बेतिया . कोलकाता घटना के लगभग एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी मेडिकल छात्र छात्राओं, चिकित्सकों, कर्मियों का गुस्सा थमने का नाम नही ले रहा है. आम नागरिक भी दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि देने व आक्रोश व्यक्त करने के लिए कैंडिल मार्च निकाल रहे हैं. छात्र व छात्राओं के साथ महिला चिकित्सकों को सुरक्षा की चिंता सता रही हैं. आईएमए द्वारा मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग सरकार से पिछले कई सालों से की जा रही हैं. रेजिडेंट डॉक्टरों ने नो सेफ्टी नो ड्यूटी का स्लोगन बुलंद कर दिया है. गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल का ओपीडी विगत 14 अगस्त से मेडिकल छात्र छात्राओं व आईएमए के द्वारा बंद कराने के कारण बाधित हैं. वही जीएमसीएच के इमरजेंसी मे सिर्फ दुर्घटनाग्रस्त व सीरियस मरीजों का इलाज हो रहा है. सुरक्षा को लेकर रविवार से पूरा जीएमसीएच परिसर पुलिस छावनी मे तब्दील हो गया है. जीएमसीएच प्रिंसिपल ऑफिस के समीप पश्चिम की तरफ का मुख्य द्वार पर दारोगा सुशील कुमार सिंह के नेतृत्व में पुलिस बल तैनात थे. इस गेट से आम लोगों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है. गेट से सिर्फ मरीजों को लेकर आ रही एम्बुलेंस व वाहनों को आने दिया जा रहा है. इसी तरह ओपीडी के सामने का मुख्य गेट भी बंद कर पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया हैं. इसके अलावा ओपीडी परिसर, सी ब्लॉक के इमरजेंसी द्वार, डॉक्टर्स इमरजेंसी चेंबर, रजिस्ट्रेशन काउंटर, सीटी स्कैन, एक्स-रे व अल्ट्रासाउंड में सुरक्षा के लिए पुलिस कर्मी तैनात है. अस्पताल मे भर्ती मरीजों की नियमित जांच व इलाज डॉक्टरों व नर्सिंग कर्मियों द्वारा की जा रही हैं. उन्हे किसी भी तरह की कोई परेशानी नही हो रही है. पुलिस जवानों के रहने से अस्पताल मे आम लोगो का प्रवेश बिल्कुल ही बंद हो गया है.
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