बापू मोरारी जी की राम कथा के चौथे दिन मंगलवार को भक्तों को कथा के उपरांत बापू से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. एलिफेंटा पिट रिसोर्ट में बनी बापू की कुटिया पर संध्या करीब 5 बजे बापू ने कुछ भक्तों से मुलाकात की. बताते चलें कि बापू के मिलने की जगह पर सुरक्षा का कड़ा इंतजाम है. उन्होंने भक्तों के मन में उठ रही जिज्ञासा को अपनी वाणी से श्लोकों और तार्किक शब्दों के माध्यम से पूर्ण किया. लगभग एक घंटे तक चले इस कार्यक्रम में सैकड़ों भक्तों ने हिस्सा लिया. बापू से भक्त इतना करीब से मिल गदगद हो गए. अपने आप को सौभाग्यशाली समझे.

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