वाल्मीकिनगर. प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी 14 नवंबर को वीटीआर वन प्रमंडल दो वाल्मीकिनगर वन क्षेत्र के चुलभट्ठा और भेड़िहारी एंटी पोचिंग कैंप समेत वन क्षेत्र में भ्रमण कर वन्यजीव वन संपदा के विकास संरक्षण का जायजा राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण एनटीसीए की टीम लेगी. भारतीय क्षेत्र में कई टाइगर रिजर्व है. जिनमें एक नई तकनीक की शुरुआत की गयी है. सभी टाइगर रिजर्व में सुरक्षा तंत्र की बहाली और सुधार के लिए एक कमेटी बनाई गयी है. जो यह रणनीति तय करती है की वन क्षेत्रों में वन संपदा और वन्यजीव पर शिकारियों की पकड़ मजबूत ना हो सके इस बिंदु को ध्यान में रखकर भारत सरकार ने एक टीम गठित की है जो टाइगर रिजर्व में जाकर जांच करती है. शिकार के अलावा अन्य कई चीजें भी हैं जो टाइगर रिजर्व में वास कर रहे वन्यजीवों को खतरा पहुंचा सकती है. जिनमें कई प्रकार की मौसमी बीमारियां शामिल है. इस बिंदु पर राज्य सरकार की कितनी तैयारियां हैं संसाधन कितने उपलब्ध कराए गए हैं, टाइगर रिजर्व में इस बिंदु पर कितना बेहतर तरीके से कार्य किया जा रहा है. ज्ञात हो कि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व हिमालय के तराई क्षेत्र के जंगलों का अंतिम और आखिरी सिरा है. अगर इसका बचाव नहीं किया गया तो बिहार वाइल्ड लाइफ के नक्शे से टाइगर रिजर्व का नामोनिशान मिट जाएगा. बीते कुछ वर्षों के कार्यकाल में वीटीआर का बेहतर विकास वन विभाग के कर्तव्यनिष्ठा को स्पष्ट दर्शाता है. इस बाबत वाल्मीकिनगर वन क्षेत्र पदाधिकारी राजकुमार पासवान ने बताया कि यह विभागीय प्रक्रिया है. जिसमें टीम द्वारा बाघों के संरक्षण, विकास और सुरक्षा की दिशा में किए गए कार्यों की जांच की जाती है. जिसमें वन मार्ग, ग्रास लैंड, पीने की पानी की उपलब्धता, सुरक्षा के इंतजामात आदि का बारीकी से जांच की जाती है.
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