हरनाटांड़. जितिया का व्रत माताएं अपने बच्चे की सलामती और लंबी उम्र के लिए रखती है. साथ ही जिन महिलाओं की संतान नहीं होती वह संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को रखती है. इस दिन माताएं भगवान जीमूतवाहन की पूजा करती हैं. जितिया का व्रत हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है. जितिया व्रत को जीवित्पुत्रिका और जिउतिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है. जो आज मंगलवार से जितिया व्रत की नहाए-खाए से शुरुआत होगी. जितिया व्रत के एक दिन पहले महिलाएं इस परंपरा के तहत शुद्धिकरण के लिए गंगा स्नान के बाद पहले भगवान जीमूतवाहन का उपासना और ध्यान करती है. उसके बाद बिना लहसुन प्याज के शुद्ध और सादा भोजन ग्रहण करती हैं. इसके अगले दिन बुधवार 25 सितंबर को पूरे 24 घंटे तक महिलाएं निर्जला व्रत रखती है. मान्यता है कि जो भी माताएं इस दिन पूरे विधि विधान से व्रत और पूजा करती है उनकी संतान को लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है. इसके अलावा निसंतान माताओं को जल्द ही संतान प्राप्ति होती है. जितिया व्रत पूजा विधि जितिया व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान आदि कार्य करने के बाद सूर्य देव की पूजा करें. इसके बाद घर के मंदिर में एक चौकी रखें. उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं. उसके बाद कपड़े के ऊपर थाली रखें. थाली में सूर्य नारायण की मूर्ति को स्थापित करें और उन्हें दूध से स्नान कराएं. भगवान को दीपक और धूप अर्पित करें. उसके बाद भोग लगाकर आरती करें. इसके बाद मिट्टी या गाय के गोबर से सियार व चील की मूर्ति बनाएं. कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा की पूजा करें. उन्हें धूप-दीप, फूल और चावल अर्पित करें. जितिया व्रत तिथि मुहूर्त पं. सुबोध मिश्र व अंकित उपाध्याय ने बताया कि वैदिक पंचांग के अनुसार जितिया का व्रत आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि मंगलवार को 12:38 बजे पर शुरू होगी और अष्टमी तिथि समापन बुधवार की दोपहर 12:10 बजे पर होगा. उदया तिथि के आधार पर जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत बुधवार को रखा जाएगा. बुधवार को जितिया व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10:41 बजे से लेकर दोपहर 12:12 बजे तक है.
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