मधुकर मिश्रा, बेतिया. पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर से जिले में इंटरप्रिटेशन सेंटर सह प्रकृति व्याख्या केंद्र बनवाया जाएगा. यह केंद्र पश्चिम चंपारण जिला मुख्यालय बेतिया से करीब नौ किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में उदयपुर वन में स्थित सरेया मन पक्षी विहार के पास बनेगा. इस केंद्र में बच्चों को इकोसिस्टम अथवा पारिस्थितिकी तंत्र जंगल व जीव जंतुओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी. इसके साथ बच्चों को प्राकृतिक वन और आद्रभूमि के स्वरूप की जानकारी देकर पशु पक्षियों के आवास और पर्यावरण संरक्षण के बीच जीवन के प्रति संवेदनशील बनाया जाएगा.
बच्चे और सैलानी इस पक्षी अभ्यारणय में आने वाले 15 प्रजातियों के रंग-बिरंगे प्रवासी पक्षियों को नजदीक से देख सकेंगे. इसके लिए एक समानांतर प्लेटफार्म तैयार कराया जाएगा, इस पर खड़े होकर बच्चे और सैलानी दूरबीन से पक्षियों का दीदार कर सकेंगे. यहां आने वाले पर्यटकों और बच्चों को नाव की बोटिंग, कैंटीन, पेयजल, शौचालय, बैठने के लिए बेंच, भ्रमण के लिए वाहन, पाथवे, साइकिल राइडिंग, खास गाईड आदि सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. बता दें कि उदयपुर वन्य जीव अभयारण्य करीब 887 एकड़ वन भूमि पर स्थित है. सर्वेक्षण के दौरान 5 नवंबर 2014 को इस झील की गहराई अलग-अलग जगह पर न्यूनतम 10.7 फीट से अधिकतम 29.01 फीट दर्ज की गई थी. यहां ऐसे तो 15 प्रजातियों के पक्षियों का आगमन और भ्रमण बताया गया है, इनमें सर्दियों के महीना के दौरान दिखाई देने वाले प्रवासी पक्षी लालासर, बतख, नीलसर बतख, गर्गनी टील, दंभी बतख, कुर्चिया, बरार, कॉमन टील और मुर्गाबी आदि मुख्य माने जाते हैं. इनके अलावा झील के किनारे जकाना एग्रेटेस, तालाब बगुला, स्वैप पार्टिज, पर्पल मूरहेन देखी जाती हैं. जबकि यहां के वन और मन के किनारे जंगली कौवा, सफेद कलगी वाला बुलबुल, लाल मूछ वाला बुलबुल, ब्लैकबर्ड, ट्री पाई, जंगल बबलर और आम बबलर आदि पक्षियों की प्रजाति भी देखने को मिलती हैं.फरवरी के अंतिम सप्ताह तक रहते हैं प्रवासी पक्षी
ऐसे तो प्रतिवर्ष मुख्यतः नवंबर के अंतिम सप्ताह तक ग्रीनलैंड और साइबेरिया सहित अन्य देशों और विदेशों से पक्षियों का आगमन उदयपुर वन और सरेया मन पक्षी विहार में प्रतिवर्ष होता है. प्रवासी पक्षी प्रतिवर्ष फरवरी के अंतिम सप्ताह में यहां से अपने देश वापस लौट जाते हैं. जानकारों का मानना है कि पूर्व में यहां 135 प्रजाति की विदेशी और लगभग 85 प्रजातियों के देसी पक्षियों का जमावड़ा होता था, लेकिन बाद के दिनों में बढ़ती गई आबादी और अन्य कई कारणों से यहां सभी तरह के प्रवासी पक्षियों के प्रजातियों का आना कम हुआ है. लेकिन यहां प्रवासी पक्षियों के लिए अनुकूल वातावरण और उनको आकर्षित करने वाले तमाम जल तत्व आज भी मौजूद हैं.मछलियों के लिए भी प्रसिद्ध है मन
जानकार बताते हैं कि सरेया मन में विविध प्रकार की मछलियां पाई जाती हैं, इन मछलियों में रोहू, नैनी, कतला, बांगुरी, टेंगरा, केवाई, सिंघी, बरारी, चेपुआ आदि प्रजातियों की मछलियां बहुतायत मात्रा में पाई जाती हैं. इसी तरह इसमें कई प्रकार के जलीय तत्व भी पाए जाते हैं जो देसी और प्रवासी पक्षियों के लिए आहार भी बनते हैं. इसके अलावा उदयपुर वन्य जीव अभ्यारण में भौंकने वाले हिरण, नीलगाय, चित्तीदार हिरण, जंगली भालू, जंगली बिल्ली, सियार, शाही आदि जंगली जानवर, अजगर, बंधा करैत, कोबरा, पन सांप तथा यहां पाई जाने वाली प्रमुख वृक्षों में सर्वाधिक में जामुन, बीट, शीशम सखुआ, सगवान, बेल, सेमल, इमली, खैर, कंकर, जिगना आदि लतेदार वनस्पतियां,सुषमा मंडित पर्णपाती हरीतिमा उदयपुर जंगल की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं.नए वर्ष के मार्च के बाद सेंटर के कार्य का पूर्ण होने की उम्मीद है. वैसे इन योजनाओं में प्रवासी पक्षियों समेत वनस्पतियों और वन्य जीवों के दीदार के लिए स्थल का निर्माण, नेचर वॉक, सरेया मन में नाव की सैर, साइकिल राइडिंग, नेचर इंटरप्रिटेशन सेंटर समेत दृश्य और श्रव्य के माध्यम से बच्चों और पर्यटकों को वन्य जीव और पक्षियों तथा वनस्पतियों के संबंध में विभिन्न जानकारियां उपलब्ध कराने की महत्वाकांक्षी योजनाएं शामिल हैं.डॉ नेशामणि के, प्रोजेक्ट डायरेक्टर वाल्मीकि टाइगर रिजर्व पश्चिम चंपारणडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है