ई.शिक्षा कोष के मोबाइल एप से हाजिरी लगाने नया सिस्टम पहले दिन हुआ फेल
ई. शिक्षा कोष के मोबाइल ऐप से शिक्षक शिक्षिका और विद्यार्थियों की हाजिरी लगाने नया सिस्टम पहले दिन की फिसड्डी साबित हुआ है.
बेतिया. ई. शिक्षा कोष के मोबाइल ऐप से शिक्षक शिक्षिका और विद्यार्थियों की हाजिरी लगाने नया सिस्टम पहले दिन की फिसड्डी साबित हुआ है. पोर्टल पर अपलोड पश्चिम चंपारण जिला के 2585 स्कूलों में से मात्र 914 ने ही नए सिस्टम को फॉलो किया. जबकि 1671 स्कूलों में पारंपरिक (मैनुअल) व्यवस्था ही जारी रही. इसका कारण स्पष्ट करते हुए दर्जन भर शिक्षक शिक्षिकाओं ने बताया कि विभागीय तौर पर निर्देशित एप से हाजिरी बनाने की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही ई. शिक्षा कोष का सर्वर डाउन हो गया. जिसके कारण बहुतायत शिक्षक शिक्षिका नेटवर्क तलाशते रह गए और निर्देशित समय बीत गया. फलस्वरूप आधुनिक उपकरणों का उपयोग से शिक्षक शिक्षिकाओं पर तकनीकी आधारित नियंत्रण के माध्यम से शिकंजा कसने की तैयारी धरी की धरी रह गई. लेकिन वह पहले दिन काम नहीं कर सकी. परिणाम स्वरुप जिले के सरकारी स्कूलों में प्राथमिक से प्लस टू स्तर के कुल 2585 सरकारी विद्यालयों में कार्यरत 12,949 प्रधानाध्यापक, शिक्षक शिक्षिका और 6.65 लाख छात्र छात्राओं की आधुनिक तकनीकी आधारित उपस्थिति दर्ज करने का फरमान का अनुपालन पहले दिन फिसड्डी साबित हुआ. जिलाभर के प्राइमरी से प्लस टू तक के कुल 2585 स्कूलों में से मात्र 914 स्कूलों में ही बच्चों और शिक्षक शिक्षिकाओं की ऑन लाइन हाजिरी लगाने का यह प्रयोग शुरू हो पाया है. वही जिलाभर के कुल 12949 शिक्षक शिक्षिकाओं में से भी मात्र 609 यह लक्ष्य पूरा करने में सफल हो पाए हैं.10,788 शिक्षक शिक्षिकाओं पर इस आदेश का अनुपालन भारी पड़ा है. पहले दिन की परेशानी और समस्याओं में सुधार की जिला से विभाग स्तर पर हो रही पहल : डीपीओ
जिला शिक्षा कार्यालय में स्थापना प्रशाखा के डीपीओ योगेश कुमार ने बताया कि शिक्षा विभाग के स्तर से ऐप आधारित उपस्थिति ऑन लाइन दर्ज करने का एक नया प्रयोग मंगलवार से शुरू किया गया है. शुरूआत के समय हुई तकनीकी और अन्य समस्याओं की जानकारी जुटाई जा रही है. शीघ्र ही सब कुछ दुरुस्त कर लिए जाने की पहल जिला शिक्षा कार्यालय से लेकर विभाग स्तर तक पर की जा रही है. इसके दुरुस्त होने के साथ ही शिक्षक एप के माध्यम से अपनी और अपने विद्यार्थियों की उपस्थिति बनाना शुरू कर देंगे. डीपीओ ने यह भी बताया कि इसके बाद विभाग स्तर से भी स्कूलों का अनुश्रवण और मूल्यांकन शुरू हो जाएगा. इसी को लेकर विभाग द्वारा विभिन्न स्कूली गतिविधियों के ऑनलाईन अनुश्रवण को लेकर ई-शिक्षा कोष सॉफ्टवेयर का निर्माण कराया था. इसके तहत ई-शिक्षा कोष पोर्टल व मोबाइल ऐप भी विकसित कराया गया था. लेकिन तकनीकी कारण से पहले दिन इसका सर्वर फेल कर गया. इधर जिला प्राथमिक प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष नर्वोदय ठाकुर ने बताया कि शैक्षिक और आर्थिक आधार पर अत्यंत पिछड़े अपने पश्चिम चंपारण जिला में ऐसा नियम और व्यवस्था सफल होना आसान नहीं है.अपने जिले की इंटरनेट कनेक्टिविटी बहुत ही स्तर की है. बावजूद इसके हम शिक्षकों पर शिकंजा कसने के इरादे से लागू इस नियम का हम स्वागत करते हैं. लेकिन सरकार और विभाग को इसकी सुविधा प्रदान करते हुए गुणवत्तापूर्ण व्यवस्था करनी चाहिए. सामान्य शिक्षकगण के पास इतनी राशि और उत्तम तकनीकी ज्ञान भी नहीं है कि वह इंटरनेट का इस्तेमाल इन एप को चलाने में करें.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है