रैयतों को अफवाह में पड़ने की आवश्यकता नहीं : बंदोबस्त पदाधिकारी
जिले में चल रहे विशेष भूमि सर्वेक्षण को लेकर लगातार आ रही अफरातफरी की सूचना पर बंदोबस्त पदाधिकारी प्रमोद कुमार ने बताया कि रैयतो को इसमें ज्यादा परेशान होने की आवश्यकता नहीं है.
बेतिया. जिले में चल रहे विशेष भूमि सर्वेक्षण को लेकर लगातार आ रही अफरातफरी की सूचना पर बंदोबस्त पदाधिकारी प्रमोद कुमार ने बताया कि रैयतो को इसमें ज्यादा परेशान होने की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने बताया कि यह सर्वेक्षण किसी भी व्यक्ति को टाईटल साबित करने का नहीं है, बल्कि आपके पास उपलब्ध एवं सरकार के पास उपलब्ध कागजातों के आधार पर भूमि का सर्वेक्षण कर वर्तमान स्थिति का प्रतिवेदन तैयार करना है. सर्वेक्षण के दौरान रैयतों के बीच कई तरह की भ्रांतियां उत्पन्न हो गयी हैं, इसके पहले भी जिले के चार अंचलों में सर्वेक्षण का एक चरण पूरा हो चुका है, लेकिन उस दौरान कहीं से कोई अफरातफरी सामने आने की जानकारी नहीं है, लेकिन अबकी बार अन्य अंचलों में आरंभ हुए भूमि विशेष सर्वेक्षण को लेकर कई तरह की भ्रांतियां एवं अफवाह सुनने में आ रही हैं. फिलहाल प्रपत्र दो एवं तीन में अपनी जमीन का दे पूरा ब्योरा बंदोबस्त पदाधिकारी प्रमोद कुमार ने बताया कि बिहार विशेष भूमि सर्वेक्षण में भाग लेने के लिए सभी कागजातों का होना जरूरी नहीं है. अगर आपके पास जमीन के पुराने दस्तावेज या रसीदें हैं तो भी आप सर्वे में भाग ले सकते हैं. दाखिल-खारिज नहीं होने पर भी आप सर्वे में भाग ले सकते हैं. सर्वे से जुड़ी सभी जानकारी राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध है. बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त को लेकर पंचायतों में ग्राम सभा की जा रही है. रैयतों को प्रपत्र 2 एवं 3 (1) जमीन के दस्तावेज संलग्न कर ऑनलाइन-ऑफलाइन जमा करने की अपील की जा रही है. उन्हें बताया जा रहा है कि कैसे यह सर्वे उनके लिए फायदेमंद होगा. फिर भी कई रैयतों के मन में तरह-तरह की शंकाएं हैं. मसलन, जमीन का दाखिल-खारिज नहीं है, सारे दस्तावेज नहीं हैं, तो इसकी टेंशन छोड़ दें. आपके पुराने दस्तावेज भी इसमें काम आएंगे. दाखिल-खारिज नहीं है तो भी सर्वे में लें भाग बड़ी संख्या में रैयत ऐसे हैं, जिनकी जमीन अब भी पुरखों के नाम पर है. जमीन का दाखिल-खारिज भी नहीं है. ऐसे में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग का स्पष्ट कहना है कि दाखिल-खारिज को लेकर किसी प्रकार की चिंता रैयत नहीं करें. यहां तक की रसीद भी अद्यतन नहीं हैं तो भी कोई बात नहीं. पुरानी रसीद भी मान्य होगी. पुश्तैनी जमीन के लिए वंशावली की जरूरत है. प्रस्तुत दस्तावेजों में यदि कोई कमी होगी, तब ही जमीन का अतिरिक्त दस्तावेज मांगा जाएगा. उसके लिए भी समय दिया जाएगा. इसके बाद जमीन के नक्शे का निर्धारण और हवाई सर्वे से मानचित्र को अपडेट किया जाएगा. सभी खाते का सत्यापन कर हर खेसरा की नंबरिंग होगी. रैयतवार खेसरा बनेगा. ऐसा नहीं है कि आप किसी जमीन का कोई कागजात प्रस्तुत कर देंगे और उससे काम चल जाएगा. जमीन मालिक जो भी दस्तावेज सौंपेंगे, उसका मिलान सरकारी दस्तावेजों से किया जाएगा. सबकुछ सही होने पर ही उन्हें अंतिम रूप से अपलोड किया जाएगा. सर्वेक्षणकर्मियों को दी जा रही कैथी लिपि की जानकारी बंदोबस्त पदाधिकारी प्रमोद कुमार ने बताया कि फिलहाल एक बार सामने आ रही थी कि पुराने दस्तावेज सब कैथी लिपि में है. खतियान में अधिकांशतः कैथी लिपि में है. ऐसे में रैयतों के वंशजों एवं सर्वेक्षण कार्य में जुटे कर्मियों को भी परेशानी हो रही है. अतएव राज्य सरकार के निर्देश पर जिले के सर्वेक्षणकर्मियों को कैथी लिपि के पढ़ने का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. सोमवार से आरंभ हुए प्रशिक्षण के दौरान सर्वेक्षण कार्यसे जुड़े 217 अमीन, 16 कानूनगो एवं 13 शिविर प्रभारी को कैथी लिपि पढ़ने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसके लिए मुजफ्फरपुर एव बीएचयू के रिसर्च स्कॉलर को बुलाया गया है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है