बरसात में टापू बना विद्यालय, खतरे के बीच आवागमन जारी
नगर के वार्ड संख्या 18 में अवस्थित रेलवे मध्य विद्यालय एक ऐसा विद्यालय है, जहां इन दिनों करीब पांच सौ बच्चे अपनी जान हथेली पर रख पढ़ाई के लिए आवागमन को विवश हैं.
नरकटियागंज. नगर के वार्ड संख्या 18 में अवस्थित रेलवे मध्य विद्यालय एक ऐसा विद्यालय है, जहां इन दिनों करीब पांच सौ बच्चे अपनी जान हथेली पर रख पढ़ाई के लिए आवागमन को विवश हैं. 10/12 के छह कमरों में संचालित यह विद्यालय इन दिनों टापू में तब्दील हो गया है. यहां पढ़ने जाने वाले शिक्षक से लेकर छात्र तक घुटने भर पानी पार कर पढ़ने पढ़ाने को विवश हैं. यह सिलसिला पिछले सात सालों से जारी है. शनिवार के दिन हुई मूसलाधार बारिश के बाद स्कूल में सोमवार को पढ़ने जाने वाले बच्चे पानी देख हैरान रह गये. स्कूल में घुटने भर पानी पार कर जाने वाले आयुष कुमार, सिद्धार्थ कुमार, सबेया खातून, मोहित कुमार, कृष्णा कुमार, नव्या खातून, अलिया प्रवीण, सलोनी कुमारी आदि ने बताया कि वे पिछले तीन चार साल से बरसात के दिनों में ऐसे ही स्कूल में पढ़ने जाते हैं. ये कोई नयीं बात नही है. एक तो जर्जर भवन और ऊपर से पानी. बच्चों ने बताया कि बरसात का पानी बदबू भी कर रहा है. गंदा पानी से सांस लेना मुश्किल हो जाता है. ऐसा हर साल होता है. लेकिन उन्हें पढ़ना है, आगे बढ़ना है सो स्कूल तो आना ही है. बच्चे व्यवस्था से पीड़ित हैं. लेकिन उनकी ओर किसी का ध्यान नहीं है. 2018 में रेलवे क्वार्टर में शिफ्ट हुआ विद्यालय वर्ष 2018 में स्कूल भवन जर्जर होने पर विभाग ने स्कूल को रेलवे क्वार्टर में संचालित कर दिया. इनमें कुल छह भवन हैं. जिसमें वर्तमान समय 500 बच्चे पढ़ते हैं. 2023 में यहां बच्चों की संख्या 668 थी. वर्तमान समय नौ शिक्षक-शिक्षिकाओ समेत रसोईया व टोला सेवक समेत 19 कर्मी पदस्थापित हैं. इनमें एचएम राय राकेश कुमार, कैलाश प्रसाद ठाकुर, जाहिद अख्तर, मणिभूषण कुमार, अनिरूद्ध कुमार, विशाल कुमार, कुंदन कुमार राव, जयनारायण प्रसाद, पुष्पा कुमारी आदि शामिल हैं. विभाग व जन प्रतिनिधियों को नहीं है स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की चिंता शिक्षा विभाग और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को नगर में संचालित स्कूल के बारे में कोई दिलचस्पी नहीं है. विकास योजनाओं पर हर साल करोड़ों रूपये खर्च करने वाला नगर परिषद में विद्यालय तक पहुंचने के लिए न तो राबिस होता है और ना ही जल निकासी के लिए पंप सेट. यहीं नहीं छात्रों को कोई परेशानी नहीं हो वो ठीक तरीके से पढ़ाई कर सके. इस दिशा में कोई भी प्रतिनिधि ध्यान नहीं देता. स्कूल की शिक्षिका पुष्पा कुमारी बताती हैं कि कम से कम राबिस ही गिर जाता तो बहुत राहत मिलती. बच्चों के डूबने का खतरा तो नहीं रहता. कोट. बरसात के कारण स्कूल चारों तरफ पानी से घिर गया है. छोटे छोटे बच्चों के पानी में डूबने का खतरा बना रहता है. हरेक साल बरसात में यही स्थिति होती है. स्थानीय पार्षद और विभाग से पानी निकासी के लिए लिखा गया है. राय राकेश कुमार, एचएम रेलवे मध्य विद्यालय
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