टूरिस्ट परमिट पर जिले से दिल्ली, गोरखपुर, वाराणसी व रांची तक दौड़ रही हैं यात्री बसें

उन्नाव में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर हुए भीषण बस हादसे ने जिले से हो रहे बसों के संचालन, परमिट व सुरक्षा मानकों की अनदेखी पर सवाल उठा दिया है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 10, 2024 9:14 PM
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अवध किशोर तिवारी, बेतियाउन्नाव में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर हुए भीषण बस हादसे ने जिले से हो रहे बसों के संचालन, परमिट व सुरक्षा मानकों की अनदेखी पर सवाल उठा दिया है. हादसे में करीब डेढ़ दर्जन लोगों की मौत के बाद अब परिवहन विभाग की नींद खुली है. लिहाजा जिला मुख्यालय से लेकर बगहा, चौतरवा, नरकटियागंज, वाल्मीकिनगर जैसे जगहों से रोजाना दिल्ली, गोरखपुर, वाराणसी, सिलीगुड़ी, रांची तक जाने वाली बसों की परमिट की खोजबीन शुरू कर दी गई है. जबकि सत्यता यह है कि जिले से दूसरे राज्यों के लिए संचालित हो रहे यात्री बसों का परमीट हीं नहीं है. जिला परिवहन कार्यालय को खुद मालूम नहीं है कि जिला मुख्यालय बेतिया से रांची, उत्तरप्रदेश के गोरखपुर, बराणसी, नई दिल्ली, पंजाब एवं सीलीगुढ़ी जानेवाली किन किन बसों को परमिट प्राप्त है. कारण कि परमीट देने का काम क्षेत्रीय प्राधिकार देता है. जबकि जानकारों की मानें तो केवल बेतिया से गोरखपुर के लिए एक दर्जन, रांची, वाराणसी, नई दिल्ली के लिए प्रतिदिन यात्री बस रवाना होती है. प्रायः सभी यात्री बस डबल डेकर के रुप में होती है. जिसमें स्लीपर या चेयर लगा रहता है, लेकिन इन बसों को टूरिस्ट परमिट लेकर चलाया जाता है. किसी भी बस के बाद इन बसों को गंतव्य तक संचालित करने के लिए परमिट नहीं है. जानकार बताते है कि कतिपय बस मालिकों ने इंटरस्टेट परमिट ले रखा है. सभी यात्री बसों का निबंधन संख्या भी दिल्ली या यूपी की होती है, लेकिन उनका परिचालन रुट परमिट के अनुसार नही किया जा रहा है. सुरक्षा के मानकों का ख्याल नहीं, सांसत में जान इन बसों के संचालन में कई तरह की आवश्यक जीवनउपयोगी उपकरण भी लगाने होते है, लेकिन यदि सम्यक जांच की जाय तो इन बसों में जीवन रक्षक उपकरण की कौन कहे किसी किसी में फस्ट एड बॉक्स भी नदारद है. बसों में यात्रियों को सीट क्षमता से ज्यादा चढ़ाकर गंतव्य तक पहुंचाया जाता है. साथ हीं साथ ओवर स्पीड में चलनेवाले इन वाहनों के चक्के या अन्य तकनीकी खामियां दूर करने की भी व्यवस्था बस संचालकों द्वारा नही की गयी है. नियमानुसार परमिट प्राप्त इन शील्ड शीशेवाली एयरकंडीशन बसों का संचालन सरकार द्वारा निर्धारित बस पड़ाव से खोलना होता है, लेकिन इन बस संचालकों द्वारा अपना निजी बस पड़ाव बना लिया गया है. जहां से बसों का संचालन किया जाता है. करोड़ों का है का कारोबार, रोजाना हजार से अधिक यात्री जिला मुख्यालय बेतिया से खुलनेवाले गोरखपुर, राची, नई दिल्ली, बराणसी, सीलीगुढ़ी समेत अन्य दूरगामी शहरों के लिए इन यात्री बसों से 1000 से अधिक यात्री यात्रा करते हैं. इन यात्रियों से बस कंडक्टरों द्वारा मनमानी रकम भी किराया में ली जाती है. साथ हीं साथ यात्री सुविधा के नाम पर किसी ढाबे पर रोक कर इन्हें खाने या चाय पीने के लिए बोला जाता है. बोले अधिकारी समय-समय पर बसों के संचालन की जांच की जाती है. उनके परमिट की भी जांच की जाती है. बिना परमिट संचालित हो रहे बसों की पुनः जांच करायी जायेगी और उनपर जुर्माना लगाया जायेगा. ललन प्रसाद, जिला परिवहन पदाधिकारी प.चंपारण , बेतिया

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