बेतिया. नगर का महारानी जानकी कुंवर महाविद्यालय कभी उत्तर बिहार में प्रतिष्ठित पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज के रूप में ख्याति प्राप्त रहा है. आज जिले का सबसे पुराने और मॉडल डिग्री कॉलेज में नामांकित छात्र छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है, यह कहना गलत नहीं होगा. कॉलेज में इंटर से लेकर स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई होती है, जिनमें करीब 15 हजार छात्र-छात्राएं नामांकित हैं. वहीं, कॉलेज के भौतिकी विभाग, संस्कृत, संगीत विभाग वर्षों से प्राध्यापक प्राध्यापिका विहीन बना हुआ है. वहीं मनोविज्ञान में छह के बदले एक, गणित में पांच की जगह एक के अलावे अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान, दर्शनशास्त्र के साथ अंग्रेजी विभाग में भी कुल चार स्वीकृत के बदले एक प्राध्यापक कार्यरत हैं. ऐसे में शिक्षकों के अभाव में इंटर से लेकर पीजी में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य खतरे में है. प्राचार्य प्रो.(डॉ) रवींद्र कुमार चौधरी ने भी एक प्रश्न के उत्तर में स्वीकार किया कि कॉलेज में प्राध्यापकगण की भारी कमी की वजह से काफी परेशानी हो रही है. यहां उल्लेखनीय है कि अधिकांश विषयों के वर्ग का नियमित संचालन नहीं हो पाने का मुख्य कारण पांच हजार से कम विद्यार्थियों के समय कॉलेज के लिए स्वीकृत प्राध्यापकों के कुल 69 पद में से आधी संख्या से भी कम प्राध्यापकगण उपलब्ध हैं. जिसके कारण अधिकांश छात्र-छात्रा यहां केवल नामांकन के लिए और परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए आते हैं. 1955 में स्थापित इस कॉलेज में हिन्दी, इतिहास, अंग्रेजी, भूगोल, अर्थशास्त्र, राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर कक्षा में भी नामांकन होता रहा है. यहां के प्राध्यापक इंटर से स्नातकोत्तर तक में नामांकित करीब 15 हजार विद्यार्थियों की क्लास कैसे लेते होंगे. इसका सहज अंदाजा हो सकता है. इसके अतिरिक्त मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी, इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी, नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी एवं व्यवसायिक शिक्षा में बीबीए, बीसीए, स्वास्थ्य में सीएनडी आदि की पढ़ाई होती है. कुल मिलाकर सभी विषयों में इस कॉलेज में 19 नियमित प्राध्यापक है और मात्र नौ अतिथि प्राध्यापक ही कार्यरत हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है