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नरकटियागंज अनुमंडल क्षेत्र में धड़ल्ले से जलाई जा रही पराली कृषि विभाग मौन

प्रखंड में कृषि विभाग के कर्मी व अधिकारी कितने लापरवाह है इसका जीवंत प्रमाण खेतों से उठने वाली चिंगारी आग के उठती लपटें और खेतों की कालिख है. ये सब हो रहा है प्रखंड कृषि कार्यालय से महज एक से दो किलोमीटर के दायरे में और अधिकारी बेपरवाह हैं.

नरकटियागंज.प्रखंड में कृषि विभाग के कर्मी व अधिकारी कितने लापरवाह है इसका जीवंत प्रमाण खेतों से उठने वाली चिंगारी आग के उठती लपटें और खेतों की कालिख है. ये सब हो रहा है प्रखंड कृषि कार्यालय से महज एक से दो किलोमीटर के दायरे में और अधिकारी बेपरवाह हैं. नरकटियागंज सहोदरा मुख्य पथ पर पकड़ी गांव के समीप शनिवार को अचानक धुआं उठने लगा पहले लोगो को लगा कि कही भीषण आग लगी है लेकिन बाद में पता चला कि यह आग खेत मे लगाई गई है और अब गेंहू की पराली जलाई जा रही है. प्रखंड के प्रायः सभी पंचायतों में गेहूं की पराली धड़ल्ले से जलाई जा रही है प्रखंड का कोई ऐसा पंचायत नही है जहां गेंहू की पराली जला किसान खेतो पर कालिख नही पोत रहे हो. एक ओर कृषि विभाग और जिला प्रशासन पराली नहीं जलाने को लेकर लगातार कृषि अधिकारियों और कर्मियों को निर्देशित कर रहा है पराली नही जले जागरूकता अभियान भी चलाया गया लेकिन नरकटियागंज में इसका असर नही दिखता. किसान शाम या रात में नही दिन के उजाले में पराली जला रहे हैं और विभागीय अधिकारी और संबंधित पंचायतों के कर्मी मौन चुप्पी साधे हुए हैं. जागरूक की निभाई महज औपचारिकता

कृषि विभाग की ओर से जागरूकता अभियान के नाम पर यहां खानापूरी की गई. अगर जागरूकता अभियान ठीक से चलाया जाता तो किसान यहां गेंहू की पराली नही जलाते. किसान जानकारी के अभाव में अपने ही खेतों की उर्वरा शक्ति समाप्त करने पर तुले हैं.

तपती धरती को आग से जला रहे किसान

एक तरफ आसमान से आग के गोले बरस रहे हैं तो दूसरी ओर किसान तपती धरती को आग के हवाले कर खेतों में कालिख पोत रहे हैं. पकड़ी गाव के सरेह में उठते धुंए और आग की लपटों को देख ये सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि पराली जलाने से न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है बल्कि खेतों की उर्वरा शक्ति समाप्त कर मिट्टी को ही बदरंग किया जा रहा है.

नरकटियागंज प्रखंड में पराली जलाए जाने की सूचना मिली है. यह गंभीर बात है. संबंधित किसानों को चिन्हित कर उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी. कृषि विभाग द्वारा दी जाने वाली सुविधा तीन साल तक बंद रहेगी. पराली जलाने में जो भी जिम्मेवार हैं उनके विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी.

अविनाश कुमार, अनुमंडल कृषि पदाधिकारी

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