सेतु है राम कथा, जो सबको जोड़ती है: मोरारी बापू

वाल्मीकि की तपोभूमि वाल्मीकिनगर में चल रहे राम कथा वाचन के तीसरे दिन राम कथा और मानस के महत्भीव को बहुत सूक्षमता से प्रस्तुत किया.

By Prabhat Khabar News Desk | June 3, 2024 9:25 PM

वाल्मीकिनगर. वाल्मीकि की तपोभूमि वाल्मीकिनगर में चल रहे राम कथा वाचन के तीसरे दिन राम कथा और मानस के महत्भीव को बहुत सूक्षमता से प्रस्तुत किया. राम कथा श्रवण करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. संत मोरारी बापू ने कथा वाचन के लिए जैसे ही व्यास पीठ पर विराजमान हुए जय सिया राम के जयघोष से पूरा पंडाल गुंजायमान हो गया. हनुमान चालीसा का पाठ भक्त गण द्वारा किया गया. उसके उपरांत राम वंदना, हनुमान वंदना तथा गुरु वंदना और विश्व शांति के लिए मंत्रोच्चारण के उपरांत संत शिरोमणि मोरारी बापू ने राम कथा की शुरुआत की. सबसे पहले बापू ने वाल्मीकिनगर को तपस्या की भूमि बताते हुए व्यास पीठ से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में विराजमान देवी, देवताओं और संत जनों को प्रणाम कर कथा वाचन शुरू की. कथा के दौरान भक्तों के मन में उत्पन्न हुए कुछ सवालों को बापू ने बड़ी ही सहजता से श्लोकों और कथा के माध्यम से जवाब देते हुए भक्तों को संतुष्ट किया. उन्होंने बताया कि रामायण सतगुरु की कृपा है. राम सेतु कई चीजों को जैसे ब्रह्म, आपसी सौहार्द सहित कइयों को जोड़ने का सबसे बड़ा जरिया है. रामायण और मानस का अपना-अपना अलग कथा है. उन्होंने कहा कि भरोसा उसी पर करें जिसके वाणी पर कोई उद्वेग ना हो. जब भी मौका मिले राम का नाम जपते रहें. क्योंकि राम नाम ही सत्य है. जो निरंतर राम का नाम जपता है वही व्यास है. राम परमेश्वर है. राम ही परम तत्व है. जब राम नाम के जप करने से अंगुलिमाल डाकू महर्षि बन सकते हैं तो सोचने वाली बात है कि राम में कितनी शक्ति है. राम कथा सुनने से पाप का नाश होता है. राम कथा सुनने वालों से काल भी डरता है. राम का नाम लेने से जीवन धन्य हो जाता है. उन्होंने भक्तों के मन में हुए दुविधा की हम राम राम कहे या हे राम कहें, संदेह मिटाते हुए बापू ने कहा कि किसी भी रूप में राम का नाम पूजनीय है. उन्होंने कहा कि राम-राम मेरे ठाकुर राम हैं दुख सुख में मेरे राम हैं. साथ ही कण कण में जीव जंतु में पशु पक्षी में भी राम हैं. राम के बिना कुछ नहीं है. इसलिए सदा राम नाम का जाप करते रहें. तुलसीदास ने कहा था कि हरिराम और हनुमान कलयुग में भी एक साथ रहेंगे. कथा का समापन रामायण की आरती के साथ हुआ.

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