बेतिया. गले में बैंक के क्यूआर कोड का टैग और हाथ में टैब (स्मार्टफोन) लेकर भीख मांगने वाले राजू (45) अब नहीं रहे. गुरुवार को देर रात सीने में दर्द की शिकायत पर लोगों ने राजू को जीएमसीएच में पहुंचाया. वहां उनका निधन हो गया. सोशल मीडिया पर राजू की पहचान देश के पहले डिजिटल भिखारी के रूप में थी. राजू अपने इस स्टाइल को लेकर न सिर्फ पूरे देश में चर्चित थे, बल्कि सोशल मीडिया सेसेंशन भी बने हुए थे. उनके साथ रील्स बनाने वाले युवाओं की संख्या भी सैकड़ों में थी. बताया जा रहा है कि बेतिया रेलवे स्टेशन पर भीख मांगने के दौरान अचानक तबियत बिगड़ने के बाद स्थानीय लोगों ने राजू को अस्पताल में भर्ती कराया. इलाज की क्रम में उन्होंने अंतिम सांस ली. डॉक्टरों ने बताया कि राजू की मौत हृदयगति रुकने से हुई है. परिजन रेखा ने बताया कि राजू तीन दशकों से स्टेशन-स्टेशन गांव-गांव घूम कर भीख मांगता था. घर पर वह बचपन से ही नहीं रहता था. शुक्रवार को सुबह गार्ड ने आकर बताया कि राजू की मौत हो गई है. उसके बाद हम लोग अस्पताल पहुंचे हैं. बता दें कि राजू शहर के बसवरिया वार्ड नंबर-30 के रहने वाले प्रभुनाथ प्रसाद के पुत्र थे. बीते तीन दशक से रेलवे स्टेशन समेत अन्य जगहों पर भीख मांगकर अपना जीवन बिताते थे. 2022 में वह क्यूआर कोड व टैब लेकर भीख मांगने पर डिजिटल भिखारी के रूप में चर्चित हुए थे. उनके निधन के बाद सुबह से ही सोशल मीडिया पर शोक जताने वालों का तांता लगा हुआ है. तमाम चाहने वाले उनके घर पहुंच अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित किये. खुद को लालू का बेटा व मोदी का भक्त बताते थे राजू राजू खुद को लालू प्रसाद का बेटा बताते थे. पहले वह राजद के सभी कार्यक्रमों में पहुंचते थे. एक बार राजद सुप्रीमो लालू यादव के मंच तक राजू पहुंच गये थे. इधर वह खुद को मोदी का भक्त भी बताते थे. जानकारों का इतना कहना है कि राजू को पहले रोजाना सप्तक्रांति सुपर फास्ट एक्सप्रेस के पैंट्रीकार से भोजन भी मिलता था. प्रभात खबर ने डिजिटल भिखारी की दिलाई थी पहचान बता दें कि प्रभात खबर ने सबसे पहले राजू की क्यूआर कोड के साथ फोटो व खबर प्रकाशित की थी. पांच फरवरी 2022 में छपी खबर के बाद यह वॉयरल हो गया. फिर देश के तमाम मेनस्ट्रीम मीडिया ने इस खबर को प्रसारित किया.
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