प्रभु श्री राम कथा के दौरान मोरारी बापू ने कहा कि उद्वेग का केंद्र बिंदु मन है, वही साधु है: मोरारी बापू

भारत नेपाल सीमा पर स्थित महर्षि वाल्मीकि की तपोभूमि,मां सीता की मोक्ष स्थली,लव कुश की जन्मस्थली वाल्मीकिनगर में संत शिरोमणि मोरारी बापू के मुखारविंद से चल रहे नौ दिवसीय राम कथा के सातवें दिन कथा श्रवण के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं से कथा पंडाल खचाखच भरा रहा.

By Prabhat Khabar News Desk | June 7, 2024 8:24 PM

वाल्मीकिनगर. भारत नेपाल सीमा पर स्थित महर्षि वाल्मीकि की तपोभूमि,मां सीता की मोक्ष स्थली,लव कुश की जन्मस्थली वाल्मीकिनगर में संत शिरोमणि मोरारी बापू के मुखारविंद से चल रहे नौ दिवसीय राम कथा के सातवें दिन कथा श्रवण के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं से कथा पंडाल खचाखच भरा रहा. राम धुन और राधे -राधे धुन पर भक्त गण झूमते रहे. हर दिन की भांति राम कथा की शुरुआत हनुमान चालीसा, राम वंदना, हनुमान वंदना,गुरु वंदना और जग कल्याण के मंत्रोच्चारण के साथ शुरू हुआ. साधु के दर्शन से सौभाग्य की प्राप्ति होती,साधु को किसी का डर नहीं होता कथा वाचन में पड़ोसी देश नेपाल के त्रिवेणी में स्थित गजेंद्र मोक्ष दिव्य धाम के पीठाधीश कमल नैनाचार्य,गजेंद्र दिव्य मोक्ष धाम के उत्तराधिकारी संत कृष्ण प्रपन्नाचार्य के साथ गुरुकुल के कई शिष्य पहुंचे.वहीं थाईलैंड के बौद्ध भिक्षु भंते मैत्री,वृंदावन के गुरु मोहन दास बाबा समेत कई भक्तों ने राम कथा में भाग लिया. राम कथा वाचन के दौरान संत मोरारी बापू ने कहा कि साधु के दर्शन से सौभाग्य की प्राप्ति होती है. साधु से मिलने के लिए प्रतीक्षा करना चाहिए. कौन सी चेतना कहां से मिल जाए कोई नही जानता.साधु कौन है.साधु को किसी का डर नहीं होता.जहां चाहे वहां स्वक्षन्द रूप से विचरण करता है.साधु केवल कोई गलती ना हो जाए इस बात से डरते हैं.साधु सभी का स्वागत करते हैं.जिसका किसी से कोई उद्वेग ना हो, ना ही किसी से उद्वेग करे. वही साधु है. जिसके साथ प्रतिस्पर्धा हो वही उद्वेग करता है. संगीत धर्मनिरपेक्ष होता है. इसमें कोई भेदभाव नहीं होता. जो राम काम करे,राम धाम करे और राम नाम जपे उसका कल्याण होगा राजा प्रभु की विभूति होते हैं. सदगुरु को खोजना नहीं पड़ता है,वे खुद ही मिलते हैं. उन्होंने बताया कि वाल्मीकि रामायण में चर्चा है कि जो राम काम करे,राम धाम करे और राम नाम जपे उसका कल्याण होगा. तुलसी दास ने भारत के हर गांव में हनुमान जी की स्थापना कर दिया और उन्हें ही कलयुग का तारण हार बताया है.साथ ही उन्होंने बताया कि वाल्मीकि रामायण और तुलसी रामायण में बहुत सी समानता और कई भिन्नता भी है. जिसे राम कथा में आनंद नहीं आता उसके भाग्य फटे हुए हैं. अपराध व श्राप से मुक्ति के लिए भगवान को पृथ्वी पर किसी न किसी रूप में आना पड़ता कथा में आए भक्तों के सवाल का जवाब देते हुए बापू ने बताया कि संदेह ही मृत्यु है. समाज में रहने वाले लोगों में मरने का चौदह रूप बताया. जो व्यक्ति चरित्रहीन हो,अत्यधिक कामुक हो, अत्यधिक लोभी हो,अत्यंत वृद्ध हो,साधु विरोधी,देश विरोधी, वेद विरोधी,अत्यंत क्रोधित हो,धर्म विरोधी जैसे लोग मरे हुए हैं. धर्म का कभी नाश नहीं होता. हां किसी कारण बस थोड़ा धूमिल होता है. प्रभु का पृथ्वी पर आने का पांच कारण है. जय विजय,श्राप वश,प्रेम वश,अपराध रोकने और राजाओं के श्राप से मुक्ति के लिए भगवान को पृथ्वी पर किसी न किसी रूप में आना पड़ता है. कथा की समाप्ति नारायण जी की आरती से हुई.

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