खाद्य तेलों की बढ़ी कीमतों ने रसोई का बजट बिगाड़ा
खाद्य तेलों की बढ़ी कीमतों ने रसोई के बजट में तड़का लगा दिया है. कीमतों की आंच से तेल का झाग फीका हो गया है.
बेतिया . खाद्य तेलों की बढ़ी कीमतों ने रसोई के बजट में तड़का लगा दिया है. कीमतों की आंच से तेल का झाग फीका हो गया हैं. त्योहारी मौसम में खाद्य तेलों की कीमतों में बढ़ोतरी कर बाजार ने मध्यम वर्ग की जेब पर महंगाई की छौंक लगाई हैं. बाजार के विशेषज्ञों का कहना हैं कि केंद्र सरकार के सीमा शुल्क बढ़ाने से खाद्य तेलों के दाम बढ़े हैं. दस दिनों में कीमतों में अच्छा खासा उछाल आया है. अभी कीमतों में और तेजी के आसार है. सरकार ने रिफाइंड तेल पर सीमा शुल्क 12.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 32.5 प्रतिशत कर दिया है. त्यौहारी सीजन में यह तेजी 20 रुपये प्रति लीटर या उससे भी अधिक पहुंच सकती है. जिसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर दिखने लगा है. नगर के मीना बाजार, लाल बाजार, सुप्रिया रोड के साथ साथ विभिन्न मुहल्लों की दुकानों में मंहगी और नई कीमतों पर तेलों की बिक्री भी हो रही है. शहर के सुप्रिया रोड स्टेशन चौक स्थित घर संसार के प्रोपराइटर रवि कुमार ने बताया कि सरसों तेल पहले 135-140 रुपये लीटर की दर पर मिल रहा था. वह अब 160-170 रुपये लीटर तक पहुंच गया हैं. वहीं 15 लीटर का टीन डब्बा जो पहले 2200 में मिलता था, अब उसकी कीमत 2450 हो गई है. रिफाइंड सोयाबीन तेल जो पहले 120-122 रुपये प्रति लीटर पैकेट मिलता था, वह अब 133-135 रुपये लीटर हो गया है. महंगे ब्रांड वाले रिफाइंड की कीमत 150-160 रुपये लीटर तक जा पहुंचा है. – क्यों बढ़ी हैं कीमतें 14 सितंबर से खाद्य तेलों पर लगने वाले सीमा शुल्क में बदलाव किया गया हैं. इन बदलावों के मुताबिक कच्चे सोयाबीन, पाम और सूरजमुखी तेल पर मूल सीमा शुल्क शून्य से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है. रिफाइंड सोयाबीन, पाम और सूरजमुखी तेल पर मूल सीमा शुल्क 12.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 32.5 प्रतिशत कर दिया गया है. कच्चे तेलों पर प्रभावी शुल्क 27.5 प्रतिशत हो गया हैं. रिफाइंड तेलों पर प्रभावी शुल्क 35.75 प्रतिशत हो गया है. खाद्य तेल की कीमतों में हुई बढ़ोत्तरी पर गृहणियों ने कहा कि सब्जी, मसालें, आटा समेत अन्य सभी खाद्य सामग्रियों के दाम चढ़े हुए हैं. अब रिफाइंड और खाद्य तेलों के दाम भी बढ़ गये हैं. इससे घर का बजट बिगड़ेगा. थाली मंहगी हो जाएगी.
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