Somvati Amavasya: सोमवती अमावस्या पर सुख-समृद्धि के लिए सुहागिनों ने की पूजा-अर्चना, पीपल पेड़ की परिक्रमा कर बांधी रक्षा सूत्र
Somvati Amavasya: अमावस्या तिथि सोमवार को पड़ती है तो उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है. इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान विष्णु, शिव और पार्वती की पूजा की जाती है.
Somvati Amavasya: बिहार के बगहा, वाल्मीकिनगर और हरनाटांड़ में सोमवार को सुहागिन महिलाओं ने श्रद्धा और भक्ति भाव से विभिन्न मंदिरों में पूजा अर्चना कर ईश्वर से आशीर्वाद मांगा. सुहागन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु और उत्तम स्वास्थ्य के लिए इस व्रत को विधि विधान से करती हैं. इस पूजा में महिलाएं पीपल की पेड़ की पूजा करती हैं और उसके चारों तरफ परिक्रमा करती हैं. धागा बांधती है, पीपल वृक्ष का 108 बार परिक्रमा कर पूजा संपन्न करती हैं. इस पूजा में माता लक्ष्मी, भगवान विष्णु, शिव और पार्वती की पूजा की जाती है. अगर अमावस्या तिथि सोमवार को पड़ती है तो उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है. मान्यता है इस दिन पीपल के नीचे विधि विधान से पूजा करने से सुहागिन महिलाओं के पति की उम्र में वृद्धि होती है. वहीं संकट का नाश होता है और स्वास्थ्य उत्तम रहता है. इस बाबत पं. कामेश्वर तिवारी ने बताया कि शास्त्र में इस पूजा का बहुत महत्व है. सुहागन महिला इस व्रत को निष्ठा भाव से पूरा करती है.
सुहागिनों ने की पीपल पेड़ की परिक्रमा
हरनाटांड़ प्रतिनिधि के अनुसार थरुहट की राजधानी कहे जाने वाले हरनाटांड़ समेत विभिन्न क्षेत्रों में सोमवार को भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष भादों माह का सोमवती अमावस्या का पर्व महिलाओं ने श्रद्धा पूर्वक मनाया. महिलाएं सुबह से ही स्नान व शृंगार कर मंदिरों में पूजा अर्चना के लिए पहुंची. जहां महिलाओं ने पीपल के वृक्ष के समक्ष फल-फूल, नैवेद्य आदि चढ़ाकर भगवान शिव और माता पार्वती की भक्ति भाव से पूजन किया. वही पूजन के बाद महिलाओं ने पीपल के वृक्ष के 108 फेरे लगा रक्षा सूत्र लपेट कर अपने पति व पुत्र की दीर्घायु होने की कामना की. इसके साथ ही वैवाहिक जीवन के कष्ट दूर करने तथा पूरे परिवार की सुख-समृद्धि की कामना किया. वहीं कई लोगों ने सोमवती अमावस का पितृ दोष के लिए पूजन कराया तथा दान पुण्य किया. पं. सुबोध मिश्र व अंकित उपाध्याय ने बताया कि भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष सोमवती अमावस्या को बहुत शुभ माना गया है. उन्होंने कहा कि ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से पति की आयु लंबी होती है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है. सोमवती अमावस्या का पर्व महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है.
सोमवती अमावस्या की कथा
एक व्रत कथा के अनुसार, एक गरीब ब्राह्मण परिवार था. उस परिवार में पति-पत्नी एवं उसकी एक पुत्री थी. पुत्री का विवाह नहीं हो पा रहा था. एक दिन उनके घर पहुंचे साधु ने कहा कि इस कन्या के हाथ में विवाह योग्य रेखा नहीं है. यदि यह कन्या सोना नाम की एक धोबिन महिला की सेवा करे और वह महिला अपनी मांग का सिंदूर कन्या लगा दे तो विवाह का योग बन सकता है, जिसके बाद कई दिनों तक धोबिन ने देखा कि एक कन्या मुंह ढके अंधेरे में घर में आती है और सारे काम करने के बाद चली जाती है. एक दिन सोना धोबिन ने उसे घर आने पर पकड़ लिया और पूछा आप कौन है और इस तरह छुपकर मेरे घर की चाकरी क्यों करती हैं. तब कन्या ने साधु की कही गयी सारी बात बताई. सोना धोबिन ने जैसे ही अपनी मांग का सिंदूर निकालकर उस कन्या की मांग में लगाया कि सोना धोबिन का पति मर गया. उसे इस बात का पता चल गया. वह घर से नीरजल ही चली दी, यह सोचकर की रास्ते में कहीं पीपल का पेड़ मिलेगा तो उसे भंवरी देकर और उसकी परिक्रमा करके ही जल ग्रहण करेगी. उस दिन सोमवती अमावस्या थी. ब्राह्मण के घर मिले पूए-पकवान की जगह उसने ईंट के टुकड़ों से 108 बार भंवरी देकर 108 बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा की और उसके बाद जल ग्रहण किया. ऐसा करते ही उसका मृत पति जीवित हो उठा.