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जगी हवाई अड्डा के विकास संग उड़ान की उम्मीद

स्थानीय लोगों का अपने ही शहर से हवाई यात्रा करने का सपना अब तक साकार नहीं हो सका.

मधुकर मिश्रा, बेतिया

स्थानीय लोगों का अपने ही शहर से हवाई यात्रा करने का सपना अब तक साकार नहीं हो सका. आश्चर्य तो यह कि स्वर्णिम इतिहास वाले चंपारण सत्याग्रह आंदोलन की धरती को भी आजादी के 76वें वर्ष में भी एक अदद हवाई अड्डा नसीब नहीं हो सका. जबकि पर्यटन की दृष्टिकोण से बेहतर संभावनाओं वाले ऐतिहासिक और पौराणिक धरोहरों के अलावा इंद्रधनुषी सौंदर्य वाले वन, नदी, झील और झरनों की लंबी फेहरिश्त यहां मौजूद है. हालांकि 1960 के दशक में यहां हवाई अड्डा स्थापित किया गया था. जाहिर है कि 64 सालों से उड़ने का सपना संजोए बैठे यहां के लोगों को सरकार की तरफ से निरंतर उपेक्षा ही बरती जा रही है. हालांकि चुनाव से ठीक पहले छह मार्च को बेतिया हवाई अड्डा में पीएम की बेतिया दौरा और जनसभा के बाद लोगों को हवाई अड्डा बनाने की घोषणा की उम्मीद जगी थी. लेकिन मौके पर पीएम से किसी स्तर से इसकी मांग नहीं होने से कोई फायदा नहीं हुई. स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार की उड़ान योजना, क्षेत्रीय कनेक्टविटी योजना अथवा ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा योजना में भी बेतिया शामिल नहीं हो सका. ग्रीनफील्ड योजना के तहत 21 शहरों में और मझोले व छोटे आकार के शहरों को हवाई मार्ग से जोड़ने की योजना के तहत 76 एयरपोर्टों पर हवाई सेवाओं की शुरुआत हुई. लेकिन इस मामले में बेतिया की हर स्तर पर ऊपेक्षा की गई है. यहां के लोगों को हवाई अड्डा निर्माण की उम्मीद जिले के रास सांसद सतीश चंद्र दुबे के केंद्रीय राज्य मंत्री बनाये जाने से फिर से बलवती हो गयी है.

चहारदीवारी तक ही सिमट गया हवाई अड्डा का विकास

2018-19 में बेतिया हवाई अड्डा की चहारदीवारी निर्माण को लेकर योजना स्वीकृत हुई और 2020-2021 में चारदीवारी निर्माण की योजना पूर्ण हुई. लेकिन हवाई अड्डा में रनवे का निर्माण, सुरक्षा, विद्युतीकरण, पेयजल और जल निकासी के व्यवस्था आदि की दिशा में कोई करवाई धरातल पर नहीं उतर सकी है.

एकमात्र चौकीदार हो गया 2018 में रिटायर्ड, नहीं हो सकी दूसरे की नियुक्ति

जानकार बताते हैं कि भवन निर्माण विभाग की ओर से 1975 में दो कर्मियों की प्रतिनियुक्ति हवाई अड्डा पर हुई थी, लेकिन महज छह माह बाद ही उनको वापस बुला लिया गया. इस दौरान एकमात्र चौकीदार नरसिंह राम यहां कार्यरत थे. 1979 में उनकी निधन के बाद उनके पुत्र सुदर्शन राम चौकीदार नियुक्त किए गए, जो 2018 में सेवानिवृत हो चुके हैं. तब से लेकर आज तक दूसरे चौकीदार नियुक्त नहीं किया गया.

महज 21. 82 एकड़ भूमि में है वर्तमान हवाई अड्डा, विस्तार का नहीं हो सका प्रयास

1960 के दशक में स्थापित बेतिया हवाई अड्डा वर्तमान में 21.82 एकड़ भूमि में स्थित है. जबकि इसकी लंबाई 633 मी अथवा करीब 2100 फीट और चौड़ाई 133 मी अथवा 430 फीट के आसपास है जो की छोटी स्तर की हवाई अड्डा के रूप में ही विकसित किया जा सकता है. हद तो यह कि आज तक आधुनिक हवाई अड्डों की तरह बेतिया हवाई अड्डा को विस्तार देने के लिए अतिरिक्त भूमि का अधिग्रहण नहीं किया जा सका. जबकि वर्ष 2000 के दशक में केंद्र सरकार की सर्वेक्षण टीम ने यहां छोटे स्तर के हवाई अड्डा के लिए 75 से 100 एकड़ या इससे बड़े के लिए 150 से 200 एकड़ भूमि की जरूरत बताई थी, लेकिन इस दिशा में पहल नहीं हो सका.

खंडहर में तब्दील हो गए हवाई अड्डा भूमि में बनाए गए एक बड़े और दो छोटे भवन

बेतिया हवाई अड्डा में सन 2000 के दशक में एक बड़ा भवन और जो छोटी भवनों का निर्माण कार्यालय और चौकीदार के लिए किया गया है. लेकिन समुचित देखरेख के अभाव में इन तीनों भवनों की स्थिति खस्ताहाल हो खंडहर में तब्दील हो गई है. इसके बड़े भवन की खिड़की भी किसी ने तोड़ दी है.

हवाई अड्डा के विकास के लिए अभी तक कोई योजना विभाग के पास स्वीकृत होकर नहीं आई है. यदि कोई भी योजना स्वीकृत होगी तो उसे त्वरित गति से कार्यान्वित की जाएगी. मार्च में पीएम के आगमन पर चहारदीवारी में कई प्रवेश द्वार बनाया गया था, उसे जल्द ही बंद कराया जायेगा.

रमेश पंडित, कार्यपालक अभियंता, भवन निर्माण विभाग

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