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बिना डाइटिशियन के ही संचालित हो रहे निजी व सरकारी अस्पताल

बिहार सरकार की ओर से भी स्वास्थ्य विभाग में महज चिकित्सक व कर्मियों के ही नियुक्ति करने का निर्णय लिया है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 23, 2024 10:50 PM

बेतिया. बिहार में लगभग सभी विश्वविद्यालय डाइटिशियन अथवा आहार विद अथवा पोषण विशेषज्ञ के स्नातक और स्नातकोत्तर व्यवसाय कोर्स संचालित कर रहे हैं, जिनमें से प्रतिवर्ष हजारों छात्र इस कोर्स को सफलतापूर्वक पूरा भी कर रहे हैं, लेकिन किसी भी विश्वविद्यालय में अभी तक अभियान चलाकर डाइटिशियन का प्लेसमेंट नहीं किया जा सका है. बिहार सरकार की ओर से भी स्वास्थ्य विभाग में महज चिकित्सक व कर्मियों के ही नियुक्ति करने का निर्णय लिया है, जबकि भारत सरकार की ओर से सभी अस्पतालों में डायटिशीयन को रखने की सलाह हर बार दी जाती रही है. बता दें कि देश के विभिन्न राज्यों में सरकारी और गैर सरकारी अस्पताल डाइटिशियन अथवा आहार विशेषज्ञ की नियुक्तियां कर उनकी सेवाएं लेकर रोगियों को पौष्टिक और आवश्यक भोजन मुहैया करा रही है, लेकिन बिहार एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां के दवा विशेषज्ञ चिकित्सक बिना डाइटिशियन का कोर्स किए ही रोगियों को भोजन का परामर्श दे रहे हैं. जबकि इग्नू की एमएससी फूड डायटिक एंड सर्विस मैनेजमेंट कोर्स के लिए डाइटिशियन में स्नातक, होम साइंस अथवा एमबीबीएस या समकक्ष योग्यता तय है. गौरतलब हो कि बिहार सरकार पिछले चार दशक से बिहार के सरकारी अस्पतालों में डाइटिशियन अथवा आहार विशेषज्ञ की भर्ती नहीं कर सकी है. ज्ञात हो कि बेतिया समेत बिहार के विभिन्न जिलों में नए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल या तो खोले गए हैं अथवा खोले जा रहे हैं, लेकिन इन तमाम सरकारी अस्पतालों में एक भी डाइटिशियन अथवा आहार विशेषज्ञ की नियुक्ति में दिलचस्पी नहीं ली जा रही है. पोषण विशेषज्ञों के बिना कारगर नहीं हो रहा पोषण पखवारा सरकार ने गांव में कुपोषित महिला पुरुषों, गर्भवती महिलाओं, जच्चा बच्चा समेत गरीब वरिष्ठ नागरिकों को सुपोषित करने का अभियान छेड़ रखी है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि सरकार की अति महत्वपूर्ण योजना होने के बावजूद इस अभियान में डाइटिशियन अथवा आहार विशेषज्ञों को शामिल नहीं किए जाने से यह योजना कारगर साबित नहीं हो पा रहा है. आरोप तो यह है कि पोषण पखवाड़ा या पोषण सप्ताह की उपलब्धियां केवल आंकड़ों तक ही सिमट कर रह गए हैं. यह योजना बिना डाइटिशियन खानापूर्ति से अधिक कुछ नहीं है. दर्जनों रोगों के खात्मे में बढ़ा भोजन प्रबंधन का महत्व जिले के वरीय चिकित्सक डॉ राकेश रंजन ने बताया कि दर्जनों ऐसे रोग हैं जिनका निदान दवा नहीं, केवल और केवल भोजन की नियमित श्रृंखला और उनकी निर्धारित मात्रा पर निर्भर करता है. विशेष कर गैर संचारी रोग अथवा उच्च रक्तचाप, रक्त अल्पतता, मधुमेह, मोटापा, कमजोरी, कुपोषण, हृदय संबंधित रोग जैसे अन्य बीमारियों को संतुलित आहार, योग और व्यायाम से ही नियंत्रित या दूर किया जा सकता है. इधर खासकर कोरोना काल के बाद से आहार प्रबंधन के साथ-साथ डाइटिशियन की महत्व को आम लोग भी अब समझने लगे हैं लेकिन सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों व क्लीनिकों में इनके अनिवार्यता तय नहीं होने से आमलोग लाभान्वित नहीं हो पा रहे हैं. —————————-

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