इजरायल अंसारी, बांसी धाम. बिहार उत्तर प्रदेश सीमा पर स्थित बांसी नदी दो प्रांतों के बीच बहती है. जिसमें कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के दिन लाखों श्रद्धालु डुबकी लगाते है. इस दिन विदेश से लेकर उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग बांसी धाम पर आस्था की डुबकी लगाते हैं और दान पुण्य करते हैं. धार्मिक मान्यता है कि इस नदी में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं का पाप धूल जाता है. यह भी कहा जाता है कि यहां पर प्रभु श्रीराम की बारात विश्राम की थी. यह स्थान बिहार, उत्तर प्रदेश एवं नेपाल के श्रद्धालुओं के मन में रच बस गया है. बिहार सीमा से सटे उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिला अंतर्गत नारायणी की बेटी कही जाने वाली बांसी धाम नदी बिहार में प्रकट होकर उत्तर प्रदेश की परिसीमा में बहती है. बांसी नदी तट पर स्थित बांसी धाम में बड़े-बड़े सिद्ध, महापुरुष, योगी, साधु-संत आते रहे हैं. जन श्रुति के अनुसार स्थानीय रामघाट में श्री राम जी स्नान किए थे, पडरौना होकर पैदल यात्रा किए थे. जानकी नगर में मां जानकी की सवारी रुकी थी. दहवा में दही, चूड़ा जलपान हुआ था. खिरकिया में खीर का प्रसाद बना था. यहां लगने वाले मेले में हर वर्ष उत्तर प्रदेश, बिहार और नेपाल के लोग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.
बांसी धाम मेले का है आदिकाल से महत्व
बगहा के धनहा थाना क्षेत्र स्थित उत्तर प्रदेश-बिहार के सीमा पर अवस्थित बांसी मेला धाम जो आदिकाल से चल रहा है. जिसका दैविक महत्व दिया गया है. धार्मिक मान्यता के अनुसार दो राज्यों के बीच भगवान राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण ने बांसी धाम में रात्रि विश्राम किया गया था. दूसरे दिन बांसी नदी में स्नान दान करने के उपरांत अपने गंतव्य को चले थे. तभी से 100 काशी के बराबर बांसी नदी को एक स्नान दान के रूप में माना गया है. बांसी धाम में नेपाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड तथा महाराष्ट्र से भी श्रद्धालु स्नान दान करने के लिए आते हैं. यहां पर स्नान दान कर पुण्य का भागी बनते है. वहीं श्रद्धालुओं की बात की जाए तो बांसी धाम में मनोकामना की भी पूर्ति होती है. जिसमें मनोकामना पूर्ण होने पर दूसरे दिन फिर से दान पुण्य एवं पिंडदान तथा गोदान भी किया जाता है.
बिहार उत्तर प्रदेश बांसी धाम सज धज कर तैयार
बांसी धाम नदी और मेले की सारी तैयारियां स्थानीय स्तर पर पूरी कर ली गयी है. जगह-जगह पर श्रद्धालु भक्तों के लिए झूला तथा विभिन्न तरह के सामग्री मेला के लिए तैयारी की गयी है. जहां श्रद्धालु बांसी नदी में स्नान दान के बाद मेला का भी लुत्फ उठायेंगे. इसकी सारी तैयारियां बिहार और उत्तर प्रदेश बांसी नदी के घाट पर पूरी कर ली गयी है. दोनों तरफ की घार सज धज कर श्रद्धालु के लिए तैयार है. जहां देश विदेश तथा दोनों प्रांतों से आने वाले श्रद्धालु भक्त आस्था की डुबकी लगायेंगे.
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सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था
बांसी धाम नदी में स्नान दान और मेले के दौरान बिहार और उत्तर प्रदेश दोनों घाटों पर पुलिस प्रशासन द्वारा कड़े सुरक्षा का इंतजाम किया गया है. बिहार के तरफ से मधुबनी बीडीओ कुंदन कुमार, सीओ नंदलाल राम व थानाध्यक्ष धर्मवीर भारती सुरक्षा में लगे. वहीं कुशीनगर जिला के जिलाधिकारी, एसडीएम सहित स्थानीय विधायक पडरौना व अन्य द्वारा सुरक्षा का ख्याल रखा जा रहा है. ताकि किसी श्रद्धालु को आने जाने में कोई परेशानी नहीं हो. हालांकि दोनों प्रदेशों से कड़ी सुरक्षा की व्यवस्था की गयी. बगहा एसपी सुशांत कुमार सरोज ने धनहा थानाध्यक्ष धर्मवीर भारती को सुरक्षा की दृष्टिकोण से कई दिशा निर्देश दिया है.
राजनीतिक दलों द्वारा सजाया गया है मंच
बांसी धाम नदी पर स्नान करने वाले श्रद्धालुओं के लिए बिहार तथा उत्तर प्रदेश के राजनीतिक दलों द्वारा जगह-जगह पर मंच भी लगाया गया है. इतना ही नहीं वाल्मीकिनगर विधायक धीरेंद्र प्रताप सिंह द्वारा जगह-जगह सुरक्षा दृष्टिकोण से पुलिस प्रशासन से बात कर व्यवस्था की जा रही है. विधायक ने श्रद्धालु भक्तों से अपील किया है कि शांतिपूर्ण तरीके से बांसी धाम नदी में आस्था की डुबकी लगाए और दान पुण्य करें.
वाहनों का रूट चेंज
भारी वाहनों का रूट बदला गया है. बिहार से जाने वाले वाहन सिंधुओं बाजार होते हुए पडरौना जायेंगे. वहीं उत्तर प्रदेश से आने वाले वाहन पचफेड़वा होते हुए मधुबनी तक जाऐंगे. यह रूट का बदलाव गुरुवार की सुबह 8 बजे से लागू हो गया है.